अफगानिस्तान से अमेरिका को वापस लौटे हुए 10 दिन हो गए हैं और तालिबान वहां पर अपनी सरकार चला रहा है. अमेरिकी सेना के जाने के बाद जो विदेशी नागरिक काबुल में फंस गए थे, उनमें से कई ने अब वहां से वापसी कर ली है. 30 अगस्त के बाद काबुल से पहली कमर्शियल फ्लाइट ने उड़ान भरी, जिसमें कई अमेरिकी नागरिकों समेत विदेशी लोग थे.
अमेरिका द्वारा लगातार तालिबान के नेताओं से बातचीत की जा रही थी, ताकि विदेशी नागरिकों को वहां से निकाला जा सके. तालिबान का कहना है कि वह विदेशी नागरिकों और वैलिड ट्रैवल डॉक्यूमेंट्स के साथ अफगान नागरिकों को बाहर जाने की इजाजत देगा.
गुरुवार को जो फ्लाइट काबुल से रवाना हुई, उसमें अमेरिका, जर्मनी, हंगरी, कनाडा के नागरिक थे. करीब 200 लोगों ने इस फ्लाइट में सफर किया, जो दोहा तक पहुंची. तालिबान द्वारा अभी चार्टर्ड प्लेन को उड़ान की इजाजत नहीं दी जा रही है, ऐसे में कमर्शियल फ्लाइट्स के जरिए लोगों को निकाला गया.
तालिबान के दो नेताओं ने की थी मदद
अमेरिकी अफसर के मुताबिक, इस पूरे मिशन में दो तालिबानी नेताओं ने मदद की. ताकि बिना किसी दिक्कत के लोगों को विमान तक पहुंचाया जा सके. अमेरिकी सेना के लौटने के बाद काबुल एयरपोर्ट काम करना बंद कर चुका था, तभी से ही कतर और तालिबान के लोगों ने इसे ठीक करने की कोशिश की जो अब जाकर फिर चालू हो पाया है.
अभी ये पहली फ्लाइट यहां से निकली है, जल्द ही एक और फ्लाइट रवाना होगी. जिसमें 200 नागरिक शामिल होंगे, इसमें अमेरिकी भी होंगे. हालांकि अभी ये साफ नहीं है कि काबुल से सामान्य रूप से अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट सर्विस कबतक शुरू हो पाएगी. लेकिन अभी जो उड़ान शुरू हुई है उससे लोगों को कुछ राहत मिलेगी.
गौरतलब है कि अमेरिका इस वक्त अफगानिस्तान को लेकर अपनी सारी गतिविधियों को कतर से ही चला रहा है. दोहा में ही सारे ऑपरेशन काम कर रहे हैं और आने वाले दिनों में यही स्थिति रहेगी. ऐसे में विदेशी नागरिकों को अफगानिस्तान से बाहर निकालने का सबसे सुरक्षित रास्ता यही है.