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तालिबान के इस कदम पर भड़का OIC, कहा- ये इस्लाम के नियमों के खिलाफ है

अफगानिस्तान में महिलाओं के लिए जारी तुगलकी फरमान पर इस्लामिक देशों के संगठन OIC ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. अफगानिस्तान ने घरेलू और विदेशी एनजीओ में महिलाओं के काम करने पर रोक लगा दी है. OIC ने तालिबान के इस कदम को अल्लाह के दूत के नियमों का उल्लंघन करार दिया है.

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OIC के महासचिव हिसेन ब्राहिम ताहा (फोटोः OIC ट्विटर हैंडल)
OIC के महासचिव हिसेन ब्राहिम ताहा (फोटोः OIC ट्विटर हैंडल)

दुनियाभर से आलोचना के बावजूद अफगानिस्तान में महिलाओं पर तालिबानी अत्याचार लगातार जारी है. अफगानिस्तान ने कुछ दिन पहले ही घरेलू और विदेशी एनजीओ में महिलाओं को काम करने पर रोक लगा दी थी. तालिबान के इस कदम पर इस्लामिक देशों के संगठन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. 

TOLOnews के अनुसार OIC ने बयान जारी करते हुए तालिबान के इस कदम को 'इस्लामिक कानून के उद्देश्यों और अल्लाह के दूत की कार्यप्रणाली का उल्लंघन' करार दिया है. अफगानिस्तान में मौजूदा हालात के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) ने तालिबान से इस फैसले पर पुनर्विचार करने का आह्वान किया है. 

OIC ने बुलाई आपातकालीन बैठक

ओआईसी ने यह बयान अफगानिस्तान में मानवीय स्थिति पर पर बुलाई गई कार्यकारी समिति की आपातकालीन बैठक (Extraordinary Meeting) के बाद जारी किया है. 57 इस्लामिक देशों के संगठन OIC ने अफगानिस्तान में  मानवाधिकारों की बिगड़ती स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की है. इसके अलावा, OIC ने अफगानिस्तान से महिलाओं और बच्चों के अधिकारों सहित मानवाधिकारों का सम्मान करने के लिए कहा है. 

OIC के महासचिव हिसेन ब्राहिम ताहा ने बैठक से पहले दिए भाषण में कहा कि OIC अफगानिस्तान में दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं पर गहरी चिंता के साथ नजर बनाए हुए है. अफगानिस्तान में विकास और मानवीय स्थिति पर चर्चा करने के लिए जेद्दा में 11 जनवरी को आपातकालीन बैठक बुलाई गई थी. 

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ओआईसी ने दी नसीहत 

इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) ने अपने बयान में कहा है, "हमने अपने विशेष दूत के माध्यम से अफगानिस्तान सरकार को स्पष्ट संदेश दिया है कि सरकार शिक्षा को बढ़ावा दे. इसके अलावा, हमने इस्लाम धर्म की ठोस और स्पष्ट नींव को ध्यान में रखते हुए लड़कियों के लिए स्कूल खोलने के पिछले वादों को पूरा करने के लिए कहा है.

संयुक्त राष्ट्र ने भी की थी निंदा     

मानवाधिकारों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त वोल्कर तूर ने बयान जारी करते हुए तालिबान के इस कदम को अफगान महिलाओं और लड़कियों के अधिकार को खत्म करने वाला बताया था. यूएन ने इस तालिबानी कानून को अफगानी महिलाओं के जीवन को अस्थिर करने और जोखिम में डालने वाला बताते हुए रद्द करने का आह्वान किया था.

महिलाओं पर तालिबान का अत्याचार जारी

24 दिसंबर को तालिबान ने गैर सरकारी संगठनों में महिलाओं के काम करने पर प्रतिबंध लगाने का फरमान जारी किया था. तालिबान ने आरोप लगाया था कि काम करने वाली महिलाएं इस्लामिक हेडस्कार्फ को सही तरीके से नहीं पहन रही थी. इससे पहले तालिबान ने महिलाओं के लिए विश्वविद्यालय शिक्षा और लड़कियों के लिए माध्यमिक शिक्षा को अनिश्चित समय के लिए स्थगित कर दिया था.

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