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ट्रंप के साथ भारत के तल्ख संबंधों के बीच रूस चले अजीत डोभाल, PAK के साथ संघर्ष में दिखी थी S-400 और ब्रह्मोस की ताकत

पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों पर भारतीय हवाई हमलों और इसमें भारत-रूस जॉइंट वेंचर के तहत विकसित ब्रह्मोस मिसाइलों तथा एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम की भूमिका की पृष्ठभूमि में यह यात्रा और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है.

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भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल 27-29 मई तक 13वें इंटरनेशनल एनएसए समिट के लिए रूस जा सकते हैं. (PTI Photo)
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल 27-29 मई तक 13वें इंटरनेशनल एनएसए समिट के लिए रूस जा सकते हैं. (PTI Photo)

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल रूस की यात्रा पर जाने वाले हैं. सुरक्षा मुद्दों पर एनएसए की 13वीं अंतरराष्ट्रीय बैठक में भाग लेने के लिए वह मॉस्को जा सकते हैं. यह सम्मेलन 27 से 29 मई तक आयोजित किया जाएगा. बैठक की अध्यक्षता रूस के सुरक्षा परिषद सचिव सर्गेई शोइगु करेंगे. शिखर सम्मेलन के दौरान अजीत डोभाल शोइगु सहित अपने विभिन्न समकक्षों के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगे. द्विपक्षीय सहयोग और क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा के लिए डोभाल के रूसी अधिकारियों से मिलने की भी उम्मीद है. पहलगाम आतंकी हमले के बाद सुरक्षा स्थिति को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस महीने की शुरूआत में अपनी रूस यात्रा रद्द कर दी थी. इस आतंकी हमले में 26 नागरिक मारे गए थे. 

प्रधानमंत्री मोदी को 9 मई को रूस की 80वीं विक्ट्री डे परेड में शामिल होना था. अजीत डोभाल के यह रूस दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब ट्रंप के साथ भारत के संबंध तल्ख चल रहे हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति पाकिस्तान के साथ सीजफायर का जबरदस्ती क्रेडिट ले रहे और खुद ही अपने बयान से पलट जाते हैं. वह कभी कहते हैं कि उन्होंने दोनों देशों के बीच सीजफायर कराने के लिए ट्रेड का इस्तेमाल किया, तो कभी कहते हैं कि सीजफायर में उनकी कोई भूमिका नहीं थी. जबकि भारत ने बार बार स्पष्ट किया है कि सीजफायर के लिए पाकिस्तान खुद आगे आया था और पाकिस्तानी सेना के डीजीएमओ ने अपने भारतीय समकक्ष से हॉट लाइन पर बात करके सीजफायर का अनुरोध किया था.

यह भी पढ़ें: 'जंग भारत का विकल्प नहीं...' NSA अजीत डोभाल की चीनी विदेश मंत्री से क्या बात हुई

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वहीं भारत यह भी स्पष्ट कर चुका है कि पाकिस्तान के साथ संघर्ष के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जेडी वेंस ने खुद पीएम मोदी से बात करने की पहल की थी. दोनों देशों के बीच विदेश मंत्री और एनएसए भी एक दूसरे से संपर्क में थे, लेकिन किसी भी मौके पर ट्रेड बातचीत का हिस्सा नहीं था. फिर भी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कई मंचों से भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर का जबरदस्ती क्रेडिट लेते रहे हैं और इसके लिए ट्रेड का इस्तेमाल करने जैसा गैरजिम्मेदाराना बयान देते रहे हैं. उनके इन बयानों का भारत ने बार बार खंडन किया है.

एस-400 और ब्रह्मोस से चकराया पाकिस्तान

लेकिन जब उन्होंने अपनी यात्रा रद्द कर दी, तो उनकी जगह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को जाना था. हालांकि, रक्षा मंत्री को भी अंततः अपनी रूस यात्रा रद्द करनी पड़ी. रूस दशकों से भारत के सबसे करीबी साझेदारों में से एक और हर परिस्थिति में साथ देने वाला सहयोगी रहा है. विभिन्न देशों के एनएसए की बैठक पहले से ही तय है, लेकिन नई दिल्ली अब पाकिस्तान स्थित टेरर नेटवर्क का मुकाबला करने में भारत-रूस की मजबूत रणनीतिक साझेदारी के अनुरूप मॉस्को से मजबूत राजनीतिक समझ की उम्मीद कर रही है. 

यह भी पढ़ें: पाकिस्तान पर स्ट्राइक के बाद अजीत डोभाल ने अमेरिकी NSA से की बात, रूस-सऊदी को भी दी जानकारी

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पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों पर भारतीय हवाई हमलों और इसमें भारत-रूस जॉइंट वेंचर के तहत विकसित ब्रह्मोस मिसाइलों तथा एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम की भूमिका की पृष्ठभूमि में यह यात्रा और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है. रूस निर्मित एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम और भारत का स्वदेशी आकाशतीर डिफेंस सिस्टम पाकिस्तान के साथ संघर्ष के दौरान महत्वपूर्ण साबित हुए. इन दोनों एयर डिफेंस सिस्टम ने इस महीने की शुरुआत में भारतीय शहरों और सैन्य ठिकानों पर पाकिस्तान से होने वाले ड्रोन और मिसाइल हमलों को हवा में ही निष्क्रिय कर दिया. 

भारत-रूस आतंकवाद के खिलाफ एकजुट

इस महीने की शुरुआत में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पहलगाम आतंकी हमले की निंदा की थी, जिसमें 26 नागरिकों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. उन्होंने इसे एक क्रूर अपराध बताया था और भारत से इसके लिए जिम्मेदार लोगों को न्याय के दायरे में लाने का आह्वान किया था. प्रधानमंत्री मोदी के साथ बातचीत में व्लादिमीर पुतिन ने निर्दोष लोगों की मौत पर अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की थी तथा आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत को पूर्ण समर्थन देने की बात कही थी. भारत के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा था कि दोनों राष्ट्राध्यक्षों ने इस बात पर जोर दिया कि रूस और भारत के बीच संबंध 'बाहरी प्रभाव' से प्रभावित नहीं होंगे और गतिशील रूप से विकसित होते रहेंगे. 

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