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लैंगिक समानता में पिछड़ा भारत, वर्ल्ड इकोनॉमिक सर्वे की रिपोर्ट

वर्षों से लगातार आर्थिक प्रगति के बावजूद भारतीय महिलाओं को अभी भी स्वास्थ्य, शिक्षा और कार्यक्षेत्र में असमानता का सामना करना पड़ रहा है. ये बात 142 देशों के एक सर्वे में सामने आई है. पिछले साल 136 देशों में 101वां स्थान रखने वाला भारत जेनेवा स्थित वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के वार्षिक लैंगिक समानता इंडेक्स में इस साल 114वें स्थान पर खिसक गया है.

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वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम

वर्षों से लगातार आर्थिक प्रगति के बावजूद भारतीय महिलाओं को अभी भी स्वास्थ्य, शिक्षा और कार्यक्षेत्र में असमानता का सामना करना पड़ रहा है. ये बात 142 देशों के एक सर्वे में सामने आई है. पिछले साल 136 देशों में 101वां स्थान रखने वाला भारत जेनेवा स्थित वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के वार्षिक लैंगिक समानता इंडेक्स में इस साल 114वें स्थान पर खिसक गया है. दुनिया के अन्य तेजी से विकसित होती इकोनॉमी में भारत का स्थान बेहद चिंताजनक स्थित पर पहुंच गया है क्योंकि ब्राजील (71), चीन (87) और दक्षिण अफ्रीका (18) इस मामले में भारत से कहीं ऊपर है.

नॉर्डिक देश (आईसलैंड, फिनलैंड, नॉर्वे, स्वीडन और डेनमार्क) इस इंडेक्स में पहले पांच स्थानों पर काबिज हैं. जबकि अमेरिका ने तीन पायदानों की छलांग लगाते हुए इस बार 20वां स्थान अर्जित किया है. अमेरिका में इस बार सैलरी में असमानता कम हुई है और पॉलिटिक्स में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के संस्थापक और कार्यकारी चेयरमैन क्लॉस श्वॉब ने एक बयान में कहा, ‘आर्थिक कारणों से लैंगिक समानता पाना बहुत अहम है. केवल वही देश जिन्होंने अपनी प्रतिभा का पूरा उपयोग किया है वही प्रतियोगी रहेगा और समृद्ध होगा.’

चार कैटेगरी (स्वास्थ्य और उत्तरजीविता, शिक्षा का अवसर, आर्थिक अवसर और राजनीतिक भागीदारी) में सर्वे के बाद बनाए गए इस इंडेक्स में यमन, चाड और पाकिस्तान सबसे नीचे हैं. जबकि फिलीपींस एकमात्र एशियाई देश है जो इस लिस्ट के टॉप 10 में मौजूद है. महिला-पुरुष समानता के मामले में फिलीपींस को 9वां स्थान मिला है.

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वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम 2006 से प्रत्येक साल यह सर्वे कराता आ रहा है और इसकी नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर के 105 देशों में लैंगिक समानता के मामले में सुधार देखा गया है. सबसे ज्यादा सुधार महिलाओं के राजनीति से जुड़ने और नौकरी के मामले में देखा गया है.

हालांकि राजनीति में महिलाओं की भागीदारी के मामले में भारत 15वें स्थान पर पहुंच गया है. लेकिन स्वास्थ्य, शिक्षा, इनकम और कार्यस्थल पर भागीदारी के मामले में यह अंतिम 20 देशों में है.

भ्रष्टाचार और आर्थिक असमानता से त्रस्त भारतीय मतदाताओं ने अभी कुछ ही दिनों पहले आर्थिक विकास और सामाजिक सुधार के वादे करने वाले नए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भारी मतों से विजयी बनाया है. मोदी ने रेप और महिलाओं के प्रति हिंसा के खिलाफ सार्वजनिक रूप से लगातार बोल कर दशकों से राजनीतिक उदासीनता के बीच एक आशा की किरण जगाई है. लिंगभेद के मामले में इस इंडेक्स में भारत सबसे नीचे स्थित आर्मेनिया से सिर्फ एक पायदान ऊपर है. ऐसे में मोदी सरकार ने कहा है कि वो गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य और युवतियों के उत्थान के लिए नए कार्यक्रम की घोषणा करने की योजना बना रही है.

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