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भारत-पाक के बीच बढ़ते तनाव पर आज UNSC की होगी बैठक, पाकिस्तान के अनुरोध पर हो रही मीटिंग

सोमवार यानी आज होने वाली मीटिंग दोनों पक्षों के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष सीमा पार तनाव पर अपनी बात रखने का एक मौका होगी. संयुक्त राष्ट्र में सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष ने कहा था, "यह एक सैद्धांतिक स्थिति है. हम आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा करते हैं. दूसरी तरफ, हम इलाके में बढ़ रहे इस तनाव के बारे में चिंतित हैं."

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भारत-पाकिस्तान तनाव (फाइल फोटो)
भारत-पाकिस्तान तनाव (फाइल फोटो)

पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान (India-Pak Tensions) के बीच बढ़ते तनाव पर चर्चा करने के लिए आज संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद मीटिंग करेगा. यह बयान ऐसे वक्त में आया है, जब एक दिन पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि वह वर्ल्ड सिक्योरिटी बॉडी को 'भारत की आक्रामक कार्रवाइयों, उकसावे और भड़काऊ बयानों' के बारे में बताएगा. इसमें कहा गया है, "पाकिस्तान सिंधु जल संधि को निलंबित करने के लिए भारत की अवैध कार्रवाइयों को विशेष रूप से उजागर करेगा." 

इसके साथ ही पाकिस्तान के द्वारा यह भी कहा गया है कि देश यह साफ करेगा कि नई दिल्ली की कार्रवाइयां किस तरह से 'शांति और सुरक्षा' को खतरे में डाल रही हैं.

मीटिंग में क्या होगा?

सोमवार यानी आज होने वाली मीटिंग दोनों पक्षों के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष सीमा पार तनाव पर अपनी बात रखने का एक मौका होगी. संयुक्त राष्ट्र में ग्रीस के स्थायी प्रतिनिधि और मई के लिए सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष राजदूत इवेंजेलोस सेकेरिस ने पहले PTI से बात करते हुए कहा था, "यह एक सैद्धांतिक स्थिति है. हम आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा करते हैं. दूसरी तरफ, हम इलाके में बढ़ रहे इस तनाव के बारे में चिंतित हैं."

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पहलगाम आतंकवादी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की थी, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे. हमले के बाद, भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई ऐलान किए, जिसमें सिंधु जल संधि को निलंबित करना और अटारी लैंड-ट्रांजिट पोस्ट को तत्काल बंद करने की कार्रवाई शामिल है.

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पाकिस्तान ने बदले की भावना से कदम उठाते हुए सभी भारतीय एयरलाइन्स के लिए अपना एयरस्पेस बंद कर दिया और तीसरे देशों के जरिए नई दिल्ली के साथ व्यापार को निलंबित कर दिया. इसने भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करने को भी अस्वीकार कर दिया और कहा कि संधि के तहत पानी के प्रवाह को रोकने के किसी भी उपाय को 'ऐलान-ए-जंग' के रूप में देखा जाएगा.

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