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डिफेंस सिस्टम भेदने में सक्षम हूतियों की नई मिसाइल? दावे ने अमेरिका और इजरायल की बढ़ाई टेंशन

अमेरिका और इजरायल से लगातार पंगा ले रही हूतियों की सत्ता ने एक नई मिसाइल विकसित करने का दावा किया है, जो न केवल डिफेंस सिस्टम को भेद सकती है, बल्कि एंटी मिसाइल वॉर से निशाना बनाए जाने के बाद और भी घातक हो सकती है. कारण, इसके वॉरहेड में मौजूद छोटे-छोटे कई वॉर हेड बिखर कर तबाही मचा सकते हैं.

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हूती विद्रोहियों ने सोशल मीडिया पर मिसाइल की तस्वीर जारी की है
हूती विद्रोहियों ने सोशल मीडिया पर मिसाइल की तस्वीर जारी की है

दुनिया भर में बढ़ते टकरावों के बीच जहां एक तरफ ड्रोन और मिसाइल हमलों का खतरा बढ़ा है तो वहीं इन खतरों से निपटने के लिए मिसाइल डिफेंस सिस्टम की जरूरत भी बढ़ी है. इजरायल के आयरन डोम से लेकर अमेरिका के गोल्डन डोम तक, कई नाम चर्चाओं में हैं. वहीं पहलगाम आतंकी हमले के बाद हुए भारत और पाकिस्तान टकराव ने एक कारगर रक्षा कवच की जरूरत को और मजबूती से जताया है. 

हालांकि मिसालइल और ड्रोन हमलों के खिलाफ अपने डिफेंस सिस्टम को मजबूत बनाने की कवायद में कई देश जुटे हैं तो वहीं इन डिफेंस सिस्टम को भेदने की तकनीक विकसित करने की भी होड़ जारी है. बीते रविवार यूक्रेन ने रूस के वायुसेना ठिकानों को बेहद छोटे ड्रोन्स का इस्तेमाल कर किए हमले से लड़ाई का एक आयाम दिखाया है. वहीं यमन के हूती ने भी अपनी नई मिसाइल की जानकारियों साझा कर जानकारों को चौंकाया और डराया है. 

अमेरिका और इजरायल से लगातार पंगा ले रही हूतियों की सत्ता ने एक नई मिसाइल विकसित करने का दावा किया है, जो न केवल डिफेंस सिस्टम को भेद सकती है, बल्कि एंटी मिसाइल वॉर से निशाना बनाए जाने के बाद और भी घातक हो सकती है. कारण, इसके वॉरहेड में मौजूद छोटे-छोटे कई वॉर हेड बिखर कर तबाही मचा सकते हैं. यानी यह एक ऐसा हथियार है जो रक्तबीज साबित हो सकता है, मारने की कोशिश किए जाने पर और अधिक नुकसान कर सकता है. 

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इजरायल को धमकी के साथ मिसाइल टेस्ट की तस्वीरें शेयर कीं

यमन में अंसारुल्लाह की सत्ता वाले हूती विद्रोहियों की तरफ से इजरायल के खिलाफ धमकियों के साथ ही इस नई मिसाइल के परीक्षण की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा की गई हैं. बीते कुछ दिनों में यमन की तरफ से इजरायल की राजधानी तेलअवीव के बेन गुरियन एयरपोर्ट समेत कई ठिकानों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है. साथ ही हूती दावा कर रहे हैं कि इस नई मिसाइल का भी वो जल्दी इस्तेमाल कर सकते हैं. 

हालांकि अभी तक यमन के पास इस मिसाइल तकनीक के मौजूदगी पर कोई स्वतंत्र आकलन सामने नहीं आया है. लेकिन ईरान के सरकारी मीडिया ने अपनी रिपोर्ट्स में यमन के पास इस तरह की मिसाइल तकनीक पहुंचने की बात कही है. 

बता दें कि एक ही मिसाइल से कई जगहों को निशाना बनाने की यह तकनीक नई नहीं है. अमेरिका, रूस और फ्रांस समेत कुछ देशों ने मल्टीपल इंडिपेंडेंट रीएंट्री व्हीकल वाली मिसाइल (MIRV) तकनीक को पिछली सदी में ही विकसित कर लिया था. अमेरिका ने तो 70 के दशक में ही MIRV तकनीक के साथ अंतरमहाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइल विकसित कर ली थी. इसके बाद रूस भी पीछे नहीं रहा और उनसे भी 70 के ही दशक में अपनी MIRV मिसाइल बना ली. 

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परमाणु देशों के पास पहले से मौजूद MIRV मिसाइलें

अमेरिका और रूस के पास जमीन ही नहीं पनडुब्बी के जरिए लॉन्च की जाने वाली MIRV बैलेस्टिक मिसाइलें मौजूद हैं जो लंबी दूरी तक मार भी कर सकती हैं और एक साथ कई प्रहार भी कर सकती हैं. इसके अलावा जहां फ्रांस और चीन के पास MIRV मिसाइलें मौजूद हैं. वहीं भारत भी अपनी अग्नि मिसाइल को MIRV बनाने की क्षमता रखता है. भारत की देखा-देखी पाकिस्तान भी अपनी अबाबील मिसाइल को विकसित कर रहा है. 

परमाणु हथियारों की ताकत रखने वाले देशों के पास MIRV तकनीक वाली मिसाइलों का होना बड़ी बात नहीं है. लेकिन यमन जैसे मुल्क और हूतियों की सत्ता के हाथ में MIRV तकनीक वाली मिसाइल का आना एक नए खतरे की घंटी बजाता है. खास तौर पर इजरायल ही नहीं सउदी अरब, जॉर्डन और यूएई जैसे देशो के लिए भी यह खतरा बढ़ा देता है. ऐसे में सवाल उठता है कि हूतियों के पास इस तरह की मिसाइल तकनीक कहां से पहुंची? इस सवाल का कोई सीधा और स्पष्ट जवाब तो मौजूद नहीं है. लेकिन ईरान के साथ हूतियों की जगजाहिर करीबी को देखते हुए इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि यमन ने ईरानी मदद से इसे विकसित किया हो. 

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हूती को कहां से मिली ये तकनीक?

गौरतलब है कि हाल के दिनों में हूतियों ने जहां लाल सागर और अदन की खाड़ी के इलाके में कई जहाजों को निशाना बनाया है. वहीं इजरायल के खिलाफ भी कई हमले किए हैं. अमेरिका की विमानवाहक युद्धपोतों और लड़ाकू विमानों से हुई बमबारी के बावजूद सना में मौजूद हूती सत्ता अपने हमलों को जारी रखे हुए हैं. यमन में मौजूद हूतियों ने ही 2022 में सबसे पहले स्वॉर्म ड्रोन (ड्रोन समूह) तकनीक का इस्तेमाल कर सउदी अरब के अरामको रिफाइनरी पर हमला किया था. 

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