हांगकांग में लोकतंत्र समर्थकों का प्रदर्शन उग्र होता जा रहा है. एयरपोर्ट पर प्रदर्शनकारी जमे हुए हैं. इस बीच गुरुवार को हांगकांग बॉर्डर के पास चीनी सेना ने परेड किया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को ही इसकी घोषणा की थी.
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि हमारी इंटेलिजेंस ने हमें बताया है कि चीन की सरकार हांगकांग की सीमा की ओर सेना बढ़ा रही है. सभी लोग शांत और सुरक्षित रहें.
चीन ने परेड के बहाने से एशियन फाइनेंशियल हब में प्रोटेस्ट कर रहे प्रदर्शनकारियों को सख्त संदेश देना चाहता है. चीनी सैनिकों की बड़ी संख्या में तैनाती इशारा कर रही है कि प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सख्त रुख अपनाने की तैयारी में है.
इसी के मद्देनजर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट किया, 'मुझे पता है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग बहुत अच्छे नेता है. उनके मन में अपने लोगों के लिए बहुत सम्मान है. कठिन फैसले के वक्त भी वे संयम से काम लेते हैं. मुझे इसमें कोई शक नहीं है कि वे हांगकांग संकट का जल्द और मानवीय तरीके से निपटारा करेंगे. वह ऐसा करेंगे.
हांगकांग की एक अदालत ने प्रदर्शनकारियों को शहर के हवाई अड्डे पर विरोध प्रदर्शन को रोकने और कामकाज में बाधा नहीं डालने का आदेश दिया है. हवाई अड्डे के अधिकारियों ने बुधवार को कहा कि उन्हें विशेष रूप से निर्धारित किए क्षेत्रों को छोड़कर परिसर से चला जाने के लिए कहा गया है.
I know President Xi of China very well. He is a great leader who very much has the respect of his people. He is also a good man in a “tough business.” I have ZERO doubt that if President Xi wants to quickly and humanely solve the Hong Kong problem, he can do it. Personal meeting?
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) August 14, 2019
दुनिया के प्रमुख हवाई परिवहन केंद्रों में से एक हांगकांग अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पिछले शुक्रवार से सरकार का विरोध कर रहे हजारों प्रदर्शनकारियों ने डेरा डाला हुआ है. यह प्रदर्शनकारी अपने यहां चल रहे राजनीतिक संकट के बारे में अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों का ध्यान आकर्षित करने के लिए हवाई अड्डे पर बैठे हुए हैं.
दरअसल, किसी व्यक्ति को चीन को प्रत्यर्पित किए जाने संबंधी विधेयक को लेकर भड़के गुस्से के बाद हांगकांग के लाखों लोग सड़कों पर हैं. ब्रिटेन ने 1997 में हांगकांग को चीन को सौंपा था. अब इतने साल बाद चीन शासन के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है.