फ्रांसिसी राष्ट्रपति फ्रैंकोइस होलांदे की इस सप्ताह होने वाली भारत यात्रा का मुख्य मुद्दा व्यापार से जुड़ा होगा. व्यापार के इस मुद्दे में राफेल लड़ाकू जेट, नाभिकीय उर्जा और नई मेट्रो लाइनों के लिए गठजोड़ का कुल 12 अरब डॉलर का समझौता शामिल है.
होलांदे की इस यात्रा पर उनके साथ विदेश मंत्री लॉरेंट फेबियस और रक्षा मंत्री जीन-वायेव्स-ले ड्रियान समेत कुल पांच मंत्री होंगे. इसके अलावा फ्रांस की 60 से भी ज्यादा शीर्ष कंपनियों के प्रमुख भी उनकी इस दो दिवसीय यात्रा का हिस्सा होंगे. होलांदे की यह यात्रा आगामी गुरूवार को शुरू हो रही है.
भारतीय और फ्रांसिसी अधिकारियों ने इस यात्रा के महत्व पर जोर दिया है. पेरिस में भारतीय राजदूत राकेश सूद ने इस बात पर जोर दिया कि होलांदे ने पदभार संभालने के बाद यूरोप और फ्रेंचभाषी अफ्रीका के बाहर अपनी पहली यात्रा के लिए एशिया की उभरती हुई ताकत यानि भारत को चुना है.
एक फ्रांसीसी अधिकारी ने कहा कि इस यात्रा का लक्ष्य ‘15 साल पहले शुरू की गई भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी’ को मजबूत करना है. फ्रांस के डसॉल्ट एविएशन को उम्मीद है कि वह इस साल भारत को कुल 126 राफेल जेट विमान बेचेगा. इस यात्रा के एजेंडे में यह बड़ी संधि शीर्ष प्राथमिकता पर है, हालांकि इस पर यात्रा के दौरान दस्तखत नहीं किए जाने हैं.
एक फ्रांसीसी कूटनीतिक सूत्र ने कहा, ‘चीजें बहुत तेजी से दौड़ रही हैं और हमें उम्मीद है कि जल्दी से जल्दी एक समझौता हो जाएगा, लेकिन यह इस यात्रा के दौरान नहीं होगा.’
भारत के वायुसेना प्रमुख एन ए के ब्राउन ने कहा कि उन्हें इस संधि के जून तक हो जाने की उम्मीद है. उन्होंने कहा, ‘हम चाहते हैं कि यह जल्दी से जल्दी हो ताकि इसे शामिल किया जा सके.’ डसॉल्ट प्रमुख कार्यकारी एरिक ट्रैपियर ने इस बात की पुष्टि में बताया कि भारतीय वार्ताकारों ने 126 विमानों के प्रारंभिक ऑर्डर के साथ 63 अतिरिक्त विमानों की अपनी मांग की जानकारी दे दी है.
होलांदे की यह यात्रा ब्रितानी प्रधानमंत्री डेविड कैमरून की भारत यात्रा के कुछ ही दिन बाद हो रही है. कैमरून भारत में एक प्रतिद्वंदी जेट यूरोफाइटर के लिए लॉबिंग करके गए हैं. आंशिक रूप से ब्रितानी संकाय द्वारा निर्मित ये विमान डसॉल्ट द्वारा ऑर्डर की आपूर्ति करने में विफल रहने पर आपूर्ति देने के लिए तैयार हैं. प्रस्तावित राफेल संधि के अंतर्गत पहले 18 विमान फ्रांस में बनेंगे जबकि बाकी अन्य भारतीय एयरोस्पेस कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के लाइसेंस के तहत बनाए जाएंगे.
इस यात्रा का एक अन्य अहम मुद्दा महाराष्ट्र के तट पर परमाणु बिजली घर बनाने के लिए अरेवा को ठेका देने का है. इस योजना का पर्यावरणविदों द्वारा भारी विरोध किया जा रहा है. वर्ष 2010 में स्वीकृत इस परियोजना में दक्षिणी मुंबई से चार सौ किलोमीटर दूर जैतापुर में दो यूरोपियन दाबानुकूलित संयत्र के लिए है। इसमें चार और संयंत्रों का विकल्प मौजूद है.