736 दिनों के बाद गाजा युद्ध (2023–2025) अब समाप्त होता दिखाई दे रहा है. हमास ने 20 जिंदा इजरायली बंधकों को गाजा से लौटा दिया है और वो अपने परिवारों से मिल चुके हैं.
1948 में स्थापना के बाद पहली बार इजरायल खुद को सुरक्षित महसूस कर रहा है. हमास कमजोर पड़ चुका है, ईरान की तरफ से परमाणु खतरा कम हो गया है और खाड़ी के अरब देशों से इजरायल के रिश्ते, हालांकि नाजुक, फिर भी मजबूती से कायम हैं.
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने डोनाल्ड ट्रंप के साथ अपने राजनीतिक गठबंधन को भी काफी मजबूत कर लिया है.
लगभग दो साल पहले युद्ध की घोषणा करने के बाद, इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने ‘विजय’ की घोषणा की है. लेकिन उन्हें इस जीत की कीमत बहुत भारी पड़ी है.
गाजा में इस युद्ध ने ऐसी अमानवीय हिंसा को जन्म दिया जिसकी कोई मिसाल नहीं. इजरायल की सरकार पर गाजा में नरसंहार और युद्ध अपराधों के आरोप लगे हैं और दुनिया के कई शक्तिशाली देशों ने उसकी कड़ी निंदा की है.

गाजा में इजरायली हमले में कम से कम 67,000 लोगों की मौत हुई और 1,69,000 लोग घायल हुए- यानी हर 33 में से 1 व्यक्ति, या युद्ध से पहले की आबादी के लगभग 3% लोग दो सालों में मारे गए. कुल मिलाकर, हताहतों की संख्या गाजा की 23 लाख की आबादी का करीब 10% बनती है.
मारे गए लोगों में कम से कम 20,000 बच्चे शामिल हैं, यानी पिछले 24 महीनों में हर घंटे एक बच्चे की मौत हुई है.
मरने वालों की वास्तविक संख्या इससे भी कहीं ज्यादा हो सकती है, क्योंकि फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय केवल अस्पतालों में लाए गए या आधिकारिक तौर पर दर्ज मामलों को गिनता है. गाजा में मरने वालों और घायलों की सही संख्या का पता नहीं लगाया गया है लेकिन माना जाता है कि वास्तविक संख्या आधिकारिक आंकड़े से कही अधिक है.
गाजा में इजरायल ने हमले तो जारी रखे हीं, साथ ही नाकेबंदी भी बढ़ा दी थी जिससे क्षेत्र अकाल की चपेट में आ गया है. कम से कम 459 लोगों की मौत भूख से हुई, जिनमें 154 बच्चे शामिल हैं. अकाल की वजह से गाजा के हर चार में से एक बच्चा कुपोषण से पीड़ित है और हर पांच में से एक शिशु समय से पहले या कम वजन के साथ जन्म ले रहा है.
अमेरिकी रिसर्चर कोरी शेर और जैमॉन ली के सैटेलाइट सर्वे के अनुसार, 2 अक्टूबर 2025 तक गाजा पट्टी में कम से कम 1,98,883 इमारतें- यानी कुल ढांचे का लगभग 60% युद्ध में क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं.
युद्ध की आर्थिक कीमत इजरायल के लिए लगभग 62 अरब डॉलर (करीब ₹5.5 लाख करोड़) तक पहुंच गई है.