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इजरायली सोशल मीडिया अकाउंट को फॉलो, लाइक करना भी क्राइम... ईरान की नई जासूस विरोधी नीति

नए नियमों के तहत अब साइबर युद्ध, हथियारों की तस्करी और विदेशी मीडिया के साथ सूचना साझा करना भी अपराध माना जाएगा, जिससे सामाजिक कार्यकर्ताओं और नागरिक पत्रकारों को कठोर दंड का सामना करना पड़ सकता है.

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ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनई (फाइल फोटो)
ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनई (फाइल फोटो)

इजरायल के साथ सैन्य टकराव के बाद अब ईरानी सरकार ने देश के भीतर एक सख्त दमन अभियान शुरू कर दिया है, जिसे "विदेशी घुसपैठ" के जवाब के रूप में पेश किया जा रहा है. सरकार ने जासूसी की परिभाषा को इस हद तक विस्तारित कर दिया है कि अब सोशल मीडिया पर किसी इजरायल से जुड़े अकाउंट को फॉलो करना, लाइक या कमेंट करना भी आपराधिक कृत्य माना जाएगा.

25 जून को ईरान ने तीन कुर्द नागरिकों को मोसाद के साथ सहयोग करने के आरोप में फांसी दे दी, ठीक एक दिन पहले जासूसी की नई विस्तृत परिभाषा वाला कानून पास हुआ था. इस कानून में "शत्रु देशों" जैसे इजरायल और अमेरिका के साथ किसी भी प्रकार का सहयोग 'पृथ्वी पर भ्रष्टाचार' (Corruption on Earth) की श्रेणी में रखा गया है, जो ईरान में मौत की सज़ा योग्य अपराध है.

नए नियमों के तहत अब साइबर युद्ध, हथियारों की तस्करी और विदेशी मीडिया के साथ सूचना साझा करना भी अपराध माना जाएगा, जिससे सामाजिक कार्यकर्ताओं और नागरिक पत्रकारों को कठोर दंड का सामना करना पड़ सकता है.

अब सोशल मीडिया भी ईरानी न्याय मंत्रालय के नए आदेशों की चपेट में आ चुका है. मंत्रालय ने राष्ट्रव्यापी चेतावनी जारी कर कहा है कि यदि कोई नागरिक जायोनी शासन से जुड़े सोशल मीडिया अकाउंट को फॉलो करता है, या उनके पोस्ट्स पर इंटरैक्ट करता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जा सकती है.

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नागरिकों को भेजे गए संदेशों में मंत्रालय ने यह भी चेतावनी दी है कि ऐसे मामलों में गिरफ्तारी और सजा तय है.

दरअसल, ईरान में इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद की गहरी पैठ है, जो हालिया 13 जून के इज़रायली हमलों के दौरान सामने आई, जब इजरायली ड्रोन और रॉकेट ईरानी वायु सुरक्षा प्रणालियों को देश के भीतर से निष्क्रिय करने में सक्षम रहे. हालांकि, ईरानी शासन इन जासूसों पर कार्रवाई को विरोधियों और असहमति जताने वालों के खिलाफ दमन का हथियार बना रहा है.

इंटरनेट कट, आज़ादियां बंद

इजरायल के साथ युद्ध के दौरान ईरान सरकार ने देशभर में इंटरनेट बंद कर दिया, यह कहते हुए कि इज़रायल इंटरनेट का सैन्य लाभ के लिए इस्तेमाल कर रहा है. केवल राज्य-मान्य विदेशी मीडिया के संवाददाताओं को सीमित इंटरनेट की अनुमति दी गई. हालांकि देशी मैसेजिंग ऐप्स चालू हैं, लेकिन युवा ईरानी इनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं.

राज्य मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, खुफिया एजेंसियों ने एक ऐसे समूह का भी भंडाफोड़ किया है जो शाह के बेटे रज़ा पहलवी के समर्थकों से संपर्क कर रहा था. गिरफ्तार किए गए लोगों में मानवाधिकार कार्यकर्ता और पूर्व राजनीतिक कैदी हमीद दस्तवानेह और फैज़ुल्लाह अज़रनूश शामिल हैं, जिनके बेटे पेदराम की 2022 के प्रदर्शनों में सुरक्षा बलों द्वारा हत्या कर दी गई थी.

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लुरेस्तान, करमनशाह और अन्य प्रांतों में भी गिरफ्तारियाँ हुईं, जहां अधिकारियों ने "इज़रायल समर्थक साइबर कार्यकर्ताओं" को पकड़ने का दावा किया.

मोबाइल चेकिंग, जनता में डर

तलाशी बढ़ाने के लिए शहरों के प्रमुख प्रवेश और निकास बिंदुओं पर मिलिशिया इकाइयों द्वारा चेकपॉइंट बनाए गए हैं, जहाँ लोगों के मोबाइल फोन की जांच हो रही है- मैसेज, इमेज, या "राजद्रोही ऐप्स" खोजे जा रहे हैं.

मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि नए कानूनों की अस्पष्ट और विस्तृत परिभाषाएं आम नागरिकों को भी जासूसी के आरोप में फंसा सकती हैं.

कार्लटन विश्वविद्यालय के कानूनी विद्वान हुसैन रईसी ने IranWire को बताया, "इस कानून में जासूसी की परिभाषा बहुत व्यापक है. इसे ‘पृथ्वी पर भ्रष्टाचार’ कहना इस्लामिक और सामान्य कानून दोनों दृष्टिकोणों से अनुचित है. यह कानून आम नागरिकों को फंसाने का औजार बन सकता है, जबकि असली जासूसों को नहीं पकड़ा जाएगा."

भय के साए में ईरान

एक तेहरान स्थित कार्यकर्ता, जो 2022 के विरोध प्रदर्शन में जेल जा चुका है, ने कहा, "अभी हम बहुत सतर्क हैं. डर है कि शासन इस स्थिति को बहाना बना सकता है. मेरे कई जानने वालों को पहले ही समन भेजा जा चुका है."

जैसे-जैसे गिरफ्तारियां बढ़ रही हैं और चेकपॉइंट्स की संख्या भी, मानवाधिकार संगठनों ने चेतावनी दी है कि अब सोशल मीडिया पर किसी पोस्ट को लाइक करना या किसी पेज को फॉलो करना भी जीवन-मृत्यु का मामला बन सकता है.

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