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चीन ने पास किया लैंड बॉर्डर पर कानून, जानिए भारत से सीमा विवाद पर क्या होगा असर?

नए कानून में कहा गया है, "चीन के जनवादी गणराज्य की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता अटूट और अनुल्लंघनीय है. चीन क्षेत्रीय अखंडता और भूमि की सीमाओं की रक्षा के लिए उपाय करेगा और क्षेत्रीय संप्रभुता और भूमि सीमाओं को कमजोर करने वाले किसी भी कार्य से बचाव करेगा.

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चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग
स्टोरी हाइलाइट्स
  • चीन ने लैंड बॉर्डर पर कानून पास किया
  • इसमें क्षेत्रीय अखंडता और सीमाओं की रक्षा का जिक्र

भारत से चल रहे सीमा विवाद के बीच चीन ने फिर नई चाल चली है. दरअसल, चीन ने लैंड बॉर्डर पर कानून पास किया है. इस संसद से मंजूरी भी मिल गई है. यह कानून 1 जनवरी से लागू हो रहा है. माना जा रहा है कि ये कानून भारत-चीन सीमा विवाद पर भी असर डाल सकता है. आईए जानते हैं कि ये कानून क्या है और सीमा विवाद पर इसका क्या असर होगा?

क्या है कानून में?
नए कानून में कहा गया है, "चीन के जनवादी गणराज्य की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता अटूट और अनुल्लंघनीय है. चीन क्षेत्रीय अखंडता और भूमि की सीमाओं की रक्षा के लिए उपाय करेगा और क्षेत्रीय संप्रभुता और भूमि सीमाओं को कमजोर करने वाले किसी भी कार्य से बचाव करेगा.

कानून में यह भी कहा गया है कि चीन सीमा रक्षा को मजबूत करने, आर्थिक और सामाजिक विकास का समर्थन करने के साथ-साथ सीमावर्ती क्षेत्रों में खुलने, ऐसे क्षेत्रों में सार्वजनिक सेवाओं और बुनियादी ढांचे में सुधार करने, लोगों के जीवन को प्रोत्साहित करने और समर्थन करने और वहां काम करने के लिए उपाय करेगा. सीमा रक्षा और सीमावर्ती क्षेत्रों में सामाजिक, आर्थिक विकास के बीच समन्वय को बढ़ावा देगा. 

बातचीत से हल होंगे पड़ोसी देशों से विवाद
इसमें कहा गया है कि राज्य (चीन) समानता, आपसी विश्वास और मैत्रीपूर्ण परामर्श के सिद्धांत का पालन करते हुए, विवादों और लंबे समय से चले आ रहे सीमा मुद्दों को ठीक से हल करने के लिए बातचीत के माध्यम से पड़ोसी देशों के साथ भूमि सीमा संबंधी मामलों का समाधान करेगा. इस कानून में कहा गया है कि चीनी सेना अभ्यास समेत सीमा कर्तव्यों का पालन करेगी और आक्रमण, अतिक्रमण, उकसावे और अन्य कृत्यों को दृढ़ता से मुकाबला करेगी. इस कानून में सीमावर्ती कस्बों के निर्माण में राज्य का समर्थन, उनके कामकाज में सुधार और निर्माण के लिए सहायक क्षमता को मजबूत करना शामिल है. 
 
बॉर्डर के नजदीक लगातार निर्माण करने में जुटा चीन
पिछले कुछ सालों में चीन ने बॉर्डर पर हवाई, रेल और सड़क नेटवर्क की स्थापना समेत बुनियादी ढांचे को मजबूत किया है. चीन ने तिब्बत में बुलेट ट्रेन भी शुरू की है, इसे अरुणाचल प्रदेश के करीब सीमावर्ती शहर निंगची तक बढ़ाया गया है. इसके अलावा तिब्बत में चीन ने बॉर्डर के नजदीक कई गांवों का निर्माण शुरू किया है, इन्हें व्यवस्थित इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ बनाया जा रहा है. ग्लोबल टाइम्स ने 19 अक्टूबर को इनको लेकर छापी रिपोर्ट में इसे बॉर्डर डिफेंस में अहम और जरूरी कदम बताया. 
 
सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, बॉर्डर पर 600 से अधिक उच्च-मानक युक्त सीमावर्ती गांवों का निर्माण किया गया. इन गांवों को जोड़ने वाली सड़कें भी काफी सुलभ हैं. इतना ही नहीं 3080 किमी की 130 बॉर्डर रोड का निर्माण या पुनर्निर्माण किया गया. चीन का भारत और भूटान दो देशों से सीमा को लेकर विवाद चल रहा है. अभी इनके बीच बॉर्डर एग्रीमेंट तय नहीं हुआ है. जबकि बीजिंग ने 12 पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवाद निपटा लिया है.  
 
भारत के साथ सीमा विवाद पर नए कानून का क्या असर पड़ेगा? 
पिछले हफ्ते भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा था कि पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर हुईं घटनाओं ने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति को प्रभावित किया है और इसका स्पष्ट रूप से संबंधों पर भी व्यापक प्रभाव पड़ा है. विदेश सचिव ने विदेश मंत्री एस जयशंकर के उस बयान का भी जिक्र किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत और चीन की एक साथ काम करने की क्षमता एशियाई सदी का निर्धारण करेगी.  

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उन्होंने कहा था कि हमें आशा है कि चीनी पक्ष मौजूदा मुद्दों पर एक संतोषजनक समाधान लाने के लिए हमारे साथ काम करेगा ताकि एक दूसरे की संवेदनशीलता, आकांक्षाओं और हितों को ध्यान में रखते हुए हमारे द्विपक्षीय संबंधों पर प्रगति हो सके. 


 

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