भारत ने 74वें गणतंत्र दिवस के मौके पर पहली बार किसी अरब देश के मुखिया को चीफ गेस्ट कै न्योता दिया. मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल सीसी गुरुवार को गणतंत्र दिवस परेड के गवाह बने. वह ऐसे समय पर भारत पहुंचे, जब दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे हो गए हैं.
मिस्र के राष्ट्रपति के भारत आने को एक कूटनीतिक जीत के तौर पर देखा जा रहा है जबकि सच्चाई यह है कि इस समय मिस्र को भारत की दोस्ती की सबसे अधिक दरकार है. मिस्र के हालात ऐसे हैं कि उसने बदहाली के मामले में पाकिस्तान को भी पीछे छोड़ दिया है.
पाकिस्तान से भी बुरे दौर से गुजर रहा मिस्र
मिस्र भयंकर आर्थिक संकट से गुजर रहा है. इसे उसका अब तक का सबसे बुरा दौरा बताया जा रहा है. महंगाई, गरीबी और बेरोजगारी से जूझ रहे मिस्र के लोग दाने-दाने को तरस रहे हैं. देश में महंगाई दर 20 फीसदी के पार चली गई है. मुद्रा लगातार गोते खा रही है. मिस्र के लोग महंगाई से इतने त्रस्त हैं कि दाने-दाने को जूझ रहे हैं. हालात इतने बुरे हैं कि सरकार ने बैंकों से पैसे निकालने की सीमा सीमित कर दी है. रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना ने मिस्र की कमर तोड़ दी है.
एक तरफ गरीबी, महंगाई और बेरोजगारी जैसी दिक्कतें मुंह बाए खड़ी हैं तो दूसरी तरफ भ्रष्टाचार और अंदरूनी कलह भी जिम्मेदार है. रूस और यूक्रेन युद्ध की वजह से देश का पर्यटन क्षेत्र चौपट हो गया है. पर्यटन से मिस्र की अर्थव्यवस्था को सबसे अधिक लाभ होता था.
मिस्र के हालात भी किसी से छिपे नहीं है. कोरोना के बाद मिस्र में बदहाली का दौर है. मिस्र के अंदरूनी हालात इतने खराब हैं कि उसे कर्जा तक नहीं मिल पा रहा है. औसे में मोदी सरकार ने मिस्र के साथ रक्षा सहित कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए है.
इस दौरान अल सीसी ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ मुलाकात के बाद मिलकर तय किया गया कि अगले पांच सालों में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को 12 अरब डॉलर किया जाएगा. इस दौरान आतंकवाद पर भी मिस्र ने भारत का बखूबी साथ दिया.
मिस्र पर विदेशों से लिया कर्ज बढ़कर 170 अरब डॉलर के पार हो गया है और अब स्थिति ऐसी हो गई है कि कोई भी मुस्लिम राष्ट्र मिस्र को कर्ज देने के लिए तैयार नहीं है.
कैसे मिस्र की मदद कर रहा भारत?
भारत अप्रैल 2022 से मिस्र को रियायती दरों पर सैकड़ों टन गेहूं उपलब्ध करा रहा है. अप्रैल 2022 में भारत और मिस्र के बीच 10 लाख टन गेहूं की सप्लाई को लेकर बात हुई थी. लेकिन मई में भारत खुद गेहूं की किल्लत से जूझ रहा था, जिसका नतीजा यह हुआ है कि मोदी सरकार ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी. इसके बावजूद भारत ने कई देशों को गेहूं भेजना जारी रखा, जिसमें मिस्र भी शामिल था.
भारत की एक कंपनी ने मिस्र में ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट स्थापित करने के लिए एक करार किया है, जिसके तहत भारतीय कंपनी मिस्र में आठ अरब डॉलर का निवेश करने जा रही है.
पश्चिम एशिया और अफ्रीका की राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाले मिस्र को शिक्षा, रक्षा सहित कई क्षेत्रों में भारत के निवेश की जरूरत है. रिपोर्ट के मुताबिक, अल सीसी की यह यात्रा उनके कई एजेंडों पर टिकी है, जिनमें रक्षा क्षेत्र में भारत की मदद सर्वोपरि है. इसके साथ वह शिक्षा के सेक्टर में भी भारत की मदद का हाथ चाहता है. यही वजह रही कि भारत से हल्के लड़ाकू विमान, रडार, सैन्य हेलीकॉप्टर और सैन्य सामान खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है. वह भारत से तेजस विमान खरीदने को लेकर पहले ही बातचीत भी कर चुका है. मिस्र भारत से आकाश मिसाइल और स्मार्ट एंटी-एयरफील्ड सिस्टम खरीदने पर विचार कर रहा है.
अल सीसी ने पढ़े पीएम मोदी की तारीफ के कसीदें
मिस्र के राष्ट्रपति तीसरी बार भारत दौरे पर पहुंचे. वह पहली बार 2015 और दूसरी बार 2016 में भारत आए थे. 24 जनवरी को भारत पहुंचे अल सीसी ने पीएम मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि मैं 2015 में न्यूयॉर्क में प्रधानमंत्री मोदी से मिला था और मुझे उन पर पूरा भरोसा था. मुझे पता था कि वह अपने देश को आगे ले जाएंगे. मैंने हमारे संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को मिस्र आने के लिए आमंत्रित किया था.
आतंकवाद पर भारत को मिस्र का साथ
पीएम मोदी और अल सीसी के बीच आतंकवाद को लेकर चर्चा हुई. दोनों देशों ने सीमापार आतंकवाद पर चिंता जताते हुए इस पर सहमति जताई कि सीमापार आतंकवाद को नियंत्रित करने के लिए कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए. इस दौरान सीसी ने आश्वस्त किया कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद के मुद्दे को उठाए जाने पर मिस्र, भारत का साथ देगा.
भारत ने राष्ट्रपति सीसी को आगामी जी-20 बैठक में मिस्र को बतौर अतिथि देश के रूप में आमंत्रित किया है.
मोदी ने कहा कि भारत और मिस्र दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यताएं हैं. दोनों देशों के बीच कई हजार साल पुराने संबंध हैं. मिस्र के साथ भारत का व्यापार गुजरात के लोथल बंदरगाह से होता है. हमने फैसला किया है कि भारत, मिस्र रणनीतिक साझेदारी के तहत हम राजनीति, सुरक्षा, आर्थिक और वैज्ञानिक क्षेत्रों में अधिक सहयोग के लिए लंबी अवधि की साझेदारी पर काम करेंगे.