scorecardresearch
 

गाजा पर इतना कुछ करके भी क्यों मुश्किल लग रहा ट्रंप को नोबेल मिलना?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नोबेल शांति पुरस्कार के लिए कई बार दावेदारी पेश की है. उनका दावा रहा है कि उन्होंने सात युद्ध खत्म करवाए और गाजा में युद्ध का खात्मा उनकी आठवीं ऐसी कोशिश होगी. लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का रिकॉर्ड नोबेल समिति के मानदंडों से मेल नहीं खाता.

Advertisement
X
ट्रंंप खुद को नोबेल शांति पुरस्कार का मजबूत दावेदार बता रहे हैं लेकिन एक्सपर्ट्स आशंकित हैं (Representative Image-AI)
ट्रंंप खुद को नोबेल शांति पुरस्कार का मजबूत दावेदार बता रहे हैं लेकिन एक्सपर्ट्स आशंकित हैं (Representative Image-AI)

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस साल जनवरी में सत्ता में आने के बाद से ही नोबेल शांति पुरस्कार की दावेदारी पेश कर रहे हैं. उनकी इस दावेदारी ने संभावित पुरस्कार विजेताओं को लेकर दिलचस्पी बढ़ा दी है. नोबेल पुरस्कार के विजेताओं की घोषणा सोमवार से शुरू हो चुकी है और चिकित्सा के क्षेत्र में यह पुरस्कार अमेरिका की मैरी ई. ब्रंकॉ, फ्रेड राम्सडेल और जापान के शिमोन सकागुची को दिया जाएगा.

मंगलवार को फिजिक्स, बुधवार को केमिस्ट्री और गुरुवार को साहित्य के पुरस्कार की घोषणा होगी. नोबेल शांति पुरस्कार विजेता की घोषणा शुक्रवार को की जानी है. ट्रंप के दावों के बावजूद, कई विशेषज्ञों का मानना है कि इस साल उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार मिलने की संभावना बेहद कम है.

पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट, ऑस्लो की निदेशक नीना ग्रेगर ने कहा, 'उनके (ट्रंप के) बयान शांतिपूर्ण नजरिए की ओर इशारा नहीं करते हैं.' उन्होंने कहा कि ट्रंप का इस साल पुरस्कार जीतना बेहद मुश्किल है.

ट्रंप का दावा, 'किसी ने अब तक इतने युद्ध खत्म नहीं करवाए'

ट्रंप लगातार दावा करते रहे हैं कि उन्होंने दुनिया में चल रहे सात युद्ध खत्म करवाए हैं जिसके लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार दिया जाना चाहिए. मंगलवार को भी उन्होंने अपने इस दावे को दोहराया और कहा कि वो अब आठवां युद्ध खत्म करवाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.

Advertisement

उन्होंने कहा कि अगर इजरायल और हमास गाजा में दो साल से चल रहे युद्ध को सुलझाने के लिए उनकी शांति योजना को स्वीकार कर लेते हैं, तो गाजा युद्ध आठवां होगा जिसे खत्म करने का श्रेय उन्हें जाता है.

वर्जीनिया के मरीन कॉर्प्स बेस क्वांटिको में मिलिट्री लीडर्स को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, 'किसी ने भी अब तक इतने युद्ध नहीं खत्म करवाए होंगे. लेकिन क्या वो मुझे नोबेल पुरस्कार देंगे? बिल्कुल नहीं. वे इसे किसी ऐसे व्यक्ति को दे देंगे जिसने कुछ भी नहीं किया हो.'

ट्रंप का रिकॉर्ड पुरस्कार समिति के स्टैंडर्ड्स से मेल नहीं खाता

नोबेल पुरस्कार के दिग्गजों का कहना है कि पुरस्कार समिति अल्पकालिक कूटनीतिक उपलब्धियों के बजाय लगातार और बहुपक्षीय प्रयासों के आधार पर फैसला लेती है. हेनरी जैक्सन सोसाइटी के इतिहासकार और रिसर्च फेलो थियो जेनोउ ने कहा कि ट्रंप की पहल का अभी तक कोई स्थायी प्रभाव नहीं दिखा है. 

समाचार एजेंसी एपी ने जेनोउ के हवाले से कहा, 'मुझे नहीं लगता कि वो दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार किसी ऐसे व्यक्ति को देंगे जो जलवायु परिवर्तन को नहीं मानता. जब आप पिछले विजेताओं को देखते हैं जो समाज में सेतु-निर्माता रहे हैं, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और सुलह का प्रतीक रहे हैं. ट्रंप के लिए हम ऐसा नहीं कह सकते.'

Advertisement

विशेषज्ञों के अनुसार, नॉर्वे की नोबेल समिति आमतौर पर स्थायी शांति, अंतरराष्ट्रीय भाईचारे और संस्थाओं के शांतिपूर्ण योगदान के आधार पर विजेता का फैसला करती है. ट्रंप का रिकॉर्ड इन मानदंडों से मेल नहीं खाता. उन्होंने अक्सर बहुपक्षीय संस्थाओं की आलोचना की है और जलवायु परिवर्तन जैसे वैश्विक मुद्दों को नजरअंदाज किया है,  ये बातें उनके खिलाफ जा सकती हैं.

फिर भी, ट्रंप बार-बार नोबेल को लेकर चर्चा में बने रहना चाहते हैं. हाल ही में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा था, 'हर कोई कहता है कि मुझे नोबेल शांति पुरस्कार मिलना चाहिए.'

ट्रंप की यह टिप्पणी इसलिए भी मायने रखती है क्योंकि कोई व्यक्ति खुद को नोबेल के लिए नॉमिनेट नहीं कर सकता.

नोबेल के लिए कई बार नॉमिनेट हो चुके हैं ट्रंप

ट्रंप 2018 से नोबेल शांति पुरस्कार के लिए कई बार नॉमिनेट हो चुके हैं. बीते दिसंबर में अमेरिकी सांसद क्लाउडिया टेनी ने उन्हें नोबेल के लिए नॉमिनेट किया था. उनका कहना था कि 2020 में इजरायल और अरब देशों के बीच हुए अब्राहम समझौते में ट्रंप की भूमिका के लिए उन्हें नोबेल दिया जाना चाहिए.

इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार ने भी इस साल ट्रंप का नाम पुरस्कार के लिए आगे बढ़ाया है, लेकिन ये नॉमिनेशन 2025 के पुरस्कार की समय सीमा (1 फरवरी) के बाद किए गए, इसलिए इन्हें शामिल नहीं किया गया.

Advertisement

नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकन की अंतिम तिथि 31 जनवरी 2025 थी. इसका मतलब है कि अब अगर ट्रंप का नामांकन पहले से दर्ज नहीं हुआ है, तो उन्हें इस साल पुरस्कार नहीं मिल सकता.

बराक ओबामा की तरह की ट्रंप को नोबेल देना हो सकता है विवादित

2009 में जब नोबेल समिति ने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को उनके पहले कार्यकाल के सिर्फ नौ महीने बाद पुरस्कार दिया था तब उसकी तीखी आलोचना हुई थी.

कई लोगों ने तर्क दिया था कि ओबामा ने इतने समय तक वो काम नहीं किया जिससे कि उन्हें शांति का नोबेल पुरस्कार दिया जा सके. ऐसे में अगर ट्रंप को शांति का पुरस्कार दिया जाता है तो समिति को काफी आलोचना झेलनी पड़ सकती है. 

ट्रंप का विवादास्पद राजनीतिक इतिहास और उनके कार्यकाल की नीतियां नोबेल कमेटी के लिए चुनौती हो सकती हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि 'नोबेल समिति राजनीतिक दबाव से परे रहकर फैसले लेती है, और ट्रंप की विवादित पर्सनैलिटी उनके चुनाव की प्रक्रिया को मुश्किल बनाती है. समिति 2009 के समय हुआ विवाद दोहराना नहीं चाहेगा.

अगर ट्रंप की मध्यस्थता से आने वाले महीनों में गाजा में स्थायी युद्धविराम और शांति व्यवस्था स्थापित होती है, तो 2026 में उन्हें नोबेल के लिए गंभीर उम्मीदवार माना जा सकता है.

Advertisement

पूर्व ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने कहा है कि 'अगर ट्रंप यह प्लान सफल बना देते हैं, तो उन्हें नोबेल मिलना चाहिए- इससे बड़ा शांति प्रयास हाल के सालों में नहीं हुआ है.'

ट्रंप के लिए आसान नहीं गाजा में शांति बहाल करना

इजरायल और हमास के प्रतिनिधि दो साल से जारी इजरायल-गाजा युद्ध को खत्म करने के लिए मिस्र के शर्म अल-शेख में अप्रत्यक्ष वार्ता शुरू कर चुके हैं. माना जा रहा है कि युद्ध खत्म करने का यह अब तक की सबसे अहम कोशिश है.

इजरायल और हमास डोनाल्ड ट्रंप के 20 सूत्रीय शांति प्रस्ताव पर बातचीत कर रहे हैं जिसे इजरायल ने पूरी तरह और हमास ने आंशिक रूप से मंजूरी दी है. हालांकि यह सिर्फ कुछ पन्नों का फ्रेमवर्क है और कई अहम मुद्दों पर मतभेद बरकरार हैं. ट्रंप जब तक इन चार मुद्दों को नहीं सुलझा लेते, गाजा में स्थायी शांति की उम्मीद करना बेमानी है-

बंधक रिहाई का मसला

ट्रंप की योजना के मुताबिक, समझौता होते ही 72 घंटे के भीतर सभी बंधकों की रिहाई होनी चाहिए. माना जा रहा है कि गाजा में अब भी 48 इजरायली बंधक हैं, जिनमें से लगभग 20 जीवित हैं. हमास ने 'एक्सचेंज फॉर्मूला' पर सैद्धांतिक सहमति दी है, लेकिन यह साफ नहीं है कि वो बाकी समझौते के पूरा होने से पहले बंधक छोड़ेगा या नहीं.

Advertisement

दोनों पक्षों के बीच अविश्वास इतना ज्यादा है कि पिछले महीने इजरायल ने हमास की वार्ता टीम पर दोहा में हवाई हमला कर दिया था. इस हमले से कतर बेहद नाराज हुआ था जिसके बाद अमेरिकी दबाव में इजरायल को माफी मांगनी पड़ी थी.

हमास का निरस्त्रीकरण करा पाएंगे ट्रंप?

इजरायल का एक ही लक्ष्य रहा है- हमास का पूर्ण विनाश. ट्रंप के प्लान में हमास से हथियार डालने की शर्त रखी गई है, लेकिन संगठन ने कहा है कि वो ऐसा तभी करेगा जब फिलिस्तीनी राष्ट्र की स्थापना होगी. 

हमास की ताजा प्रतिक्रिया में निरस्त्रीकरण का कोई जिक्र नहीं, जिससे साफ है कि वो हथियार न डालने के अपने रुख पर कायम है.

इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू भी अपने रुख पर अड़े हुए और वो कह रहे हैं- हमास से हथियार डलवाए जाएंगे और गाजा का असैन्यीकरण किया जाएगा, चाहे आसान रास्ता हो या कठिन.'

गाजा की भविष्य की सरकार पर मतभेद

ट्रंप के प्रस्ताव के अनुसार, युद्ध के बाद गाजा की सत्ता हमास के पास नहीं रहेगी. शासन एक अस्थायी फिलिस्तीनी तकनीकी समिति के पास होगा, जिसकी निगरानी मिस्र स्थित 'बोर्ड ऑफ पीस' करेगा. बोर्ड की अध्यक्षता खुद ट्रंप और पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर करेंगे. बाद में जाकर सत्ता फिलिस्तीनी अथॉरिटी (PA) को सौंप दी जाएगी.

Advertisement

हालांकि नेतन्याहू ने पीए की भूमिका पर आपत्ति जताई है और उनके धुर-दक्षिणपंथी सहयोगी भी पीए को मान्यता नहीं देते हैं. वहीं, हमास का भी कहना है कि वो एकीकृत फिलिस्तीनी आंदोलन का हिस्सा बने रहना चाहता है- जो इजरायल और ट्रंप दोनों के लिए अस्वीकार्य है.

गाजा से इजरायल की वापसी का विवाद

ट्रंप के गाजा प्लान में कहा गया है कि इजरायली सेना धीरे-धीरे गाजा से हटेगी, तीन चरणों में. पहले चरण में 55% इलाका इजरायल के नियंत्रण में रहेगा, दूसरे में 40% और तीसरे में केवल 15%- जो एक 'सुरक्षा घेरा' होगा, जब तक गाजा 'आतंकी खतरे से पूरी तरह मुक्त' न हो जाए.

हालांकि ट्रंप के प्लान में गाजा से इजरायल की पूर्ण वापसी की कोई स्पष्ट समयसीमा नहीं है, जो हमास के लिए अस्वीकार्य मानी जा रही है. साथ ही, व्हाइट हाउस की तरफ से जारी नक्शा इजरायली सैन्य नक्शों से मेल नहीं खाता जिससे विवाद पैदा हो रहा है.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement