पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसिफ मुनीर दो महीने में दो बार अमेरिका का दौरा कर चुके हैं. मुनीर का अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ डिनर भी चर्चा का विषय रहा है. पाकिस्तान की ओर से ट्रंप को शांति के नोबेल पुरस्कार के लिए नामित करने की खबरें भी सामने आईं. ऐसे में कयास लगाए गए कि अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्तों में लगातार गर्मजोशी बढ़ रही है और एक्सपर्ट्स भी ऐसा ही मान रहे हैं.
अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञ मैक्स अब्राहम्स का कहना है कि ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में अमेरिकी सरकार का झुकाव पाकिस्तान की ओर है. उनका ये दावा हाल के राजनयिक, सैन्य और व्यापारिक संकेतों पर आधारित है, जिसे लेकर अब्राहम्स का कहना है कि इससे अमेरिका-भारत संबंध कमजोर पड़ रहे हैं.
मैक्स अब्राहम्स ने कहा कि ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के हाल के कदमों से लगता है कि वह भारत के बजाय पाकिस्तान के साथ संबंधों को मजबूत कर रहा है. यह दावा हाल के राजनयिक, सैन्य और व्यापारिक घटनाक्रमों पर आधारित है, जो अमेरिका-भारत संबंधों को कमजोर करने का संकेत देते हैं.
जून 2025 में ट्रंप ने आसिम मुनीर की व्हाइट हाउस में मेजबानी की, जो चौंकाने वाला था. यह पहली बार था जब किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख को व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया. इस मुलाकात में ट्रंप ने मुनीर को बेहद प्रभावशाली बताया और भारत-पाकिस्तान के बीच मई 2025 में हुए चार दिवसीय संघर्ष को रोकने में उनकी भूमिका की सराहना की.
वहीं, ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष को रोकने में मध्यस्थता की, हालांकि भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने स्पष्ट किया कि इस दौरान किसी तीसरे पक्ष ने कोई मध्यस्थता नहीं की और पाकिस्तान ने ही युद्धविराम का अनुरोध किया था.
ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान के साथ आतंकवाद-रोधी सहयोग को बढ़ावा दिया है. जून 2025 में अमेरिकी सेंट्रल कमांड (CENTCOM) के प्रमुख जनरल माइकल कुरिला ने कहा कि पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में अब्बे गेट बम विस्फोट के संदिग्ध को पकड़ने में मदद की. उन्होंने पाकिस्तान को आतंकवाद-रोधी दुनिया में एक शानदार साझेदार बताया.
पाकिस्तान अमेरिका से क्रिप्टोकरेंसी और महत्वपूर्ण खनिजों जैसे क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करने की कोशिश कर रहा है. विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप की व्यक्तिगत रुचि इन क्षेत्रों में है, जिसके कारण पाकिस्तान के साथ आर्थिक संबंधों को बढ़ावा मिल सकता है.
ट्रंप ने भारत पर रूस से तेल खरीदने के लिए 50 फीसदी तक टैरिफ लगाने की घोषणा की, जबकि पाकिस्तान के साथ एक तेल सौदे की बात चल रही है, जो अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों में बदलाव का संकेत देता है.
भारत के अधिकारियों को डर है कि अमेरिका का पाकिस्तान के साथ बढ़ता सहयोग भारत-अमेरिका संबंधों को नुकसान पहुंचा सकता है, खासकर जब भारत ने कश्मीर और आतंकवाद के मुद्दों पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने की कोशिश की है.
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का पाकिस्तान के प्रति झुकाव उनकी चीन-विरोधी रणनीति का हिस्सा हो सकता है. पाकिस्तान का चीन के साथ गहरा आर्थिक और रणनीतिक संबंध है, खासकर चाइना-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) के माध्यम से. चीनी विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान अमेरिका के साथ संबंधों को बेहतर करने के लिए चीन के साथ अपने रिश्ते को जोखिम में नहीं डालेगा.
ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान के साथ सहयोग को बढ़ावा दिया है, लेकिन यह संबंध रणनीतिक से ज्यादा कुछ नहीं हो सकते, जो अल्पकालिक और अवसरवादी हैं. पाकिस्तान में कुछ लोग, खासकर इमरान खान के समर्थक उम्मीद करते हैं कि ट्रंप उनकी रिहाई के लिए दबाव डाल सकते हैं. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान अमेरिका की विदेश नीति में प्राथमिकता नहीं है और ट्रंप का ध्यान गाजा, यूक्रेन और चीन जैसे वैश्विक मुद्दों पर अधिक है.