अमेरिका में ग्लोबल इनवेस्टमेंट कंपनी गोल्डमैन साक्श में 24 वर्षीय भारतीय एनालिस्ट सर्वश्रेष्ठ गुप्ता की मौत ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है. सैन फ्रैंसिस्को में हुई इस घटना के करीब छह सप्ताह बाद ऑफिसों में ज्यादा काम और बढ़ते मानसिक दबाव को लेकर लोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया है.
दिल्ली में पैदा हुए और पेंसिलवानिया यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने वाले सर्वश्रेष्ठ ने अपने पिता को बताया था कि उस पर काम का दबाव ज्यादा है और समय बहुत ही कम . एक हफ्ते में उसे 100 घंटे तक भी काम करना पड़ता था.
नौकरी छोड़ने के बाद दोबारा ज्वाइन किया
मार्च महीने में सर्वश्रेष्ठ ने नौकरी छोड़ दी थी, लेकिन कंपनी ने उसे दोबारा विचार करने को कहा और पिता के दबाव में आकर उसने फिर से नौकरी ज्वाइन कर ली थी. वापस आने पर उस पर दोबारा काम का दबाव बढ़ने लगा, जिसके चलते वह परेशान हो गया.
16 अप्रैल को उसने दिल्ली में मौजूद अपने पिता को फोन करते बताया वह मानसिक रूप से परेशान हो चुका है और लगातार दो दिनों से बिना सोए काम कर रहा है. सर्वश्रेष्ठ के पिता ने कहा कि उन्होंने उसे छुट्टी लेकर वापस घर आने की सलाह दी थी लेकिन उसने छुट्टी न मिलने की बात कही.
पार्किंग एरिया में मिली थी लाश
अगले दिन सुबह ही अपार्टमेंट के पार्किंग एरिया में उसकी लाश मिली थी. पुलिस के मुताबिक बिल्डिंग से गिरने के कारण उसकी मौत हुई थी. गुप्ता की मौत उन तमाम युवा बैंकर्स के सुसाइड या असमय मौत की तरह थी जो काम का बढ़ता दबाव नहीं झेल सके. गोल्डमैन और वाल स्ट्रीट की दूसरी कंपनियों की वर्क पॉलिसी के चलते युवा कर्मचारियों पर स्ट्रेस लगातार बढ़ा है.
एक हफ्ते पहले भी हुई थी एक मौत
एक हफ्ते पहले ही 29 वर्षीय बैंकर थॉमस ह्यूज की भी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी. उसके पिता ने भी बताया कि काम के चलते उसे आराम करने की फुरसत नहीं मिलती थी, जिसके चलते वह मानसिक तौर पर परेशान था.
सर्वश्रेष्ठ की मौत के बाद कंपनी ने परिवार के प्रति अपना दुख प्रकट किया और सांत्वना दी. हालांकि कंपनी की पॉलिसी में अभी भी कोई बदलाव नहीं किया गया. इसके चलते लगातार बहस चल रही है, क्योंकि बीते सालों में ऐसी घटनाएं लगातार सामने आती रही हैं.