दक्षिण चीन सागर में विवादास्पद क्षेत्र पर चीन के दावों के मद्देनजर अमेरिका ने बीजिंग और इस क्षेत्र के अन्य देशों से कहा है कि वे इस क्षेत्र में तनाव बढ़ाने वाला कोई भी कदम न उठाएं.
विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता विक्टोरिया नुलैंड ने कहा, ‘इस मुद्दे से जुड़े सभी पक्षों को किसी भी तरह का अति सक्रियता भरा या ऐसा एकपक्षीय कदम उठाने से बचना चाहिए जो क्षेत्र में तनाव बढ़ाए या जिससे सहमति से समाधान की संभावना प्रभावित हो. यही संदेश हम चीन को निजी रूप से भी दे रहे हैं.’
उन्होंने कहा कि अमेरिका स्थिति पर नजर बनाए हुए है और लगातार चीनी विदेश मंत्रालय के संपर्क में है. पेंटागन ने अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र के विवादों और नौवहन की स्वतंत्रता के लिए शांतिपूर्ण समाधान की अपील दोहराई.
पेंटागन के प्रेस सचिव जॉर्ज लिटिल ने कहा, ‘समुद्र के निकट स्थित किसी भी राष्ट्र के लिए नौवहन की स्वतंत्रता जरूरी है. एशिया-प्रशांत शक्ति होने के नाते समुद्री स्वतंत्रता में हमारा राष्ट्रीय हित है.’
लिटिल ने एक सवाल के जवाब में कहा कि अमेरिकी रक्षा मंत्री लियोन पनेटा ने सभी समुद्री विवादों को सुलझाने के लिए आसियान आचार संहिता का पालन करने की अपील सभी पक्षों से की है.
उन्होंने कहा, ‘उस क्षेत्र में समुद्री नियमों और अंतरराष्ट्रीय कानूनी क्षेत्र के मामले में पनेटा ने आसियान आचार संहिता को मजबूत करने में अपनी रुचि जाहिर की थी.’
चीन प्रशांत सागर में मौजूद पूरे दक्षिण चीन सागर पर काफी समय से आभासी रूप से अपना दावा करता रहा है. अपना दावा दिखाने के लिए उसने विवादास्पद क्षेत्रों को अपने नागरिकों को जारी किए गए नए ई-पासपोर्ट में बने नक्शे में दिखाया है. चीन के इस कदम की क्षेत्रीय देशों वियतनाम और फिलीपीन ने सार्वजनिक रूप से निंदा की है.