
Chandrayaan 3: भारत के चंद्रयान-3 ने चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में सफल लैंडिंग कर ली है जिसकी चर्चा दुनिया भर में हो रही है. दुनिया की सभी अंतरिक्ष एजेंसियां भारत को इस सफलता के लिए बधाई दे रही हैं और वहां की मीडिया में भी चंद्रयान-3 की सफलता छाई हुई है. सऊदी अरब, पाकिस्तान, ब्रिटेन, अमेरिका समेत सभी देशों की मीडिया में भारत की ऐतिहासिक सफलता को लेकर खबरें चल रही हैं.
सऊदी अरब
सऊदी अरब के अखबार अल अरबिया ने लिखा है कि भारत ने ऐतिहासिक क्षण में चंद्रयान-3 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंड करा दिया है.
अखबार ने लिखा, 'भारत के लिए सफल लैंडिंग एक स्पेस पावर के रूप में उसके उभरने का प्रतीक है. भारत की सरकार निजी अंतरिक्ष प्रक्षेपण और संबंधित उपग्रह-आधारित बिजनेस में निवेश को बढ़ावा देना चाहती है और इस हिसाब से यह बेहद महत्वपूर्ण है.'
अखबार ने लिखा कि जब अंतरिक्ष यान चांद की सतह पर लैंडिंग का प्रयास कर रहा था तब भारत के लोग अपने टीवी स्क्रीन से चिपके हुए थे और मिशन की सफलता के लिए प्रार्थना कर रहे थे.
वहीं यूएई की प्रमुख न्यूज वेबसाइट गल्फ न्यूज में भी चंद्रयान की सफलता भारत की मजबूती बताई गई. खबर में कहा गया कि चंद्रयान की सफल लैंडिंग के बाद भारत पहला ऐसा देश हो गया है, जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव तक पहुंचा हो.
अमेरिका की मीडिया
अमेरिका के न्यूज नेटवर्क सीएनएन ने लिखा कि भारत ने अपना चंद्रयान-3 चंद्रमा पर उतार दिया है और यह उपलब्धि हासिल करने वाला वह चौथा देश बन गया है.
अपनी एक रिपोर्ट में सीएनएन लिखता है, 'यह मिशन अंतरिक्ष में वैश्विक महाशक्ति के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत कर सकता है. इससे पहले, केवल अमेरिका, चीन और रूस ने ही चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग पूरी की है.'
अमेरिकी मीडिया ने लिखा कि भारत ने अपना चंद्रयान-3 दक्षिणी ध्रुव के करीब उतारा है और वहां इससे पहले किसी दूसरे देश ने ऐसा नहीं किया है.
दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र को अंतरिक्ष में जाने वाले देशों के लिए प्रमुख वैज्ञानिक और रणनीतिक रुचि का क्षेत्र माना जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि वैज्ञानिकों का मानना है कि इस क्षेत्र में पानी का बर्फ जमा है.

अखबार ने लिखा कि भारत के प्रधानमंत्री मोदी फिलहाल ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए दक्षिण अफ्रीका में है और उन्होंने वहीं से लाइव ब्रॉडकास्ट देखा.
सीएनएन ने लिखा कि भारत को यह सफलता रूस के लूना-25 की विफलता के कुछ दिनों बाद ही मिली है. रूस का लूना-25 19 अगस्त को चांद पर लैंडिंग से पहले ही क्रैश कर गया था.
अमेरिका के अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि चांद को लेकर चल रहे दौड़ में, भारत ने चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में अपना मून मिशन सफलतापूर्वक लैंड करा दिया है.
अखबार ने लिखा, 'रूस के मून मिशन की विफलता के कुछ दिनों बाद ही, भारत का चंद्रयान-3 मिशन चांद के उस हिस्से की छानबीन करने के लिए तैयार है जहां अब तक कोई नहीं पहुंचा था.'
अखबार ने लिखा, 'भारत के लोग पहले से ही देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम की उपलब्धियों पर बहुत गर्व करते हैं. भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम नियमित रूप से ऐसे मिशन लॉन्च करता है जो अन्य देशों का तुलना में बहुत कम बजट के होते हैं.' अखबार ने लिखा कि चंद्रयान-3 की उपलब्धि आनेवाले समय में भारत के लिए इससे भी मीठी हो सकती है.
ब्रिटेन के अखबार द गार्डियन ने लिखा कि भारत एक ऐतिहासिक क्षण में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सफलतापूर्वक अपना अंतरिक्ष यान लैंड कराने वाला पहला देश बन गया है. इस सफलता पर भारत में खुशी का माहौल है.
इस सफलता पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष श्रीधर पणिक्कर सोमनाथ ने कहा, 'भारत चांद पर है.' ब्रिटिश अखबार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हवाले से लिखा, 'यह नए भारत की विजय घोष है.'
अंग्रेजी अखबार 'इंडिपेंडेंट'
Chandrayaan-3 की सफल लैंडिंग को अंग्रेजी अखबार 'इंडिपेंडेंट' ने भारत की एतिहासिक और अभूतपूर्व उपलब्धि बताई है. खबर में कहा गया है कि भारत ने चांद के दक्षिणी सतह पर सफल लैंडिंग कर ली है.
खबर में आगे कहा गया है कि हाल ही में रूस का मून मिशन असफल रहा था. लेकिन अब साउथ पोल पर लैंडिंग करने वाला भारत पहला देश बन गया है.

अखबार में कहा गया कि साल 2019 में मिशन असफल होने के बावजूद भारत ने कुछ ही समय के अंदर इसे कर दिखाया है. अभी तक चांद पर सिर्फ अमेरिका, सोवियत यूनियन और चीन ने ही सिर्फ लैंड किया था, अब भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन गया है.
पाकिस्तानी मीडिया
पाकिस्तानी न्यूज चैनल जिओ टीवी ने अपनी वेबसाइट पर छपी खबर की हैडिंग में लिखा है, ''भारत के चंद्रयान-3 ने आखिरकार चांद पर लैंड किया.''
वहीं पाकिस्तानी जिओ न्यूज के जरिए स्पेसटेक फर्म से जुड़े एक्सपर्ट कार्ला फिलोटिको ने कहा कि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने से भारत चांद पर बर्फीले पानी की तलाश कर सकता है. जो चंद्रमा से जुड़े विज्ञान के लिए काफी जरूरी है.