scorecardresearch
 

पहले ब्राजील के राष्ट्रपति लूला और अब जेलेंस्की... ट्रंप से परेशान नेता पीएम मोदी को क्यों घुमा रहे फोन?

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की आक्रामक और कई बार अपरंपरागत विदेश नीति के कारण कई देश आशंकित रहते हैं. जेलेंस्की-लूला को ऐसा ही डर सता रहा है. ये नेता अपना हित साधने के लिए पीएम मोदी को फोन कर रहे हैं. भारत की वैश्विक विश्वसनीयता और संवाद की भूमिका उसे ऐसे वक्त में ‘डीलब्रेकिंग’ मोड में ले जाती है. 

Advertisement
X
लूला डा सिल्वा, पुतिन और जेलेंस्की ने PM मोदी को कॉल किया है. (Photo: ITG)
लूला डा सिल्वा, पुतिन और जेलेंस्की ने PM मोदी को कॉल किया है. (Photo: ITG)

भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का ये काफी व्यस्त पखवाड़ा चल रहा है. दुनिया पर टैरिफ लादने की ट्रंप की मनमानी मुहिम, इस टैरिफ का यूक्रेन युद्ध से कनेक्शन, इसका भारत पर असर, ऐसे कई पहलू हैं जिससे न सिर्फ भारत को दो चार होना पड़ रहा है बल्कि कई मामलों में भारत को कुछ देश उम्मीद भरी निगाहों से भी देख रहे हैं.

 ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डा सिल्वा और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन करना इन नेताओं की इसी रणनीति का हिस्सा है. इन नेताओं की कॉल्स की टाइमिंग और संदर्भ महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ट्रंप की टैरिफ नीतियों और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे वैश्विक मुद्दों ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर अनिश्चितता पैदा की है. 

7 अगस्त को ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डा सिल्वा ने पीएम मोदी को फोन किया. 8 अगस्त को रूसी राष्ट्रपति पुतिन और पीएम मोदी की बातचीत हुई. फिर 12 अगस्त को यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने पीएम नरेंद्र मोदी को कॉल लगाया. गौरतलब है कि 15 अगस्त को ही यूक्रेन के भविष्य को लेकर राष्ट्रपति ट्रंप और पुतिन के बीच अलास्का में मीटिंग होनी है.

ब्राजील के राष्ट्रपति का कॉल और BRICS की एकजुटता

भारत और ब्राजील दोनों ही ब्रिक्स के संस्थापक सदस्य हैं. भारत की तरह ब्राजील पर भी अमेरिका ने 50 फीसदी टैरिफ लगाया है. भारत और ब्राजील दोनों ही ट्रंप की एकतरफा नीतियों का जवाब देने के लिए BRICS एकजुटता पर विचार कर रहे हैं. ब्राजील को उम्मीद है कि भारत की कूटनीतिक ताकत और ग्लोबल साउथ में उसकी स्थिति BRICS के जरिए टैरिफ युद्ध को संतुलित करने में मदद कर सकती है.

Advertisement

लूला और अन्य BRICS नेता ट्रंप के आर्थिक दबाव का मुकाबला करने के लिए भारत की रणनीतिक स्थिति का लाभ उठाना चाहते हैं. दुनिया की चौथी बड़ी इकोनॉमी होने के नाते भारत ट्रंप की नीतियों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं. 

मोदी के पास एक 'बैलेंसिंग एक्ट' की छवि है. टैरिफ से प्रभावित राष्ट्राध्यक्ष चाहते हैं कि भारत अपने केस की पैरवी करते वक्त उनका भी खयाल रखे.

जेलेंस्की का पीएम मोदी को कॉल

पीएम मोदी ने रूस और यूक्रेन के जंग का हमेशा शांतिपूर्ण समाधान पर जोर दिया है. भारत के रूस से अच्छे संबंध हैं. गौरतलब है कि 15 अगस्त को यूक्रेन युद्ध पर चर्चा करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति पुतिन अमेरिका के अलास्का में मीटिंग कर रहे हैं. इस मीटिंग में अभी यूक्रेन की भागीदारी सुनिश्चित नहीं हुई है. इस बीच पीएम मोदी को जेलेंस्की का कॉल आया है.

यूक्रेन चाहता है कि कोई भी समझौता उसकी भागीदारी के बिना न किया जाए, अथवा कम से कम उसके हितों का खयाल रखा जाए. जबकि ट्रंप और पुतिन के बीच सीधे डील की आशंका है. 

जेलेंस्की को डर है कि ट्रंप यूक्रेन के हितों को नजरअंदाज कर रूस के साथ सौदा कर सकते हैं. उनकी उम्मीद है कि पीएम मोदी जिनका रूस और पश्चिम दोनों के साथ संतुलित संबंध हैं युद्धविराम वार्ता में यूक्रेन की स्थिति को मजबूत करने में मध्यस्थता कर सकते हैं या समर्थन दे सकते हैं. जेलेंस्की चाहते हैं कि मोदी उनकी चिंताओं को वैश्विक मंच पर रखें ताकि यूक्रेन के हितों की अनदेखी न हो.

Advertisement

जेलेंस्की से फोन पर वार्ता के बाद पीएम मोदी ने एक्स पर लिखा, "राष्ट्रपति जेलेंस्की से बात करके और हाल के घटनाक्रमों पर उनके विचार जानकर मुझे खुशी हुई. मैंने संघर्ष के शीघ्र और शांतिपूर्ण समाधान की आवश्यकता पर भारत की दृढ़ स्थिति से उन्हें अवगत कराया. भारत इस संबंध में हर संभव योगदान देने के साथ-साथ यूक्रेन के साथ द्विपक्षीय संबंधों को और मज़बूत करने के लिए प्रतिबद्ध है."

वहीं जेलेंस्की ने कहा कि, "यह महत्वपूर्ण है कि भारत हमारे शांति प्रयासों का समर्थन कर रहा है और इस रुख से सहमत है कि यूक्रेन से संबंधित हर मामले का फैसला यूक्रेन की भागीदारी से ही होना चाहिए. अन्य तरीकों से परिणाम नहीं मिलेंगे."

जेलेंस्की ने भारत से यह भी अपील की कि वह रूस से कच्चे तेल के आयात को सीमित करे ताकि रूस की जंग लड़ने की क्षमता को सीमित किया जा सके. 

ट्रंप की अपरंपरागत विदेश नीति

ट्रंप की आक्रामक और कभी-कभी अपरंपरागत विदेश नीति के कारण कई देश अपने हित साधने के लिए मोदी को फोन कर रहे हैं. भारत की वैश्विक विश्वसनीयता और संवाद की भूमिका उसे ऐसे वक्त में ‘डीलब्रेकिंग’ मोड में ले जाती है. यही वजह है कि लूला, जेलेंस्की और अन्य नेता लगातार पीएम मोदी से संपर्क साध रहे हैं.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement