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मलेशिया कोस्ट के पास डूबी रोहिंग्या प्रवासियों से भरी नाव, सैकड़ों लोगों के डूबने की आशंका

म्यांमार से रोहिंग्या प्रवासियों को लेकर समुद्र के रास्ते मलेशिया आ रही एक नाव मलेशिया-थाईलैंड सीमा के पास रविवार को डूब गई. इस नाव में करीब 100 रोहिंग्या प्रवासी सवार थे. इनमें से 7 के शव बरामद हुए हैं, 13 को रेस्क्यू किया गया है और अन्य बचे लोग लापता हैं.

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मलेशियन मैरीटाइम एजेंसी का जवान मलेशिया-थाईलैंड सीमा के पास सर्च अभियान चलाता हुआ. (Photo: Reuters)
मलेशियन मैरीटाइम एजेंसी का जवान मलेशिया-थाईलैंड सीमा के पास सर्च अभियान चलाता हुआ. (Photo: Reuters)

म्यांमार से रोहिंग्या प्रवासियों को लेकर आ रही एक नाव थाईलैंड-मलेशिया बॉर्डर के पास डूब गई. नाव में 100 के करीब प्रवासी सवार थे, जिनमें से 7 के शव बरामद किए गए हैं और 13 को बचा लिया गया है. नाव पर सवार ज्यादातर लोग लापता हैं. मलेशियन मैरीटाइम एजेंसी ने रविवार को यह जानकारी दी. इस क्षेत्र की मैरीटाइम एजेंसी के प्रमुख रोमली मुस्तफा ने बताया कि बचाव दल शनिवार को लैंगकावी द्वीप के पास 170 वर्ग समुद्री मील के क्षेत्र की तलाशी ले रहे थे, क्योंकि तीन दिन पहले एक बड़ा पानी का जहाज 300 लोगों को लेकर म्यांमार के रखाइन राज्य से रवाना हुआ था.

मलेशिया की सरकारी मीडिया 'बरनामा' (Bernama) ने केदाह प्रांत के पुलिस प्रमुख अदजली अबू शाह के हवाले से बताया कि लोग पहले म्यांमार से एक बड़े जहाज पर सवार हुए थे, लेकिन उन्हें मलेशिया के निकट पहुंचने पर पकड़े जाने से बचने के लिए तीन छोटी नावों पर जाने का निर्देश दिया गया, जिनमें से प्रत्येक में लगभग 100 लोग सवार थे. म्यांमार का रखाइन (Rakhine) प्रांत वर्षों से संघर्ष, भुखमरी और जातीय हिंसा का शिकार रहा है. यहां के स्थानीय लोग रोहिंग्या मुस्लिम अल्पसंख्यकों को निशाना बनाते रहे हैं. 2017 में क्रूर सैन्य कार्रवाई के बाद रखाइन प्रांत से निकाले गए लगभग 13 लाख रोहिंग्या पड़ोसी बांग्लादेश के घनी आबादी वाले शिविरों में शरणार्थी के रूप में रह रहे हैं. 

यह भी पढ़ें: 'जब तक बिंदु मात्र शक्ति भी है, बॉर्डर से समझौता...', रोहिंग्याओं के लिए प्रस्तावित यूनुस के कॉरिडोर पर बांग्लादेश आर्मी का रेड सिग्नल

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दो और नौकाएं लापता, 200 रोहिंग्या थे सवार

केदाह प्रांत के पुलिस प्रमुख अदजली अबू शाह ने 'बरनामा' को बताया कि अन्य दो नौकाओं की स्थिति अज्ञात है और उनकी तलाश की जा रही है. म्यांमार में हिंसा और बांग्लादेश में बदतर परिस्थितियों में जीवन जीने से तंग आकर रोहिंग्या समुदाय के लोग नियमित रूप से जोखिम भरी समुद्री यात्राएं करते हैं, जिनमें मलेशिया प्रमुख गंतव्य है. यूनाइटेड नेशन रिफ्यूजी एजेंसी (UNHCR) के आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष जनवरी से नवंबर के प्रारम्भ तक 5,100 से अधिक रोहिंग्या म्यांमार और बांग्लादेश छोड़ने के लिए नौकाओं से समुद्री यात्रा पर निकले, जिनमें से लगभग 600 लोग या तो मारे गए हैं या लापता हैं.

म्यांमार में रोहिंग्या प्रवासियों पर अत्याचार क्यों?

रोहिंग्या बंगाली मूल के मुस्लिम हैं जो सदियों से म्यांमार के रखाइन (पूर्व अराकान) प्रांत में रहते आए हैं.  वे खुद को म्यांमार का मूल निवासी मानते हैं, लेकिन म्यांमार की सैन्य सरकार उन्हें घुसपैठिए मानती है और 1982 के नागरिकता कानून के तहत नागरिकता से वंचित रखती है. इसके परिणामस्वरूप वे राष्ट्रविहीन हैं. उनके पास पासपोर्ट, वोटिंग अधिकार, शिक्षा या स्वास्थ्य सुविधा नहीं है. रोहिंग्या मुद्दा नागरिकता, पहचान, मानवाधिकार और क्षेत्रीय स्थिरता का संकट है. इसका समाधान म्यांमार में लोकतंत्र की बहाली, नागरिकता सुधार और सुरक्षित पुनर्वास पर निर्भर है, जो फिलहाल दूर की कौड़ी है.

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