बांग्लादेश की प्रधानमंत्री और अवामी लीग की प्रमुख शेख हसीना ने रविवार को हुए आम चुनावों में भारी वोटों के अंतर से अपनी सीट से जीत दर्ज की. उन्होंने गोपालगंज-3 संसदीय सीट पर एक बार फिर शानदार जीत दर्ज की है. इसके साथ ही उनकी अवामी लीग पार्टी ने संसदीय चुनावों में 300 में से 200 सीटें जीत ली हैं जबकि बाकी सीटों पर अभी मतगणना जारी है.
हसीना (76) को गोपालगंज-3 सीट से 249,965 वोट मिले जबकि इस सीट पर उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी बांग्लादेश सुप्रीम पार्टी के एम निजाम उद्दीन लश्कर को सिर्फ 469 वोट ही मिले. गोपालगंज के डिप्टी कमिश्नर और रिटर्निंग ऑफिसर काजी महबुबल आलम ने चुनावी नतीजों का ऐलान किया. शेख हसीना ने 1986 के बाद से आठवीं बार गोपालगंज-3 सीट से जीत दर्ज की है.
शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग 300 संसदीय सीटों में से 200 सीटें जीत चुकी हैं जबकि बाकी सीटों पर काउंटिंग अभी हो रही है. बांग्लादेश में सरकार गठन के लिए जादुई आंकड़ा 151 है. ऐसे में शेख हसीना का पांचवीं बार सत्ता में वापसी करना तय है.
शेख हसीना की पार्टी जीती, आधिकारिक ऐलान बाकी
बांग्लादेश चुनाव आयोग के प्रवक्ता ने बताया कि हम अवामी लीग को विजेता कह सकते हैं लेकिन अभी तक के नतीजों में उनकी पार्टी जीत गई है लेकिन बाकी सीटों पर मतगणना पूरी होने का बाद ही अंतिम नतीजों का ऐलान किया जाएगा.
अवामी लीग के महासचिव ओबैदुल कादा का दावा है कि लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर बीएनपी और जमात-ए-इस्लामी के चुनाव बहिष्कार को खारिज कर दिया है.
उन्होंने कहा कि मैं 12वें राष्ट्रीय संसदीय चुनाव में हिस्सा लेने के लिए उन लोगों का आभार जताता हूं, जिन्होंने तोड़फोड़, आगजी और आतंकवाद के डर का बहादुरी से सामना किया है.
सिर्फ 40 फीसदी के करीब हुई थी वोटिंग
बांग्लादेश में रविवार को लगभग 40 फीसदी वोटिंग हुई थी. 2018 के आम चुनाव में कुल मिलाकर 80 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ था.
वहीं, चुनाव आयोग ने वोटिंग के दौरान पूर्वोत्तर चट्टोग्राम में सत्तासीन अवामी लीग के उम्मीदवार की उम्मीदवारी रद्द कर दी. आरोप था कि प्रत्याशी ने एक पुलिस अधिकारी को धमकाया था. इसके बाद इस निर्वाचन क्षेत्र में सत्तासीन पार्टी के दो बागी उम्मीदवारों के बीच चुनाव लड़ा गया था.
BNP ने किया था चुनाव बहिष्कार
बांग्लादेश में नजरबंद पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की मुख्य विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने इन चुनावों का बायकॉट कर दिया था. इस वजह से भी चुनाव में प्रतिशत कम रहा. पार्टी का आरोप था कि मौजूदा सरकार के तहत कोई भी चुनाव निष्पक्ष और विश्वसनीय नहीं होगा.