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ऑस्ट्रेलिया ने बना दिया बैटरी से चलने वाला सबसे बड़ा जहाज, क्या है खासियत?

कंपनी ने कहा कि 130 मीटर लंबा, Hull 096 न केवल दुनिया का सबसे बड़ा इलेक्ट्रिक जहाज है, बल्कि वो अपनी तरह की अब तक की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक गाड़ी भी है. जहाज में 250 टन से अधिक वजनी बैटरी है और इसकी क्षमता 40 मेगावाट प्रति घंटे से अधिक है.

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ऑस्ट्रेलिया ने दुनिया का सबसे बड़ा बैटरी से चलने वाला जहाज लॉन्च किया है (Photo- Incat)
ऑस्ट्रेलिया ने दुनिया का सबसे बड़ा बैटरी से चलने वाला जहाज लॉन्च किया है (Photo- Incat)

ऑस्ट्रेलिया की जहाज बनाने वाली एक कंपनी ने दुनिया का सबसे बड़ा बैटरी से चलने वाला जहाज लॉन्च किया है. इस जहाज को सस्टेनेबल शिपिंग की दुनिया में एक बड़ी छलांग माना जा रहा है और इसे अब तक का सबसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट बताया जा रहा है.

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ऑस्ट्रेलियाई राज्य तस्मानिया में स्थित कंपनी Incat ने दक्षिण अमेरिकी नौका ऑपरेटर बुकेबस के साथ एक कॉन्ट्रैक्ट के जरिए इस जहाज को बनाया है जिसे Hull 096 नाम दिया गया है. यह जहाज अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स और उरुग्वे के बीच चलेगा.

शुक्रवार को होबार्ट में जहाज पहली बार अपनी पहली यात्रा के लिए पानी में उतरा. इस दौरान कंपनी ने कहा कि यह पूरी तरह से बैटरी-इलेक्ट्रिक पावर पर चलेगा. जहाज 2,100 यात्रियों और 225 गाड़ियों की ले आ-जा सकेगा.

Incat दुनिया का सबसे बड़ा इलेक्ट्रिक जहाज

Incat के अध्यक्ष रॉबर्ट क्लिफोर्ड ने कहा, 'हम चार दशकों से अधिक समय से तस्मानिया में दुनिया की बेहतरीन जहाजों का निर्माण कर रहे हैं और Hull 096 हमारा अब तक का सबसे महत्वाकांक्षी, सबसे जटिल और सबसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है.'

क्लिफोर्ड ने कहा कि कंपनी को उम्मीद है कि वो 'ऑस्ट्रेलिया और विदेशों में वैश्विक बाजार के लिए जितना संभव हो सकेगा, अधिक से अधिक टिकाऊ जहाज बनाएगी.'

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कंपनी ने कहा कि 130 मीटर लंबा, Hull 096 न केवल दुनिया का सबसे बड़ा इलेक्ट्रिक जहाज है, बल्कि वो अपनी तरह की अब तक की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक गाड़ी भी है. जहाज में 250 टन से अधिक वजनी बैटरी है और इसकी क्षमता 40 मेगावाट प्रति घंटे से अधिक है.

Incat के मुख्य कार्यकारी स्टीफन केसी ने कहा, 'Hull 096 यह साबित करता है कि कम कार्बन उत्सर्जन वाले जहाज न केवल संभव हैं बल्कि अब बड़े पैमाने पर अब तैयार भी हैं.'

संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन के अनुसार, वैश्विक शिपिंग उद्योग विश्व के वार्षिक कार्बन उत्सर्जन का 3% हिस्सा है.

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