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पाकिस्तान में पहला ट्रांसजेंडर इस्लामिक स्कूल, रानी खान ने ऐसे की मदरसे की शुरुआत

एक मुस्लिम देश में LGBTQ समुदाय के लिए ये एक मील का पत्थर है, जहां ट्रांसजेंडर लोगों को अस्थिरता का सामना करना पड़ता है. भले ही उन पर धार्मिक स्कूलों में भाग लेने या मस्जिदों में प्रार्थना करने पर कोई आधिकारिक प्रतिबंध नहीं है, लेकिन अधिकांश परिवार ट्रांसजेंडर लोगों को स्वीकार नहीं करते हैं.

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रानी खान (Reuters)
रानी खान (Reuters)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • LGBTQ समुदाय के लिए ये एक मील का पत्थर है
  • अधिकांश परिवार ट्रांसजेंडर लोगों को स्वीकार नहीं करते हैं

पाकिस्तान की ट्रांसजेंडर रानी खान ने उन बाधाओं को पार किया है, जो हकीकत में आसान नहीं थीं. रानी खान इस्लामिक धार्मिक स्कूल में तालीम देती हैं, इसे उन्होंने अपने बचत से स्थापित किया है. ये पाकिस्तान का पहला ट्रांसजेंडर इस्लामिक स्कूल  है.

एक मुस्लिम देश में LGBTQ समुदाय के लिए ये एक मील का पत्थर है, जहां ट्रांसजेंडर लोगों को अस्थिरता का सामना करना पड़ता है. भले ही उन पर धार्मिक स्कूलों में भाग लेने या मस्जिदों में प्रार्थना करने पर कोई आधिकारिक प्रतिबंध नहीं है, लेकिन अधिकांश परिवार ट्रांसजेंडर लोगों को स्वीकार नहीं करते हैं.

रानी खान ने कहा कि वो दिन याद है जब 13 साल की उम्र में वह अपने परिवार से बेदखल हो गईं और भीख मांगने पर मजबूर हो गईं. 17 साल की उम्र में एक ट्रांसजेंडर ग्रुप में शामिल हुईं, लेकिन धर्म से जुड़ने के लिए इसे छोड़ दिया. अब रानी खान ने LGBTQ समुदाय के लिए एक बड़ा कदम बढ़ाया है. 

रानी खान ने कहा कि मैं अल्लाह को खुश करने के लिए कुरान पढ़ाना चाहती हूं. स्कूल को सरकार से सहायता नहीं मिली है, हालांकि कुछ अधिकारियों ने छात्रों को नौकरी खोजने में मदद करने का वादा किया है. रानी खान अपने छात्रों को कपड़े बेचकर स्कूल के लिए धन जुटाने के लिए सिलाई-कढ़ाई भी सिखाती हैं.

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