संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुतेरेस ने पाकिस्तान के दौरे में ना केवल कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता का प्रस्ताव दिया बल्कि आतंकवाद और अफगानिस्तान समेत तमाम मुद्दों पर पाकिस्तान की तारीफों के पुल बांधे.
बता दें कि यूएन महासचिव (UNSG) एंटोनियो गुतेरेस रविवार को पाकिस्तान के चार
दिवसीय दौरे पर पहुंचे हैं. इस दौरान उन्होंने जम्मू कश्मीर के हालात पर
चिंता जाहिर की और मध्यस्थता की भी पेशकश की जिसे भारत सरकार ने
सिरे से खारिज कर दिया.
गुतेरेस यूएन महासचिव के तौर पर भले ही पाकिस्तान पहली बार गए हों लेकिन इससे पहले भी वह पड़ोसी देशों का कई बार दौरा कर चुके हैं. संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि पाकिस्तान में फिर से आना सुखद अनुभव है. ये देश संयुक्त राष्ट्र और बहुपक्षीय रिश्तों के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है.
अफगानिस्तान में शांति स्थापना में पाकिस्तान की भूमिका की तारीफ करते हुए यूएन महासचिव ने कहा, अफगानी लोगों के साथ उदारता और एकजुटता दिखाने की वजह से पाकिस्तानियों के साथ मेरा लव अफेयर शुरू हो गया है.
यूएन महासचिव ने कहा कि वक्त आ गया है कि दुनिया पीछे मुड़कर पाकिस्तान को एक बड़े फ्रेम से देखे. मैं यहां पाकिस्तान की उदारता और एकजुटता को पहचान देने आया हूं. पाकिस्तान की संस्कृति में यह गहराई से बसा हुआ है, मुहम्मद अली जिन्ना की सोच से लेकर नुसरत फतेह अली खान के संगीत तक. मेरे इस दौरे का सिर्फ एक ही मकसद था- तमाम संभावनाओं और क्षमताओं के साथ असली पाकिस्तान को दिखाना.
उन्होंने कहा, आज पाकिस्तान शरणार्थियों को पनाह देने वाला दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश बन चुका है और कई दशकों तक यह शरणार्थियों के मामले में पहले स्थान पर था. पाकिस्तान ने अफगानी शरणार्थियों को चार दशकों तक आसरा दिया. अपने देश की तमाम चुनौतियों के बावजूद और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सीमित सहयोग के जरिए पाकिस्तान ने पिछले 40 सालों में अफगानी शरणार्थियों को सुरक्षा और आश्रय देना जारी रखा है.
गुतेरेस ने कहा, शरणार्थियों के लिए काम करने के दौरान मुझे पाकिस्तान में हमेशा एक भरोसेमंद और उदार सहयोगी दिखा. कोई ये कल्पना ही कर सकता है कि पाकिस्तान की उदारता और सहानुभूति रवैये के बिना अफगानियों की स्थिति कितनी बदतर हो सकती थी और इस क्षेत्र में कितनी अस्थिरता पैदा होने की आशंका थी. संयुक्त राष्ट्र हमेशा से पाकिस्तान को उसके सकारात्मक कदमों में सहयोग देता रहा है और मैं अन्य देशों से भी पाकिस्तान की मदद करने की अपील करता हूं.
यूएन महासचिव ने पाकिस्तान की शांति और सुरक्षा के मुद्दों पर भी तारीफ की. उन्होंने कहा, यूएन पाकिस्तान के शांति के प्रयासों और उसकी प्रतिबद्धता को लेकर एहसानमंद है. एंटोनियो गुतेरेस ने अपने भाषण में करतारपुर कॉरिडोर का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि यह कॉरिडोर धार्मिक सौहार्दता और पड़ोसी देशों के साथ संबंध का अद्भुत उदाहरण है. इससे भी पाकिस्तान की शांति के लिए प्रतिबद्धता जाहिर होती है.
यूएन महासचिव ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर भी पाकिस्तान की सराहना की.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान सतत विकास को अपने राष्ट्रीय एजेंडे में जगह
देने वाले चुनिंदा देशों में अग्रणी था.
यूएन महासचिव ने कश्मीर मुद्दे पर यूएन द्वारा उठाए गए कदमों के सवाल के जवाब में कहा कि अगर दोनों पक्ष सहमति दें तो मैं इस स्थिति के समाधान में मदद कर सकता हूं. दूसरी तरफ, मनावाधिकार आयोग की रिपोर्ट से भी हमने कश्मीर की स्थिति स्पष्ट की है और सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को लागू करने की जरूरत पर भी जोर दिया है.
यूएन महासचिव से ये भी सवाल किया गया कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अरबों डॉलर्स खर्च किए हैं तो क्या यूएन दुनिया के तमाम देशों को राजी कर पाएगा कि पाकिस्तान ने इस दिशा में पर्याप्त काम किया है.
यूएन महासचिव ने कहा कि मैं इस बात को साबित कर सकता हूं. जब मैं
इस्लामाबाद आया था तो यह एक मिलिट्री कैंप था. तालिबान इसके बहुत करीब था.
पाकिस्तानी तालिबान इस्लामाबाद के बिल्कुल नजदीक था. आज इस्लामाबाद में
यूएन स्टाफ के लिए एक फैमिली ड्यूटी स्टेशन है, अतीत की तुलना में खैबर
पख्तूनख्वा में प्रशासन व्यवस्थित तरीके से चल रहा है और विकास के कई
कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. मुझे लगता है कि लोगों को यह मानना होगा कि
पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सराहनीय काम किया है. मैंने बताया
है कि जब मैं यहां आया था तो यह क्षेत्र सबसे बुरे दौर में था. यह देखना
बहुत ही सुखद है कि यहां अब चीजें कैसे बदल चुकी हैं.
यूएन महासचिव से इस्लामोफोबिया और इसके खिलाफ तुर्की, ईरान, पाकिस्तान व मलेशिया की साझा पहल को लेकर भी सवाल किया गया. यूएन महासचिव एंटोनियो गुतेरेस ने कहा, इस्लामोफोबिया असहिष्णुता के अन्य रूपों की तरह ही है, चाहे ये शरणार्थियों के खिलाफ हो जिन पर अक्सर लोकप्रिय राजनेताओं का हमला होता रहता है या फिर धार्मिक घृणा के अन्य रूप हो. मुझे यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि हमें इस्लामोफोबिया के खिलाफ मजबूती से लड़ाई लड़नी होगी. नफरत फैलाने वाले बयान देना इस्लामोफोबिया का प्रमुख उपकरण है. यूएन ने हेट स्पीच के खिलाफ एक वैश्विक पहल की है जो पाकिस्तान के प्रयासों से काफी हद तक मिलती-जुलती है. साथ ही, दुनिया भर में वोट जुटाने के लिए इस्लामोफोबिया व नफरत फैलाने वाले सभी लोकप्रिय तरीकों का इस्तेमाल हमें बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है. हमें ये बिल्कुल मंजूर नहीं है कि कुछ लोग जनता को बांटकर सत्ता में आने की कोशिश करें. ये सभी लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ है. ये हमारा कर्तव्य है कि धार्मिक सौहार्द सुरक्षित रहे. मेरा मानना है कि करतारपुर का मेरा आगामी दौरा इसी सहिष्णुता का प्रतीक होगा.