अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि अमेरिकी सेनाओं के
अफगानिस्तान से निकलने के बाद तालिबान अफगान सरकार पर हावी हो सकता है. बता
दें कि पिछले सप्ताह ही कतर की राजधानी दोहा में अमेरिका-तालिबान शांति
समझौता हुआ है जिसमें अफगानिस्तान में 18 साल लंबे चले युद्ध का अंत सुनिश्चित किया गया है.
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इस समझौते के तहत अफगानिस्तान में तैनात अमेरिकी और नाटो सेना 14 महीनों के
भीतर स्वदेश वापसी करेगी. वहीं, बदले में तालिबान अमेरिका और उसके सहयोगियों के
खिलाफ किसी भी तरह के हमले को अंजाम नहीं देगा.
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ट्रंप ने शुक्रवार को व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से बातचीत में कहा,
देशों को अपनी देखभाल खुद करनी होगी. आप इतने लंबे वक्त तक बस किसी का हाथ
ही थाम सकते हैं.
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जब ट्रंप से सवाल किया गया कि क्या तालिबान अमेरिका समर्थित मौजूदा अफगानिस्तान सरकार से सत्ता छीन सकता है? ट्रंप ने जवाब दिया कि ऐसा सोचा तो नहीं गया था लेकिन संभवत: ऐसा होगा.
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ट्रंप ने कहा, हम अगले 20 सालों के लिए और अफगानिस्तान में नहीं रह सकते हैं. हम पहले ही वहां 20 साल गुजार चुके हैं और उस देश की सुरक्षा कर रहे हैं. लेकिन अब हम वहां नहीं रुक सकते- आखिरकार उन्हें खुद ही अपनी सुरक्षा करनी होगी.
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ट्रंप ने मंगलवार को तालिबान के नेताओं से फोन पर बातचीत भी की थी. ट्रंप ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि विदेशी सेनाओं की वापसी के बाद अफगानिस्तान सरकार लड़ाकों के खिलाफ खुद की सुरक्षा करने में सक्षम है या नहीं.
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अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, मुझे नहीं पता, मैं इस सवाल का जवाब नहीं दे सकता हूं. हमें देखना होगा कि आगे क्या होता है. विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद गंभीर सुरक्षा खतरे पैदा हो सकते हैं.
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बता दें कि अमेरिकी तालिबान समझौते में तीन और शर्तें हैं- स्थायी सीजफायर, तालिबान अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल अमेरिकी हितों को नुकसान पहुंचाने में नहीं करेगा और तालिबान अफगानिस्तान सरकार समेत तमाम पक्षों से बातचीत शुरू करेगा.
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ये वार्ता देश का भविष्य तय करने में अहम भूमिका निभाएगी क्योंकि अफगान नेता और एक्टिविस्ट तालिबान आमने-सामने बैठकर शांति स्थापित करने के लिए बातचीत करेंगे. हालांकि, बहुप्रतीक्षित अमेरिकी-तालिबान शांति समझौते की सफलता को लेकर अभी से सवाल उठने शुरू हो गए हैं.
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अफगानिस्तान में तालिबान 1996 से लेकर 2001 तक सत्ता में रहा था. तालिबान
ने अपने शासन के दौरान सख्त तौर पर इस्लामिक कानून लागू किया था जिसकी
दुनिया भर में आलोचना हुई थी. तालिबान के शासन में महिलाओं के काम करने या
पढ़ाई करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था. 2001 में जब तालिबानी सत्ता से
बाहर हुए तो लाखों लड़कियां स्कूल जाने लगीं.
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कई लोगों को डर सताने लगा है कि अमेरिकी-तालिबान समझौते के बाद अगर तालिबान फिर से ताकतवर होता है तो देश की महिलाओं के भविष्य का क्या होगा. इसके साथ ही अमेरिकी सेना के लौटने के बाद अफगानिस्तान में आईएसआईएसएस जैसे आतंकी संगठनों के उभरने का भी डर है.