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विश्व

PHOTOS: जिंदा रहने की जंग… गाजा में रोटी के लिए जान जोखिम में डालते लोग

गाजा में खाने के लिए अपनी जान जोखिम में डालते फिलिस्तीनी
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यह तस्वीर गाजा में भूख से बेसब्र हुए जनजीवन की पूरी सच्चाई बयां करती है. इस तस्वीर में साफ है कि किस तरह भूख से बेहाल लोग एक-एक निवाले के लिए लाचार नजर आ रहे हैं. हालात ये हैं कि खाने के लिए लोग अपनी जान की परवाह तक नहीं कर रहे. वो कहते हैं न कि जंग हर तरह से इंसानी जान की दुश्मन बन जाती है. 

गाजा में खाने के लिए अपनी जान जोखिम में डालते फिलिस्तीनी
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गाजा में खाद्य संकट अब भयावह स्तर पर पहुंच गया है. हाल‍िया र‍िपोर्ट के अनुसार 50 से ज्यादा बच्चे पहले ही भुखमरी से मर चुके हैं, और कई बच्चे मौत के कगार पर हैं. इस तस्वीर में गाजा के जबालिया में अल-रशीद स्ट्रीट पर लोग आटे की बोरियां लेकर जा रहे हैं. इस आटे से उनके पर‍िवार को कम से कम कुछ दिन भूख से तो नहीं मरना होगा.

 

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तस्वीर में दिख रहे फिलिस्तीनी नागरिक विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के राहत काफिले से भोजन की बोरियां और डिब्बे उठाकर ले जा रहे हैं. हर बोरी में सिर्फ राशन ही नहीं बल्कि उम्मीद, जिंदा रहने की जिद और अपनों के लिए एक वादा भी छुपा है कि चाहे हालात जैसे भी हों, वे हार नहीं मानेंगे. गाजा पट्टी में जारी संघर्ष और नाकेबंदी के बीच जिंदगी की सबसे बुनियादी जरूरत यानी खाना भी जैसे जंग बन चुका है. 

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इस तस्वीर में जो शख्स दिख रहा है वो बस एक इंसान नहीं बल्क‍ि युद्ध की कीमत चुका रहे लाखों लोगों की आवाज है. इजरायली गोलीबारी में मारे गए अपने किसी बेहद करीबी को विदा करते वक्त, ये व्यक्ति सिर्फ रो नहीं रहा, वो एक सिसकती हुई दुनिया को आईना दिखा रहा है. जंग में अपनों को खो रहे गाजा के लोगों के आंसू युद्ध की व‍िभीष‍िका को बयां कर रहे हैं. 

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गाजा सिटी के अल-शिफा अस्पताल की ही ये दूसरी तस्वीर है. यहां लोग अपने परिजनों की मौत पर विलाप कर रहे हैं. कुछ घंटे पहले परिवार के साथ बैठे लोग अब जिंदगी को व‍िदा कर चुके हैं, उनके पीछे उनके पर‍िवार हैं जिनके पास आंसुओं के अलावा कुछ नहीं बचा. 

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खान यूनिस के नासेर अस्पताल में एक और जीवन ख़ामोश हो गया और उसके चारों ओर टूटी हुई आवाजें गूंजने लगीं. इजरायली हमले में मारे गए इस व्यक्ति के शव से लिपटे परिजन सिर्फ दुख नहीं, असहायता की आखिरी हदें बयां कर रहे हैं. 
यह सिर्फ एक मौत नहीं, एक और परिवार का उजड़ जाना है. गाज़ा की उन अनगिनत कहानियों में से एक, जिन्हें दुनिया अक्सर अनसुना कर देती है. 

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इजरायली हमले में घायल हुए फिलिस्तीनियों को दक्षिणी गाजा पट्टी के खान यूनिस स्थित नासेर अस्पताल में लेकर लोग जा रहे हैं. यहां हमले के बाद बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं, हजारों लोगों की मौत हो चुकी है. ये नजारे द‍िल दहलाने वाले हैं. गाजा पट्टी में मौत और भूख के हालातों ने इंसानी जिंंदगी को एक मुहाने पर खड़ा कर दिया है. 

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अक्टूबर 2023 से लेकर इस साल 20 मई तक गाजा के सहायता वितरण केंद्र मारे गए अपने रिश्तेदारों के प्रति शोक व्यक्त करती महिलाओं की चीखें हर तरफ गूंज रही हैं. इजरायली हमलों में लगभग 18,000 फिलिस्तीनी बच्चों की मौत हो चुकी है. इनमें से 800 से अधिक एक साल से कम उम्र के शिशु थे. पिछले 19 महीनों में कम से कम 274 बच्चे जन्म लेने के बाद मारे गए. हिंसा में कोई कमी नहीं आ रही है. 

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ये गाजा शहर के शिफा अस्पताल में सहायता वितरण केंद्र की ओर जाते समय मारे गए फिलिस्तीनियों के शव हैं. गाजा में कई घरों में मातम पसरा है. अस्पतालों में शवों के ढेर लगे हुए हैं. कई ऐसे हैं जो अस्पताल में ज़िंदगी की जंग लड़ रहे हैं. भुखमरी झेल रहे गाजा के लोगों के सामने या तो मौत है या भुखमरी.

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