चीन ने नई दिल्ली में दलाई लामा के प्रतिनिधि से अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की मुलाकात को अपने आंतरिक मामलों में दखल करार दिया है. भारत दौरे पर आए एंटनी ब्लिंकन ने बुधवार सुबह दिल्ली में दलाई लामा ब्यूरो के निदेशक न्गोडुप डोंगचुंग से मुलाकात की थी. उन्होंने अलग से सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधियों के एक समूह से भी मुलाकात की, जिसमें नई दिल्ली में तिब्बत हाउस के निदेशक गेशे दोरजी दामदुल शामिल थे.
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नई दिल्ली में दलाई लामा के प्रतिनिधि से मुलाकात पर चीन ने अमेरिका को आड़े हाथों लिया. बीजिंग में चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि तिब्बत पूरी तरह से चीन का आंतरिक मामला है जिसमें विदेशी हस्तक्षेप की बिल्कुल इजाजत नहीं है.
(चीन के विदेश मंत्री वांग यी, फोटो-AP)
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा, "चीन विदेशी अधिकारियों और दलाई लामा के बीच किसी भी तरह के संपर्क का कड़ा विरोध करता है. अमेरिकी पक्ष और दलाई गुट के बीच किसी भी प्रकार का संपर्क तिब्बत को चीन का हिस्सा मानने, 'तिब्बती स्वतंत्रता' का समर्थन नहीं करने और चीन में अलगाववाद के प्रयासों का समर्थन नहीं करने की अमेरिकी प्रतिबद्धता का उल्लंघन है."
(फोटो-@zlj517)
I was pleased to meet civil society leaders today. The U.S. and India share a commitment to democratic values; this is part of the bedrock of our relationship and reflective of India’s pluralistic society and history of harmony. Civil society helps advance these values. pic.twitter.com/5NL2WiQ13o
— Secretary Antony Blinken (@SecBlinken) July 28, 2021
झाओ लिजियन ने कहा, 'अमेरिका को अपनी प्रतिबद्धता का सम्मान करना चाहिए, तिब्बती मामलों के बहाने चीन के आंतरिक मामलों में दखल देना बंद करना चाहिए और चीन विरोधी अलगाववादी गतिविधियों में शामिल 'तिब्बती स्वतंत्रता' की हिमायती ताकतों को कोई समर्थन नहीं देना चाहिए. चीन अपने हितों की रक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगा.'
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हालांकि, चीन के विदेश मंत्रालय ने इस महीने की शुरुआत में पर्यवेक्षकों को उस समय चौंका दिया था, जब उसने दलाई लामा के 86वें जन्मदिन पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के टेलीफोन कॉल पर कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की थी. पीएम मोदी ने पहली बार 2014 के बाद से तिब्बती आध्यात्मिक नेता के साथ हुई बातचीत की सार्वजनिक रूप से पुष्टि की थी.
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Spoke on phone to His Holiness the @DalaiLama to convey greetings on his 86th birthday. We wish him a long and healthy life.
— Narendra Modi (@narendramodi) July 6, 2021
दलाई लामा के उत्तराधिकार को लेकर भी चीन और अमेरिका के बीच मतभेद हैं. तिब्बती नेता दलाई लामा का कहना है कि जब वह 90 वर्ष के हो जाएंगे तब इस सवाल पर बात करेंगे.
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बाइडेन प्रशासन ने इस साल की शुरुआत में कहा था कि उसका मानना है कि दलाई लामा के उत्तराधिकार की प्रक्रिया में चीनी सरकार की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए. दिसंबर 2020 में अमेरिकी सीनेट ने द तिब्बत पॉलिसी सपोर्ट एक्ट पारित किया था और तत्कालीन ट्रंप प्रशासन ने इसका समर्थन किया था. इस पॉलिसी में कहा गया है कि अमेरिका दलाई लामा सहित तिब्बती बौद्ध लामाओं के उत्तराधिकार या पहचान में हस्तक्षेप करने के लिए चीन के किसी भी कदम का विरोध करेगा.
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हालांकि, बीजिंग ने मई में एक श्वेत पत्र जारी किया था. इसमें कहा गया था कि चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी और बीजिंग में सरकार दलाई लामा और अन्य बुद्धों के पुनर्जन्म (reincarnation) को मंजूरी देगी. चीन ने यह भी कहा था कि "स्वर्ण कलश" की प्रक्रिया का पालन किया जाएगा और चयनित उम्मीदवार को चीन सरकार मंजूरी देगी.
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बहरहाल, विदेश नीति के विशेषज्ञ श्रीराम सुंदर चौलिया ने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा कि बाइडेन प्रशासन मानव अधिकारों के उल्लंघन को लेकर चीन पर हमलावर है. चाहे वो शिनजियांग का मसला हो, हांगकांग हो या फिर तिब्बत. इन वजहों से चीन अमेरिका से काफी खफा है. इस तरह के तनाव अमेरिका-चीन के तनाव को दर्शाते हैं. भारतीय धरती पर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और दलाई लामा के एक प्रतिनिधि के बीच बैठक ने इस तनाव को और बढ़ा दिया है.
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श्रीराम सुंदर चौलिया ने कहा कि जाहिर है कि दलाई लामा के प्रतिनिधि से ब्लिंकन की मुलाकात को लेकर भारत ने कोर्डिनेशन का काम किया है, और यही वजह है कि चीन पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) से अपने सैनिकों को वापस लेने से इनकार कर रहा है.
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चूंकि चीन का कहना है कि वह लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के अधिकांश हिस्से पर भारत की संप्रभुता को स्वीकार नहीं करता है. लिहाजा, भारत ने भी इस मुलाकात के जरिये यह संदेश दिया है कि वह चीन के अविभाज्य हिस्से के रूप में तिब्बत की वर्तमान स्थिति को नहीं मानेगा, और ताइवान के साथ अनौपचारिक संबंधों को भी बढ़ाएगा.
(फोटो-PTI)