अमेरिकी फौजों के जाने के बाद से ही अफगानिस्तान में तबाही चालू है. अफगान सैनिकों और तालिबान के विद्रोही लड़ाकों के बीच चल रहे संघर्ष पर पूरी दुनिया का ध्यान लगा हुआ है. तालिबान ने भी दावा किया है कि उसने अफगानिस्तान के अधिकतर हिस्से पर यानी करीब 85 प्रतिशत हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया है.
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इस बीच अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी (Afghanistan President Ashraf Ghani) ने एक अख़बार को दिए इंटरव्यू में कई बड़ी बातें कही हैं जो तालिबान के साथ चल रहे उसके युद्ध और भारत-अफगान संबन्धों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं.
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अंग्रेजी के भारतीय अख़बार 'द हिंदू' को अफगानिस्तान के राष्ट्रपति ने इंटरव्यू दिया है, जिसमें अशरफ गनी ने ये स्वीकार किया है कि तालिबान ने अफगान में चल रही लड़ाई में कई जगहों पर जीत हासिल की है. उन्होंने कहा है 'पहली बात ये कि कुछ लड़ाइयां जीत जाना युद्ध जीत जाना नहीं होता. वे (तालिबान) लड़ाइयां जीते हैं लेकिन वे युद्ध हारने जा रहे हैं, इसे लेकर हम संकल्पित हैं. हमें स्थिति को संतुलित करने की जरूरत है. लेकिन हमारा गोल सैन्य रूप से युद्ध जीतना नहीं है बल्कि अफगानिस्तान में एक राजनीतिक समाधान तक पहुंचना है.''
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अफगानी राष्ट्रपति अशरफ गनी ने आगे कहा ''मैं नहीं चाहता कि हमारा देश अल्जीरिया, ईराक या सीरिया या लेबनान या यमन की तरह बने. हम अपनी जिंदगियों को तबाह नहीं होने देंगे.''
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जब अफगान राष्ट्रपति से भारतीय पत्रकार दानिश सिद्दीकी (Danish Siddiqui) की मौत पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा ''मैं भारतीय पत्रकार (दानिश सिद्दीकी) के परिवार, भारत के पत्रकार समुदाय और दुनिया भर के सभी पत्रकारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना देना चाहता हूं.
जब अफगानी राष्ट्रपति से ये सवाल पूछा गया कि क्या उन्होंने भारत से मिलिट्री सपोर्ट लेने की रिक्वेस्ट की थी? इस सवाल के जवाब पर अशरफ गनी ने कहा 'अफगानिस्तान ने भारत से मिलिट्री सपोर्ट नहीं मांगी है. भारत अफगान का एक असाधारण दोस्त रहा है. खुद मेरे भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अच्छे रिश्ते हैं. भारत एक ऐसा देश है जिसके साथ हमारे व्यापार का सकारात्मक संतुलन है. हम चौथी औद्योगिक क्रांति से जो बदलाव आने वाले हैं उसमें भारत के साथ भागीदार बनना चाहते हैं.
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जब अशरफ गनी से भारत-पाकिस्तान के खराब संबंधों का अफगानिस्तान पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा ''हमें उम्मीद है कि भारत और पाकिस्तान एक समाधान पर पहुंचेंगे, क्योंकि इससे पूरा एशिया बदल जाएगा. हालांकि अफगनिस्तान पर अक्सर ये भी आरोप लगाए जाते हैं कि भारत अफगानिस्तान के कोने-कोने में है, या यहां 21 भारतीय वाणिज्य दूतावास (Indian consulates) हैं.''
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अफगानी राष्ट्रपति ने कहा है कि अफगानिस्तान अभी भी तालिबान से बातचीत करके ही दोनों की समस्या का समाधान निकालने के पक्ष में है. उन्होंने बताया है कि 'अपने प्लान्स में कुछ बदलावों के बाद शनिवार के दिन एक अफगानी डेलीगेशन दोहा (कतर की राजधानी) भेजा गया है, जिसका नेतृत्व उच्च परिषद के प्रमुख अब्दुल्ला ने किया. ये प्रतिनिधि-मंडल (Afghan delegation) तालिबानी नेताओं से बातचीत के लिए भेजा गया है, जिसके प्रयास कतर सरकार और अन्य देशों द्वारा बंद पड़े इंट्रा-अफगान संवाद (intra-Afghan dialogue) को शुरू करने के लिए किये जा रहे हैं.
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राष्ट्रपति अशरफ गनी से जब ये पूछा गया कि अगर अफगानिस्तान में तालिबान पॉवर में आ जाता है तब क्या वे बाहरी देशों की मदद लेंगे? इस पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग लेने की मना करते हुए राष्ट्रपति गनी ने कहा ''नहीं ये हमारा काम है. अब अंतरराष्ट्रीय इंगेजमेंट और इंटरनेशनल फोर्स का अफगानिस्तान में प्रयोग करने का समय समाप्त हो गया है. तालिबान को हराना अब हमारा काम है.
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