केंद्र सरकार की ओर से 'मनरेगा' का नाम बदलकर 'G RAM G' करने के बाद विपक्षी दल आक्रोशित हैं. इस बीच बंगाल सरकार ने अपनी जॉब गारंटी योजना ‘कर्मश्री’ का नाम बदलकर अब ‘महात्मा-श्री’ कर दिया है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि महात्मा गांधी के सम्मान से कोई समझौता नहीं होगा और अगर कोई उनका सम्मान नहीं जानता, तो बंगाल बताएगा कि सच्चा सम्मान क्या होता है.
क्या है बंगाल सरकार की योजना?
राज्य सरकार की यह योजना साल 2024 में शुरू हुई थी. इसके तहत 90 लाख से ज्यादा जॉब कार्ड धारकों को 101.5 करोड़ मानव-दिवस का काम दिया गया है. योजना में ग्रामीण परिवारों को साल में कम से कम 50 दिन रोजगार की गारंटी दी जाती है.
खास बात यह है कि यह पूरी तरह से पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से फंडेड योजना है. इसके अलावा राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से 58 लाख मजदूरों को 6919 करोड़ रुपये के लंबित मनरेगा मजदूरी भुगतान भी किए हैं.
सोनिया गांधी ने भी साधा निशाना
दूसरी तरफ कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी मनरेगा के मुद्दे पर मोदी सरकार पर जोरदार हमला बोला है. उन्होंने कहा कि पिछले 11 साल में केंद्र सरकार ने ग्रामीण गरीबों, बेरोजगारों और वंचितों के हितों को नजरअंदाज कर मनरेगा को कमजोर करने की हर कोशिश की. कोविड के समय यही योजना गरीबों के लिए संजीवनी साबित हुई थी.
सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि हाल में सरकार ने मनरेगा पर बुलडोजर चला दिया. न सिर्फ महात्मा गांधी का नाम हटाया गया, बल्कि बिना किसी चर्चा और सलाह के योजना का स्वरूप बदल दिया गया. उन्होंने कहा कि अब दिल्ली में बैठकर यह तय किया जाएगा कि किसे, कितना और कहां रोजगार मिलेगा, जो जमीनी हकीकत से दूर है.
'कांग्रेस मजबूती से लड़ने के लिए तैयार'
उन्होंने कहा कि मनरेगा किसी एक पार्टी की नहीं, बल्कि देश और जनता के हित से जुड़ी योजना थी. इस कानून को कमजोर कर मोदी सरकार ने करोड़ों किसानों, मजदूरों और भूमिहीन ग्रामीण गरीबों के हितों पर हमला किया है. सोनिया गांधी ने कहा कि कांग्रेस इस फैसले के खिलाफ पूरी मजबूती से लड़ने के लिए तैयार है.