उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बीच सियासी बयानबाजी से माहौल में गरमी देखी जा रही है. एक दिन पहले गुरुवार को सीएम योगी ने बिना नाम लिए सपा प्रमुख पर हमला बोला तो अब अखिलेश ने भी पलटवार किया है. अखिलेश ने तंज कसते हुए कहा- जिस काल्पनिक टापू और होटल को हमारे नाम से जोड़ा है, उसका आप ही नामकरण कर दीजिए. कहिए तो नाम हम ही सुझा दें.
बता दें कि गुरुवार को सीएम योगी आदित्यनाथ ने विपक्षी समाजवादी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा था कि पहले राज्य को उत्पाद कर के रूप में कुल 12,000 करोड़ रुपये मिलते थे, आज वह बढ़कर 45,000 करोड़ रुपये होने जा रहे हैं. यह पैसा कहां गया? यह (पैसा) चोरी हो गया. इस पैसे से लोग इंग्लैंड में होटल और ऑस्ट्रेलिया में टापू खरीदते थे. 2017 से पहले राज्य के युवा ‘पहचान के संकट’ से जूझ रहे थे और अपराधी ‘समानांतर सरकार’ चला रहे थे. उन्होंने राज्य विधान परिषद को यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश जिस तेजी से आगे बढ़ा है, उससे लोगों में 'नया विश्वास' पैदा हुआ है.
'रजिस्ट्री के गवाह आप ही थे तो फिर नामकरण कर दीजिए'
सीएम योगी के बिना नाम लिए बयान पर राजनीतिक माहौल गरमा गया था. अब सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी बिना नाम लिए हमला बोला है. अखिलेश ने ट्वीट कर कहा- 'माननीय ऐसा प्रतीत होता है कि आपने जिस काल्पनिक टापू और होटल को हमारे नाम से जोड़ा है उसकी रजिस्ट्री के गवाह आप ही थे, तो फिर नामकरण भी आप ही कर दीजिए… आप तो नामकरण के उस्ताद हैं. कहिए तो नाम हम ही सुझा दें.'
सीएम योगी ने क्या दिया था बयान...
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा- 2017 से पहले उत्तर प्रदेश के युवाओं में पहचान का संकट था. किसान आत्महत्या कर रहे थे, गरीब लोग भुखमरी का सामना कर रहे थे. भुखमरी से मौतें हो रही थीं और महिलाएं सुरक्षित नहीं थीं. उन्होंने कहा- संगठित अपराध में शामिल लोग समानांतर सरकार चला रहे थे. चाहे जमीन हो, खनन हो या जंगल... सभी तरह के माफिया फल-फूल रहे थे. लेकिन, पिछले 6 वर्षों में स्थिति बदल गई है. अब वे (युवा) गर्व के साथ कह सकते हैं कि वे उत्तर प्रदेश से हैं और यहां शिक्षित हुए हैं. टीम यूपी ने इस बदलाव को संभव बनाया है.
उन्होंने लखनऊ में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट और अन्य कार्यक्रमों पर भी प्रकाश डाला. मुख्यमंत्री ने कहा- किसी भी समस्या का समाधान इस बात पर निर्भर करता है कि आपका सलाहकार कौन है. दुर्योधन के सलाहकार शकुनि थे और अर्जुन के भगवान कृष्ण थे. नतीजे सबके सामने हैं. अगर आप शकुनि को रखेंगे तो विनाश का सामना करेंगे. अगर विपक्ष इस बात को समझेगा तो हो सकता है कि उन्हें कुछ समझ आए.