यूपी के कानपुर में एक बार फिर ट्रेन को पलटने की साजिश सामने आई है. जांच एजेंसियां एक्टिव हुईं हैं और संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही हैं. इस साजिश के पीछे आतंकियों का हाथ होने से भी इनकार नहीं किया जा सकता है. घटना से कुछ दिन पहले ही पाकिस्तान में बैठे रामेश्वर कैफे ब्लास्ट के मास्टरमाइंड फरहतुल्ला गोरी ने एक वीडियो जारी किया था और इंडियन मुस्लिम यूथ से रेल पटरी उड़ाने की अपील की थी. गोरी ने ट्रांसपोर्ट को भी निशाना बनाने के लिए कहा था. फिलहाल, जांच एजेंसी हर पहलू को ध्यान में रखकर जानकारी जुटा रही हैं.
दरअसल, कानपुर में अनवरगंज-कासगंज रेलवे रूट पर रविवार रात (8 सितंबर) कालिंदी एक्सप्रेस ट्रैक पर रखे एलपीजी सिलेंडर से टकरा गई थी. ये ट्रेन प्रयागराज से भिवानी जा रही थी. लोको पायलट ने वक्त पर ब्रेक लगाकर हादसे को टाल दिया था. जांच में पता चला कि सिलेंडर का इस्तेमाल कर ट्रेन को पलटने की साजिश रची गई थी. गनीमत रही कि विस्फोट नहीं हुआ. ट्रेन करीब 20 मिनट तक रुकी रही. बाद में जांच एजेंसियों को मौके से भरे हुए सिलेंडर के अलावा पेट्रोल बम, बारूद के पैकेट्स और माचिस भी मिली थी. हादसे के बाद यूपी पुलिस, एटीएस, आईबी, एलआईयू से लेकर एनआईए तक हरकत में आईं. खासकर यूपी एटीएस मामले में बेहद गहनता से तथ्य सबूत जुटा रही है. कुछ लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ भी की जा रही है, लेकिन जिस तरह उत्तर प्रदेश में पिछले दिनों एक के बाद एक ऐसी घटनाएं सामने आती जा रही हैं, उससे रेलवे की सुरक्षा को लेकर किसी बड़ी साजिश होने से इनकार नहीं किया जा सकता है. अचानक रेल की पटरियों पर लोहे की रॉड, लकड़ी के खंभे, गैस के सिलेंडर, अलॉय व्हील की रिम जैसी चीजें मिल रही हैं.
जाहिर तौर पर आशंका बढ़ती है कि क्या देश में रेल हादसों के लिए पटरियों पर साजिश रची जा रही है? क्या पाकिस्तान में बैठे आतंकवादियों की अपील पर भारत में रेल हादसे कराने की कोशिश हो रही है? यूपी के डीजीपी प्रशांत कुमार कहते हैं कि हमारे वरिष्ठ अधिकारियों ने मौके का मुआयना किया है. हम इसे गंभीरता से देख रहे हैं. जिस तरह के तथ्य प्रकाश में आएंगे, हम अवगत कराएंगे. हम सभी पहलुओं को देखेंगे. बिना पूरी जांच पड़ताल किए कुछ भी कहना अभी संभव नहीं है.
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क्या खोरासन मॉड्यूल का हाथ?
कालिंदी एक्सप्रेस को डिरेल करने की साजिश में बड़ा खुलासा हो रहा है. सूत्रों के मुताबिक, एटीएस को इसमें आतंकी संगठन आईएस के खोरासान मॉड्यूल का हाथ होने का शक है. इस मॉड्यूल के लड़के खुद को कट्टरपंथी बनाकर हमलों को अंजाम देते हैं. एटीएस सूत्रों का कहना है कि इसी मॉड्यूल के आतंकी इस तरह के हमले करते है. 2017 में मध्य प्रदेश में ऐसे हमले हो चुके हैं. इस मॉड्यूल का एक आतंकी सैफुल्लाह लखनऊ में एनकाउंटर में मारा गया था. उसके पास से भी सिलेंडर और आईईडी मिला था. कानपुर से जाजमऊ से इसी केस में कई आरोपियों को पकड़ा गया था. सूत्र कहते हैं कि आईएस और आईएसआई के कहने पर ऐसे हमले किये जा रहे हैं. इसमें कट्टरपंथियों के साथ-साथ पैसे के लिए हमले को अंजाम देने वाले भी शामिल हो सकते हैं. एनआईए भी अब मामले की जांच कर रही है. NIA की टीम स्थानीय पुलिस को सपोर्ट करेगी और अपने स्तर पर मामले की जांच करेगी. NIA एसपी लखनऊ ब्रांच टीम को लीड कर रहे हैं. साजिश के एंगल से भी जांच हो रही है.
क्या ट्रेन डिरेल की थी बड़ी साजिश?
जांच एजेंसी के सूत्र कहते हैं कि एक हफ्ते पहले ही रामेश्वरम कैफे ब्लास्ट के आरोपी फरतुल्लाह गोरी ने मुस्लिम युवाओं से अपील की थी कि ट्रेनों को टारगेट करें और हमले करें. एजेंसियां इस एंगल से भी जांच कर रही हैं. भारत में भगोड़ा घोषित किए जाने के बाद गोरी पाकिस्तान में छिपा हुआ है. उसने ही पाकिस्तान की इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) की मदद से स्लीपर सेल के जरिए बेंगलुरु के रामेश्वरम कैफे में विस्फोट की साजिश रची थी. 1 मार्च को रामेश्वरम में हुए ब्लास्ट में 10 लोग घायल हो गए थे.
सरकार ने NIA को सौंपी जांच
पुलिस के मुताबिक, इस पूरे मामले की जांच हुई तो पता चला कि कुछ अज्ञात लोगों ने एक्सप्रेस ट्रेन को गैस सिलिंडर और बारूद से उड़ाने की साज़िश रची थी. यूपी की एंटी टेररिस्ट स्क्वायड ने घटनास्थल से एक गैस सिलिंडर, मिठाई के एक डिब्बे में बारूद, एक माचिस और पेट्रोल बम बरामद किया, जिससे अंदाजा लाया जा सकता है कि अगर ट्रेन से टक्कर होने के बाद इस गैस सिलिंडर में ब्लास्ट होता तो कितना बड़ा हादसा हो सकता था और ये ट्रेन एक बड़ी साजिश का शिकार हो जाती. रेलवे पुलिस, ATS और इंटेलीजेंसी ब्यूरो का मानना है कि इस घटना के पीछे कोई बड़ी साजिश हो सकती है और यही कारण है कि अब सरकार ने इस मामले की जांच NIA को सौंप दी है. अभी इस घटना में कुल 6 संदिग्धों की गिरफ्तारी हुई है और पुलिस ने जमात के लोगों की भूमिका पर भी संदेह जताया है.
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साजिश के पीछे क्या था मकसद?
पुलिस का कहना है कि जिस इलाके में ये घटना हुई, वहां अलग-अलग केंद्रों में दूसरे राज्यों, जिलों और शहरों से जमात के लोग धार्मिक यात्रा के मकसद से आते हैं और हो सकता है कि इस घटना में भी जमात के किसी सदस्य का हाथ हो. अभी इस मामले में साजिश को लेकर दो बड़ी बातें कही जा रही हैं. पहली बात ये कि हमलावर ट्रेन को गैस सिलिंडर से उड़ाना चाहते थे और दूसरा- हमलावर गैस सिलिंडर में विस्फोट होने के बाद पेट्रोल बम से ट्रेन को आग लगाने वाले थे लेकिन क्योंकि ट्रेन से टक्कर होने के बाद गैस सिलिंडर में धमाका नहीं हुआ इसलिए आरोपी माचिस, पेट्रोल बम और मिठाई के डिब्बे में रखा बारूक पटरियों पर छोड़ कर ही भाग गए.
4 जून को लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद अब तक देशभर में कुल 8 ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिनमें पटरियों पर लोहे की रॉड, गार्डर, बोल्डर और बड़े-बड़े पत्थर रखकर ट्रेनों को पलटने की साजिश हुई है. साल 2024 के सिर्फ 8 महीनों के अंदर 14 रेल हादसे हो चुके हैं, उसमें भी पांच रेल हादसे पिछले महीने अगस्त में ही हुए हैं. 17 अगस्त को कानपुर में साबरमती एक्सप्रेस को निशाना बनाया गया था. जबकि 20 अगस्त को जबलपुर में एक पैसेंजर ट्रेन को ''डिरेल' करने की कोशिश हुई थी और 22 अगस्त को अलीगढ़ में और 23 अगस्त को उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में भी इस तरह की घटना हुई थी, जिससे ऐसा लगता है कि कोई तो है, जो भारत में बड़ी रेल दुर्घटना कराने की साजिश रच रहा है और इसके पीछे आतंकवादी भी हो सकते हैं.
आतंकी फरहतुल्ला गोरी ने क्या वीडियो जारी किया था?
पिछले महीने पाकिस्तान में आतंकवादी फरहतुल्ला गोरी ने टेलिग्राम ऐप पर अपना एक वीडियो जारी किया था, जिसमें उसने तीन बड़ी बातें कही थीं. पहली बात- वो भारत में पटरियों को क्षतिग्रस्त करके ट्रेनों को पटरियों से उतारने की साजिश रच रहा है. दूसरा- भारत में सत्ता तभी बदलेगी, जब यहां फिदायीन हमले होंगे और तीसरा- इसमें LONE WOLF ATTACK का जिक्र था, जिसमें एक आतंकवादी बिना किसी बाहरी निर्देश के एक हमले को अंजाम देता है और ये सारी बातें पाकिस्तान के उस आतंकवादी ने कही हैं, जिसे भारत ने मोस्ट वॉन्टेड घोषित किया है और जो बेंगलुरु के रामेश्वरम कैफे में हुए ब्लास्ट का भी मास्टरमाइंड है.
फिलहाल, कानपुर की घटना के बाद सभी जांच एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं. ट्रेन को पटरी से उतारने की कोशिश की जांच आतंकी साजिश के एंगल से भी की जा रही है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और उत्तर प्रदेश आतंकवाद निरोधक दस्ते (यूपी एटीएस) समेत अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने मामले की जांच शुरू कर दी है. फरहतुल्ला गोरी साल 2002 में गुजरात में अक्षरधाम मंदिर में हुए हमले का मास्टरमाइंड है और फिलहाल पाकिस्तान में मौजूद है. हाल में भारतीय खुफिया एजेंसियों और दिल्ली पुलिस ने फरहतुल्ला गोरी के दिल्ली, मुंबई, पुणे और उत्तर प्रदेश में फैले स्लीपर सेल के नेटवर्क को तोड़ा है और कई गिरफ्तारियां की हैं.