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'फड़फड़ा रहा है सांप्रदायिकता का दीया...' जानिए क्यों बोले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव

क्या आरएलडी चीफ जयंत चौधरी विपक्षी गठबंधन से फिर जुड़ सकते हैं? इस सवाल पर सपा अध्यक्ष ने कहा, राजनीति में किसकी क्या मर्जी है, ये मैं कैसे जान सकता हूं. कुछ लोग अपनी मर्जी से आजाद होते हैं. उनकी मर्जी है कहीं भी जाने की. मेरे पास कौन आएगा? मेरे पास देने को क्या है? ना बजट है, ना मंत्री पद. हम क्या दे सकते हैं.

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सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव.
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव.

अग्निपथ योजना से लेकर देश के बजट तक पर विपक्षी नेता तीखी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आजतक से विशेष बातचीत में बजट पर सवाल उठाए हैं और केंद्र सरकार पर हमला बोला है. अखिलेश का कहना है कि ये सरकार बचाओ बजट है. अखिलेश ने यह भी कहा कि ये चलने वाली नहीं, गिरने वाली सरकार है. कब गिर जाए पता नहीं. ये बहुमत वाली सरकार नहीं है. आप कुछ देकर लोगों को जोड़कर रखे हैं. ये सब जनता देख रही है. सरकार के पास नया कुछ नहीं है. इसी सरकार ने महंगाई और बेरोजगारी बढ़ाई.

क्या आरएलडी चीफ जयंत चौधरी विपक्षी गठबंधन से फिर जुड़ सकते हैं? इस सवाल पर सपा अध्यक्ष ने कहा, राजनीति में किसकी क्या मर्जी है, ये मैं कैसे जान सकता हूं. कुछ लोग अपनी मर्जी से आजाद होते हैं. उनकी मर्जी है कहीं भी जाने की. मेरे पास कौन आएगा? मेरे पास देने को क्या है? ना बजट है, ना मंत्री पद. हम क्या दे सकते हैं. लोग वहीं जाते हैं, जहां कुछ लाभ होता है. हमारे पास तो कुछ लाभ नहीं है.

'अब कम्युनल से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं बचा'

यूपी में कांवड़ मार्ग में दुकानों पर नेमप्लेट मामले में सपा प्रमुख ने सरकार पर निशाना साधा. अखिलेश ने कहा, मैं सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद देना चाहता हूं. सौहार्द्र जीता, उसके लिए बधाई देते हैं. बीजेपी ये प्रयास करती रहती है कि कैसे नफरत फैले और लोगों के बीच में कैसे बंटवारा हो. हमें खुशी इस बात की है कि जनता में इस तरह का भेदभाव कहीं नहीं दिख रहा है. जनता जैसे मिलकर रहती थी और एक-दूसरे का सहयोग करती थी. क्योंकि रोजगार एक-दूसरे को जोड़ता है. बीजेपी को ये बात अच्छी नहीं लगती है और ना उसे ये बात समझ में आ रही है. इसलिए उन्होंने ये तख्तियां लगवाईं. तख्तियां हटीं- ये सबसे बड़ी जीत है. ये सरकार प्रयास इसलिए कर रही है, क्योंकि उसके पास अब कम्युनल से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं बचा है. कम्युनल का मुद्दा खत्म हो गया है. सांप्रदायिकता का जो दीया है, वो फड़फड़ा रहा है. आखिरी वक्त में उससे कैसे कुछ लाभ मिल जाए, इसलिए प्रयास कर रहे हैं. मुझे पूरा भरोसा है और जिस तरह का माहौल है, कहीं बीजेपी के लोग सफल नहीं होंगे.

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'हम सहयोग के लिए तैयार हैं'

यूपी सरकार में अंदरुनी कलह और मानसून ऑफर दिए जाने पर अखिलेश का कहना था कि मैं ये बात तभी कह रहा हूं, जब मुझे कुछ दिखाई दे रहा है. मुझे सुनने को मिल रहा है. हम कोई परिवर्तन नहीं ला सकते हैं, लेकिन कोई परिवर्तन के लिए तैयार है तो उसके सहयोग के लिए हम तैयार हैं. 

क्या किसी और पार्टी के नेता को सीएम बनाने के लिए तैयार हैं? अखिलेश ने कहा, सवाल मुख्यमंत्री का नहीं है. सवाल ये है कि किसी के पास कुछ हो तो सही. अगर कोई परिवर्तन करना चाहता है तो परिवर्तन के लिए समाजवादी लोग तैयार हैं. हमारे पास (मॉनसून ऑफर) तो देने के लिए है. लेकिन दूसरे के पास लेने की हिम्मत है या नहीं? 

विपक्ष तो ऑफर देगा...

अखिलेश ने कहा, मैं किसी को तोड़ना (सरकार गिराने के लिए) नहीं चाहता हूं. सुनने में आ रहा है कि अंदर झगड़ा है. झगड़ा अंदर ही नहीं है, बल्कि दिल्ली तक है तो विपक्ष के लोग कुछ तो ऑफर करेंगे. कोई व्यक्ति बहुत दिनों से कोशिश में लगा है कि बड़ी कुर्सी पर बैठ जाए. उस पर बैठने के लिए सवाल ये है कि वो कितना ताकतवर है. हमारे बैठाने या ऑफर देने से कोई नहीं बैठेगा. हमारे ऑफर से कोई बहुत बड़ा परिवर्तन नहीं आने वाला है. लेकिन कम से कम उन्हें तो प्रयास करना चाहिए, जो प्रयास चल रहा है. क्योंकि इधर यूपी की जनता को क्या मिला? दिल्ली का बजट देख लिया. यूपी का बजट भी आएगा. आपने कोई मंडी नहीं बनाई. स्वास्थ्य सेवाएं ठप कर दीं. सुनने में आ रहा है कि अब ड्रोन चलेंगे. सरकारी अस्पताल या रेलवे स्टेशन चले जाएं, वहां भीड़ मिल जाएगी. लोग इलाज के लिए इंतजार कर रहे हैं. दिल्ली ने यूपी की क्या मदद की? यूपी बहुत पीछे छूट गया है. पिछले वित्तीष वर्ष में यूपी को सिर्फ एक प्रतिशत एफडीआई आया है. 

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अखिलेश ने आगे कहा, आप पहले स्मार्ट सिटी बना रहे थे. आज सरकार को कैंसर के इलाज के लिए दवाओं को सस्ता करना पड़ रहा है. लेकिन यूपी में जो कैंसर इंस्टीट्यूट बना हुआ है, उसको क्यों नहीं चला रहे हैं.

लाखों किसानों ने आत्महत्याएं की हैं...

अखिलेश ने किसानों को लेकर बयान दिया. अखिलेश ने कहा, देश में किसान आत्महत्या कर रहे हैं. कोई कल्पना कर सकता है कि लाखों किसानों ने आत्महत्याएं की हैं. फिर आप कहते हो कि किसान खुशहाल है. आपके लिए सपना दिखाया कि आय दोगुनी कर देंगे. आप किसानों को पांच सौ रुपए का सम्मान दे रहे हैं. आज की महंगाई में 500 रुपए क्या लाभ पहुंचा रहे हैं. जो किसान बंटाई पर खेती करता है, क्या उसे भी आप लाभ पहुंचा रहे हैं? उसे तो सम्मान नहीं दिया जा रहा है. आज किसान के साथ-साथ बंटाईदार किसान और मजदूर की आबादी ज्यादा है. उसे सरकार क्या दे रही है?

10 साल के फैसलों ने बेरोजगारी बढ़ाई है...

अखिलेश का कहना था कि जब पहली बार बीजेपी की सरकार बनी थी तो उनके लोगों ने खूब खुशियां मनाई थीं. दूसरी बार सरकार बनी तो उससे भी ज्यादा लोगों ने खुशियां मनाईं. लेकिन जब तीसरी बार सरकार बनी तो उतनी खुशियां नहीं आईं. कुछ इसी तरह का ये बजट है. ये इनकी सरकार का 11वां बजट है. जो खुशी और उत्साह आना चाहिए था, वो नहीं दिख रहा है. ये बजट कम चपत ज्यादा लग रहा है. बजट के साथ चपत लगा दी गई है. खासकर यूपी के लोग निराश हैं. जिस तरीके से यूपी देख रहा था, उसे सबसे ज्यादा लाभ मिलेगा. भेदभाव नहीं होगा. डबल इंजन की सरकार है. 10 साल के जो आपके फैसले थे, उसने बेरोजगारी बढ़ाई है. आज जो आप रोजगार देना चाहते हैं वो सम्मानजनक नहीं हैं.

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अखिलेश ने कहा, आप कह रहे हैं कि 5 हजार रुपए की नौकरी मिलेगी. ये बात आप तब कह रहे हैं जब सरकारी कर्मचारी आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने की बात कर रहे हैं. महंगाई के हिसाब से वेतन और सुविधाएं बढ़नी चाहिए. 10 साल की सरकार में आपने बेरोजगारी बढ़ाई. अब सम्मानजनक रोजगार भी नहीं दे पा रहे हैं.

यूपी सरकार ने कुछ मांगा ही नहीं है...

अखिलेश ने कहा, अगर आप आंध्र प्रदेश की राजधानी के लिए विशेष पैकेज देंगे, बिहार को एक्सप्रेस वे का पैकेज देंगे. बाढ़ नियंत्रण का पैकेज देंगे. यूपी का तो एक बार भी नाम नहीं लिया गया है तो जो सांसद बैठे हैं उन्हें तो समझ में आएगा ही. मुझे लगता है कि यूपी की सरकार ने कुछ मांगा ही नहीं होगा. यदि मांगा होता तो दिल्ली की सरकार उन्हें निराश नहीं करती. बिहार को इसलिए पैकेज मिला है क्योंकि उन्हें सरकार चलवानी है बिहार के सांसदों से सहयोग लेकर. बिहार की बाढ़ रोकने के लिए यूपी का भी सहयोग करना होगा. क्योंकि जो पानी नेपाल से आता है, वो यूपी से होकर बिहार चला जाता है. यही बाढ़ का कारण बनता है.
 

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