उत्तर प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) भी अब सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर चलती नजर आ रही है. सपा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हवन-पूजन के बाद अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए अपने अभियान का आगाज करेगी. सपा ने इसके लिए नैमिषारण्य को चुना है जहां कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर के साथ पार्टी लोकसभा चुनाव के लिए अपने अभियान का शंखनाद करेगी.
जानकारी के मुताबिक सपा ने लोकसभा चुनाव को लेकर नैमिषारण्य में कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया है. दो दिन के इस शिविर की शुरुआत 9 जून को होनी है. बताया जाता है कि सपा ने अब बीजेपी से मुकाबले के लिए राममनोहर लोहिया के समाजवाद, अंबेडकरवाद के साथ सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर आगे बढ़ने का फैसला कर लिया है.
नैमिषारण्य में आयोजित होने वाले कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह यादव के साथ ही पार्टी के कई अन्य दिग्गज नेता भी शामिल होंगे. सपा नैमिषारण्य से अपने चुनाव अभियान की शुरुआत करने के साथ ही धार्मिक आस्था का सम्मान करने का भी संदेश देने की कोशिश करेगी.
सपा सूत्रों के मुताबिक पार्टी ने कार्यकर्ता सम्मेलन के साथ अपने चुनाव अभियान का आगाज करने के लिए नैमिषारण्य को इसलिए चुना, क्योंकि यहां भगवान ने दानवों का संहार किया था. पार्टी को लगता है कि बीजेपी को परास्त करने के लिए पार्टी की छवि में सुधार जरूरी है और इसके लिए सबसे सही जगह नैमिषारण्य ही हो सकता है.
हवन-पूजन के बाद शुरू होगा शिविर
सपा सूत्रों ने बताया कि दो दिन के कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर की शुरुआत से पहले वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हवन-पूजन किया जाएगा. सपा अध्यक्ष और अन्य नेताओं के बैठकर हवन-पूजन करने के लिए 151 वेदी का भी निर्माण कराया जाएगा. बताया जाता है कि सपा के नेता हवन-पूजन के बाद ललिता देवी मंदिर भी जाएंगे और लोकसभा चुनाव में पार्टी की जीत के लिए देवी-देवताओं से प्रार्थना करेंगे.
नैमिषारण्य प्लान अयोध्या कार्ड की काट!
नैमिषारण्य में होने जा रहे इस प्रशिक्षण शिविर में सपा के तीन हजार बूथ कमेटी सदस्यों समेत कुल पांच हजार लोगों के शामिल होने की बात कही जा रही है. पार्टी सूत्रों की मानें तो सभी वरिष्ठ नेताओं से भी शिविर के लिए दो दिन वहीं रहने की अपील की गई है. सपा के इस नैमिषारण्य प्लान को बीजेपी के अयोध्या कार्ड के काट की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.
कर्नाटक और इन राज्यों में सफल रहा है मॉडल
रामचरितमानस विवाद और इसे लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव की चुप्पी, स्वामी प्रसाद मौर्य को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल किए जाने के बाद पार्टी को नुकसान का भी डर सता रहा है. यही वजह है कि सपा कर्नाटक, दिल्ली, मध्य प्रदेश के चुनाव में सफल रहे सॉफ्ट हिंदुत्व के मॉडल को अपनाकर बीजेपी का मुकाबला करने का प्लान बना रही है.
हाल के कर्नाटक चुनाव में बीजेपी ने जय बजरंगबली का नारा दिया, बजरंग दल पर बैन को हिंदू आस्था के साथ खिलवाड़ बताया तो जवाब में कांग्रेस ने प्रदेशभर में बजरंगबली के मंदिर बनवाने का ऐलान कर दिया. कर्नाटक में कांग्रेस ने बड़ी जीत के साथ सत्ता में वापसी कर ली. कांग्रेस ने साल 2018 के मध्य प्रदेश चुनाव में भी सॉफ्ट हिंदुत्व की राह चलकर बीजेपी को शिकस्त दी थी. दिल्ली में अरविंद केजरीवाल भी विकास के साथ सॉफ्ट हिंदुत्व के मॉडल से बीजेपी को मात दे चुके हैं.