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'चौथी पत्नी को दें ₹30 हजार गुजारा भत्ता...', सपा सांसद मोहिबुल्ला नदवी को हाईकोर्ट का आदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सपा सांसद मोहिबुल्ला नदवी को उनकी चौथी पत्नी रुमाना नदवी को अंतरिम तौर पर ₹30 हजार प्रति माह गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है. जस्टिस जेजे मुनीर की पीठ ने पारिवारिक विवाद को सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटाने के लिए मामले को तीन महीने के लिए मध्यस्थता केंद्र भेजा है. सांसद ने आगरा फैमिली कोर्ट के आदेश को रद्द करने की मांग की थी.

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रामपुर के सपा सांसद मोहिबुल्ला नदवी (Photo- PTI)
रामपुर के सपा सांसद मोहिबुल्ला नदवी (Photo- PTI)

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रामपुर के सपा सांसद मोहिबुल्ला नदवी को उनकी चौथी पत्नी रुमाना नदवी को अंतरिम व्यवस्था के तौर पर ₹30 हजार प्रति माह गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है. कोर्ट ने यह आदेश सांसद द्वारा दाखिल आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर दिया है, साथ ही विवाद को सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटाने के लिए मामले को मध्यस्थता केंद्र भेजा है. 

हाईकोर्ट की जस्टिस जेजे मुनीर की पीठ ने सपा सांसद मोहिबुल्ला नदवी को अपनी चौथी पत्नी रुमाना नदवी को ₹30 हजार अंतरिम गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया. यह अंतरिम आदेश सांसद द्वारा दाखिल आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया. कोर्ट ने यह निर्देश पारिवारिक विवाद का संभावित समाधान खोजने के लिए दिया है. सांसद ने आगरा के फैमिली कोर्ट के एक आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए यह याचिका दाखिल की थी. 

कोर्ट ने इस पारिवारिक विवाद को हल करने के लिए मध्यस्थ को नियुक्त किया है. मध्यस्थ को दोनों पक्षों के बीच विवाद का संभावित समाधान खोजने का निर्देश दिया गया है. मध्यस्थ को तीन महीने का समय दिया गया है ताकि वह मध्यस्थता के परिणाम से संबंधित अपनी रिपोर्ट कोर्ट को भेज सकें. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस मामले को इस बेंच के साथ लंबित या आंशिक रूप से सुना हुआ नहीं माना जाएगा. 

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सांसद ने रद्द करने की मांग की थी याचिका

याचिकाकर्ता सपा सांसद मोहिबुल्लाह नदवी ने कोर्ट से आगरा के अपर प्रधान न्यायाधीश, फैमिली कोर्ट द्वारा 1 अप्रैल 2024 को पारित आदेश को रद्द करने की मांग की थी. उनके खिलाफ रुमाना परवीन एवं अन्य बनाम मोहिबुल्लाह मामले में 2020 में आगरा के सदर बाजार में सीआरपीसी की धारा 127 में मामला दर्ज हुआ था. सांसद के अधिवक्ता ने कोर्ट से यह मामला मध्यस्थता केंद्र को भेजने का आग्रह किया था. 

पुनरीक्षणकर्ता के अधिवक्ता नरेंद्र कुमार पांडेय ने दलील दी कि यह मामला वैवाहिक विवाद से संबंधित है और सांसद इसे सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटाने का इरादा रखते हैं. अधिवक्ता ने कोर्ट से आग्रह किया कि सांसद को मध्यस्थता के माध्यम से अपनी शर्तों पर विवाद निपटाने का अवसर दिया जाए. कोर्ट ने अब मामले को तीन महीने बाद मध्यस्थता एवं सुलह केंद्र की रिपोर्ट के साथ दूसरी बेंच के समक्ष पेश करने का आदेश दिया है. 

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