उत्तर प्रदेश में जनपद बदायूं के उझानी थाना क्षेत्र के पिपरौल गांव में एक भैंस की मौत के बाद गांव में डर का माहौल बन गया. हालात ऐसे हो गए कि एक घर में तेरहवीं की दावत में रायता खाने वाले करीब 200 ग्रामीणों ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उझानी पहुंचकर एहतियातन रैबीज का टीका लगवाया.
मुसीबत बना दावत में खाया गया रायता
ग्रामीणों के मुताबिक, 23 दिसंबर 2025 को गांव में तेरहवीं संस्कार था, जिसमें पूरे गांव की दावत रखी गई थी. दावत में रायता भी परोसा गया, जिसे बड़ी संख्या में लोगों ने खाया. बाद में जानकारी सामने आई कि जिस भैंस के दूध से रायता तैयार किया गया था, उसे कुछ दिन पहले एक कुत्ते ने काट लिया था. 26 दिसंबर को उस भैंस की मौत भी हो गई. इसके बाद गांव में संक्रमण की आशंका को लेकर अफरा-तफरी मच गई. डर के माहौल में शनिवार को पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं और युवा भी बड़ी संख्या में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे और वैक्सीनेशन कराया.
भैंस को कुत्ते ने काटा था, वह पागल होकर मरी थी
ग्रामीणों ने कैमरे के सामने अपनी चिंता इस तरह जाहिर की. ग्रामीण जशोदा ने कहा- गांव में तेरहवीं थी, जिसमें पूरे गांव की दावत थी. दावत में रायता भी बना था और सभी ने रायता खाया था. अब भैंस मर गई है. भैंस को कुत्ते ने काट लिया था और वह पागल होकर मरी थी. इसी वजह से आज गांव के सभी लोग इंजेक्शन लगवाने आए हैं.
लोगों ने कराया टीकाकरण
ग्रामीण कौशल कुमार ने बताया कि एक भैंस को पागल कुत्ते ने काट लिया था. उसके दूध से रायता बना, जिसे हमने तेरहवीं में खाया था. अब हमें डर है कि कहीं हमें भी कोई दिक्कत न हो जाए, इसलिए हम सब रैबीज का इंजेक्शन लगवाने आए हैं. मौके पर पहुंचे स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने ग्रामीणों को समझाया और आवश्यक टीकाकरण किया.
'प्रिवेंशन इलाज से बेहतर'
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ रामेश्वर मिश्रा ने बताया कि हमको जानकारी मिली थी कि एक गांव में भैंस को पागल कुत्ते ने काट लिया है और भैंस रैबीज के लक्षणों की वजह से मर गयी है.गांव के लोगों ने भैंस के दूध का रायता खाया था .एहतियात के तौर पर सभी को रैबीज के इंजेक्शन लगवाने की सलाह दी है. प्रिवेंशन इलाज से बेहतर होता है. जिन लोगों को भी किसी तरह की शंका थी, सभी को एंटी-रैबीज वैक्सीन लगवा दी गई है. आमतौर पर दूध उबालने के बाद रैबीज की आशंका नहीं रहती, लेकिन अगर बाई चांस कोई जोखिम हो भी, तो एहतियातन वैक्सीन लगवाना गलत नहीं है. शंका में रहना ठीक नहीं होता.
स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि फिलहाल गांव में किसी तरह की बीमारी नहीं फैली है और स्थिति पूरी तरह सामान्य है. एहतियात के तौर पर गांव पर नजर रखी जा रही है, ताकि किसी भी तरह की अफवाह या डर की स्थिति पैदा न हो.