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'आतंकी फंडिंग' कहकर किया डिजिटल अरेस्ट, बुजुर्ग महिला डेढ़ करोड़ की FD तुड़वाने पहुंची बैंक, फिर ऐसे बची...

यूपी की राजधानी लखनऊ से बेहद हैरान कर देने वाली कहानी सामने आई है. खुद को CBI अफसर बताकर साइबर ठगों ने 75 साल की बुजुर्ग महिला को डिजिटल अरेस्ट कर लिया. ठगों ने महिला को इस कदर सहमा दिया कि वह डेढ़ करोड़ रुपये की एफडी तुड़वाने बैंक तक पहुंच गई. आतंकी फंडिंग और आधार के दुरुपयोग जैसी बातों से जालसाजों ने महिला को खौफ से भर दिया.

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बुजुर्ग महिला को कर रखा था डिजिटल अरेस्ट. (Photo: Representational)
बुजुर्ग महिला को कर रखा था डिजिटल अरेस्ट. (Photo: Representational)

UP News: लखनऊ में साइबर ठगों ने 75 साल की बुजुर्ग महिला को आतंकी फंडिंग आधार के दुरुपयोग की बातें कहकर डिजिटल अरेस्ट कर लिया. ठगों के कहने पर महिला अपनी करीब डेढ़ करोड़ की एफडी तुड़वाने बैंक पहुंच गई. इस दौरान मामले की जानकारी किसी तरह पुलिस को हो गई. पुलिस ने जांच करते हुए तुरंत एफडी का भुगतान रुकवाया और ठगों के खाते फ्रीज करा दिए.

यह मामला जोन पूर्वी के विकासनगर थाना क्षेत्र का है. पीड़ित महिला को कुछ अज्ञात व्यक्तियों ने कॉल कर खुद को CBI अधिकारी बताया. जालसाजों ने दावा किया कि महिला के आधार कार्ड और मोबाइल नंबर का इस्तेमाल आतंकी फंडिंग में किया गया है. इस मामले की जांच CBI पुणे कर रही है. महिला को WhatsApp वीडियो कॉल के जरिए वर्दीधारी अधिकारियों और कथित सरकारी ऑफिस का सीन दिखाया गया.

जालसाजों ने महिला पर मानसिक दबाव बनाते हुए कहा कि वह ‘डिजिटल अरेस्ट’ में है और अगर उसने सहयोग नहीं किया तो उसे जेल भेज दिया जाएगा. महिला को घर से बाहर न निकलने, किसी रिश्तेदार या पड़ोसी से बात न करने और पुलिस को सूचना न देने की सख्त हिदायत दी गई. डर और घबराहट में बुजुर्ग महिला उनकी बातों में आ गई.

साइबर ठगों ने महिला से बैंक डिटेल्स, अहम दस्तावेज और खातों की जानकारी हासिल कर ली. इसके बाद उसे अपनी सारी जमा पूंजी एक खाते में ट्रांसफर करने का दबाव बनाया गया. घबराई महिला बैंक पहुंची और करीब 1.5 करोड़ की एफडी तुड़वाने की प्रक्रिया शुरू कर दी.

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यह भी पढ़ें: लोन ऐप से लेकर फेक जॉब तक... 1000 करोड़ के साइबर फ्रॉड की पूरी कहानी, CBI ने 58 कंपनियों के खिलाफ दाखिल की चार्जशीट

इसी बीच, किसी माध्यम से मामले की सूचना विकासनगर थाना पुलिस को मिली. पुलिस तुरंत हरकत में आ गई और बैंक अधिकारियों से मामले की जानकारी ली. इस दौरान जांच करते हुए पुलिस ने 1.21 करोड़ की एफडी का भुगतान रुकवा दिया और संबंधित खातों को फ्रीज करा दिया. इसके साथ ही साइबर सेल को ठगों के मोबाइल नंबर और डिजिटल ट्रेल की जानकारी दी गई.

जांच में यह भी सामने आया कि जालसाज महिला के कई गोपनीय दस्तावेज पहले ही हासिल कर चुके थे, जिससे अन्य बैंक खातों से भी पैसे निकलने का खतरा था. इसे देखते हुए पुलिस ने अन्य बैंकों से संपर्क कर महिला के सभी खातों को सुरक्षित कराया.

पुलिस अधिकारियों ने पीड़ित महिला को ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसे नए साइबर फ्रॉड तरीकों के बारे में विस्तार से जानकारी दी और समझाया कि कोई भी सरकारी एजेंसी इस तरह वीडियो कॉल के जरिए गिरफ्तारी या पैसों की मांग नहीं करती. महिला को भविष्य में सतर्क रहने की सलाह भी दी गई.

लखनऊ पुलिस की इस सतर्कता और एक्शन से लगभग 1.5 करोड़ की बड़ी साइबर ठगी नाकाम हो गई. पुलिस ने लोगों से अपील की है कि अगर कोई खुद को CBI, ED या किसी अन्य जांच एजेंसी का अधिकारी बताकर फोन या वीडियो कॉल करे और पैसों की मांग करे, तो तुरंत सतर्क हो जाएं और नजदीकी पुलिस स्टेशन या साइबर हेल्पलाइन से संपर्क करें.

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