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बागपत: 55 साल पुराने लाक्षागृह विवाद पर बहस पूरी, जल्द आएगा फैसला

बागपत के बरनावा में स्थित महाभारत कालीन लाक्षागृह स्थल पर चल रहे विवाद में मंगलवार को हिंदू पक्ष की बहस पूरी हो गई. 55 साल पुराने मामले में मुस्लिम पक्ष की बहस पहले ही पूरी हो चुकी है. अब फैसला कभी भी आ सकता है, दोनों पक्षों ने अपने-अपने साक्ष्य अदालत के सामने रख दिए हैं.

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लाक्षागृह विवाद पर बहस पूरी
लाक्षागृह विवाद पर बहस पूरी

बागपत के बरनावा गांव में स्थित लाक्षागृह स्थल को लेकर चल रहे लंबे विवाद में मंगलवार को अहम मोड़ आया. अपर जिला सत्र न्यायालय प्रथम मीनू शर्मा की कोर्ट में हिंदू पक्ष की बहस पूरी हो गई. यह मामला पिछले 55 वर्षों से न्यायालय में विचाराधीन है.

हिंदू पक्ष के वकील रणवीर सिंह ने दावा किया कि उनके साक्ष्य मजबूत हैं और फैसला हिंदू पक्ष के पक्ष में आने की संभावना है. वहीं मुस्लिम पक्ष की बहस पहले ही पूरी हो चुकी है. उन्होंने इस स्थान पर बदरुद्दीन की दरगाह और कब्रिस्तान होने का दावा किया है.

55 सालों से न्यायालय में विचाराधीन है मामला

इस मामले की शुरुआत 1970 में हुई थी, जब पहली बार विवाद दर्ज किया गया. फरवरी 2024 में जूनियर डिवीजन प्रथम कोर्ट ने इस स्थल को लाक्षागृह मानते हुए फैसला हिंदू पक्ष के पक्ष में दिया था. मुस्लिम पक्ष ने उस निर्णय को चुनौती देते हुए जिला एवं सत्र न्यायालय में अपील की थी.

अब सभी साक्ष्य और बहस पूरी हो चुकी है और फैसला कभी भी सुनाया जा सकता है. यह स्थल महाभारत काल में पांडवों को जलाकर मारने की साजिश के रूप में प्रसिद्ध लाक्षागृह के रूप में जाना जाता है.  स्थानीय लोग भी इस स्थल को ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण मानते हैं. अब सभी की निगाहें कोर्ट के फैसले पर टिकी हैं.

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फैसला हिंदू पक्ष के पक्ष में आने की संभावना

बता दें, लाक्षागृह को कोरवों ने पांडवों को जलाकर मारने के लिए बनवाया था. कोरवों ने लाक्षागृह को आग लगा दी थी, हालांकि, पांडव इस आग से सुरक्षित बच निकले थे. यह क्षेत्र ऐतिहासिक महत्‍व रखता है. हस्तिनापुर, जिसे पांडवों की राजधानी माना जाता है, वह यहां से सिर्फ 30 से 35 किलोमीटर की दूर है.

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