कानपुर के रमईपुर इलाके की एक सोसायटी... यहां रहने वाला आठ साल का मासूम रोज हंसते-खेलते स्कूल जाता था, उसका व्यवहार अचानक बदलने लगा. न उसकी आंखों में पहले जैसी चमक रही, न चेहरे पर मासूम मुस्कान.
यह कहानी है एक आठ साल के बच्चे की की, जो कानपुर के प्राइवेट स्कूल में दूसरी क्लास में पढ़ता है. मामला तब सामने आया, जब मां ने बेटे की कॉपी में एक ही शब्द बार-बार लिखा देखा- HELP... HELP... पहले तो उन्होंने इसे बच्चों की नादानी समझकर नजरअंदाज कर दिया, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि यह एक डर से भरे बच्चे की चुपचाप लगाई गई गुहार है.
कॉपी से दीवार तक… 'HELP' की पुकार
बच्चा सिर्फ कॉपी तक ही नहीं रुका. उसने घर की दीवारों पर भी 'HELP' लिखना शुरू कर दिया. मां-बाप समझ ही नहीं पा रहे थे कि उनका बच्चा अचानक ऐसा क्यों कर रहा है. सवाल पूछने पर वह चुप हो जाता, सहम जाता, जैसे किसी ने उसे बोलने से मना किया हो.
लेकिन असली झटका तब लगा, जब एक रात आकाश अपनी मां के साथ सोते हुए नींद में बड़बड़ाने लगा- 'मैम… मैंने पेन नहीं चुराया… मैम… पेन मैंने नहीं लिया…' यह सुनते ही बच्चे की मां की नींद उड़ गई. एक मां के लिए इससे डरावना और क्या हो सकता है कि उसका बच्चा नींद में भी डरा हुआ हो?

प्यार से पूछा, तो टूटा डर का बांध
मां ने बेटे को सीने से लगाया, प्यार से सहलाया और पूछा कि बेटा, क्या हुआ है? तब जो कहानी सामने आई, उसने मां के पैरों तले जमीन खिसका दी. बच्चे ने बताया कि स्कूल में एक डिजिटल पेन गायब हुआ था. उसी चोरी का आरोप उस पर लगा दिया गया. क्लास टीचर, प्रिंसिपल और अन्य स्टाफ ने उसे डराया-धमकाया.
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मासूम को कहा गया कि उसने पेन चुराया है और अब उसे कबूल करना होगा. आरोप यहीं नहीं रुके. बच्चे के अनुसार, उसे इतना डराया गया कि उसका कबूलनामा का वीडियो भी बनवाया गया. धमकी दी गई कि अगर उसने घर में कुछ बताया तो छत से फेंक देंगे.
आठ साल का बच्चा… और इतना बड़ा डर
बच्चे ने मां से कहा कि मैंने इसलिए कुछ नहीं बताया, क्योंकि मैम ने मना किया था… आठ साल का बच्चा, जो ठीक से अपने डर को शब्दों में भी नहीं ढाल सकता, उसके मन पर यह खौफ किस कदर बैठा होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. इसी डर की वजह से वह मदद मांग रहा था- कॉपी में, दीवारों पर, सपनों में.
अगले ही दिन बच्चे की मां बेटे को लेकर स्कूल पहुंचीं. उन्होंने क्लास टीचर, प्रिंसिपल, टीचर और डायरेक्टर से बात की. मां ने साफ कहा कि जिस दिन की आप बात कर रहे हैं, उस दिन मेरा बच्चा स्कूल आया ही नहीं था. फिर चोरी कैसे कर सकता है लेकिन आरोप है कि स्कूल प्रशासन ने उनकी बात सुनने के बजाय बदतमीजी की. उल्टा यह कहा गया कि बच्चे ने खुद कबूल किया है और वीडियो भी है.
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बेटे की हालत देख मां परेशान थीं. उन्होंने कानपुर के सेन पश्चिम पारा थाने में स्कूल के डायरेक्टर, प्रिंसिपल, क्लास टीचर और सहयोगी शिक्षक के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई. उनका कहना है कि मेरे बच्चे को इस कदर डराया गया कि वह मानसिक रूप से टूट गया. वह आज भी सहमा रहता है.
बच्चे का कहना है कि मुझ पर पेन चोरी का झूठा आरोप लगाया गया. मेरा वीडियो बनाया गया. मुझे धमकाया गया, इसलिए मैंने घर में कुछ नहीं बताया. मैंने कॉपी में 'HELP' लिखा. एक मासूम की ये बातें कई सवाल खड़े करती हैं. क्या स्कूल बच्चों को सिखाने की जगह उन्हें डराने लगे हैं? क्या अनुशासन के नाम पर मानसिक प्रताड़ना सही है?
इस मामले को लेकर स्कूल प्रशासन का पक्ष क्या रहा?
वहीं स्कूल प्रशासन का पक्ष बिल्कुल अलग है. स्कूल का कहना है कि एक इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल पेन गायब हुआ था. बच्चों से पूछताछ की गई, जिसमें इस बच्चे ने कथित तौर पर पेन उठाने की बात स्वीकार की और बताया कि पेन घर में कहां रखा है. स्कूल का दावा है कि बच्चे के माता-पिता स्कूल आए और नाराज होकर धमकी देने लगे, जिसके बाद उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. बच्चे का कबूलनामा का वीडियो है, जिसे जांच में पुलिस को सौंपा जाएगा.
पूरे मामले को लेकर कानपुर के डीसीपी ने क्या कहा?
कानपुर के डीसीपी डीएन चौधरी ने कहा कि बच्चे की मां की शिकायत पर मामला दर्ज कर लिया गया है और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की जा रही है. सभी पक्षों को सुना जाएगा और तथ्यों के आधार पर कार्रवाई होगी.
सवाल है कि क्या आठ साल के बच्चे से इस तरह का 'कबूलनामा' लेना सही है? क्या डर और धमकी से सच निकलता है या सिर्फ खौफ पैदा होता है? लोगों ने सवाल उठाते हुए यह भी कहा कि अगर स्कूल ही डर की जगह बन जाए, तो मासूम बच्चे कहां जाएं? शिक्षा का मतलब केवल पढ़ाई ही नहीं, बल्कि बच्चों के लिए सुरक्षित और संरक्षित वातावरण भी होना चाहिए.