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3 हजार घायलों को अस्पताल पहुंचाया, 400 से ज्यादा शवों को हाथों से उठाया... जरूरतमंदों के लिए 'देवदूत' बने फतेहपुर के 'एंबुलेंस मैन' अशोक तपस्वी

Ambulance Man: अशोक तपस्वी ने अब तक लगभग तीन हजार से ऊपर घायलों को समय से अस्पताल पहुंचाकर उनकी जान बचाई है. इतना ही नहीं सड़क हादसे में जान गंवा चुके करीब 400 क्षत-विक्षत शवों के टुकड़े को अपने हाथों से उठाकर पोस्टमार्टम हाउस तक पहुंचाया है. सबसे खास बात यह है कि यह सब वह अपने निजी खर्चे पर करते हैं. 

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फतेहपुर के 'एंबुलेंस मैन' अशोक तपस्वी
फतेहपुर के 'एंबुलेंस मैन' अशोक तपस्वी

देश में सड़क हादसे के मामलों में ज्यादातर मौतें समय पर इलाज न मिलने के कारण होती हैं. पुलिस की कार्रवाई के डर से लोग अक्सर घायलों को अस्पताल ले जाने में झिझकते हैं. जिसके कारण घायलों की मौत हो जाती है. लेकिन यूपी के फतेहपुर जिले में 'एंबुलेंस मैन' के नाम से विख्यात समाजसेवी अशोक तपस्वी सैकड़ों घायलों और असहायों के लिए 'देवदूत'बनकर सामने आए हैं. 

अशोक तपस्वी ने अब तक लगभग तीन हजार से ऊपर घायलों को समय से अस्पताल पहुंचाकर उनकी जान बचाई है. इतना ही नहीं सड़क हादसे में जान गंवा चुके करीब 400 क्षत-विक्षत शवों के टुकड़े को अपने हाथों से उठाकर पोस्टमार्टम हाउस तक भी पहुंचाया है. सबसे खास बात यह है कि यह सब वह अपने निजी खर्चे पर करते हैं. 

अशोक फतेहपुर जिले के बांदा सागर रोड स्थित तपस्वी नगर के रहने वाले हैं. वह 'एंबुलेंस मैन' के नाम से फेमस हैं. समाजसेवी अशोक अपने निजी खर्चे पर अब तक लगभग 3 हजार से ऊपर घायलों को अस्पताल पहुंचा चुके हैं. सैकड़ों शवों को अपने हाथों से उठाकर पोस्टमार्टम हाउस तक भी पहुंचा चुके हैं.

ट्रेन एक्सीडेंट में भी पहुंचाई थी मदद 

बता दें कि जुलाई 2011 में जब फतेहपुर के मलवां स्टेशन के पास कालका मेल पटरी से उतर गई थी, तब भी अशोक तपस्वी ने मदद पहुंचाई थी. इस हादसे में कई लोगों ने जान गंवाई थी. घटना के तुरंत बाद रेलवे और जिला प्रशासन के पास पर्याप्त एंबुलेंस नहीं थी.  मुसीबत की इस घड़ी में अशोक ने लगातार 20 घंटे तक घायलों को अस्पताल पहुंचाया. जिससे कई लोगों की जान बच पाई थी. 

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समाजसेवी अशोक तपस्वी को किया जा चुका है सम्मानित

अशोक तपस्वी फतेहपुर के रहने वाले हैं. उनके पिता रामेश्वर सिंह का महाराष्ट्र के पुणे में एक सफल व्यवसाय था. सामाजिक एवं धार्मिक कार्यों के कारण उन्हें 'तपस्वी' उपनाम मिला. 

2007 से इस काम में लगा हूं: अशोक तपस्वी

अशोक तपस्वी ने बताया कि 2007 से इस काम में लगा हूं. पिता जी के न रहने पर उनकी याद में एंबुलेंस लेकर आया. जैसे ही कोई कॉल आती है, रात हो दिन हो, बरसात हो चाहे कोहरा पड़ रहा हो मैं मौके पर पहुंच जाता हूं. ताकि घायल की  जान बच सके. जिन लोगों की सड़क हादसे में मौत हो जाती है उनके शवों को पोस्टमार्टम हाउस भी पहुंचाता हूं. अब तक तीन हजार लोगों की जान बचा चुका हूं और लगभग 400 डेडबॉडी उठा चुका हूं.  

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