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EXCLUSIVE: संगम का जल कितना प्रदूषित, STP से निकले पानी की गुणवत्ता क्या है? जानने के लिए ट्रीटमेंट प्लांट पहुंचा आजतक

संगम के पानी पर आई CPCB की रिपोर्ट से एक नई बहस छिड़ गई है. इस रिपोर्ट में संगम के पानी को प्रदूषित बताते हुए नहाने और आचमन के योग्य नहीं बताया गया है. जल में Fecal Coliform की मात्रा अधिक बताई गई है. इसके बाद आज तक ने खुद ग्राउंड पर पहुंचकर पड़ताल की है.

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महाकुंभ में स्नान करते श्रद्धालु (File Photo)
महाकुंभ में स्नान करते श्रद्धालु (File Photo)

महाकुंभ में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा है. देश-दुनिया से आए 59 करोड़ 31 लाख लोग अब तक संगम में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं. उम्मीद है कि आज शाम या कल तक यह आंकड़ा 60 करोड़ के पार हो जाएगा. एक तरफ प्रयागराज में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा है तो दूसरी तरफ केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट ने नई बहस छेड़ दी है.

CPCB इस रिपोर्ट में संगम के पानी को प्रदूषित बताते हुए नहाने और आचमन के योग्य नहीं बताया गया है. जल में Fecal Coliform की मात्रा अधिक बताई गई है. रिपोर्ट सामने आने के बाद विपक्ष लगातार यूपी की BJP सरकार को निशाना बना रहा है. हालांकि, यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने संगम के जल को स्नान के साथ-साथ आचमन के योग्य भी बताया है. इस बहस के बीच आज तक ने यह जानने के लिए पड़ताल की कि संगम का जल साफ है या नहीं?

प्रदूषण के ये होते हैं 2 स्तर

दरअसल, किसी भी नदी में प्रदूषण के 2 स्तर होते हैं. पहला यह कि बहती नदी में जो भी मानव अपशिष्ट गिरता है, वह प्रदूषण का एक रूप है. ज्यादातर मामलों में यह सूर्य की किरणों और नदी के तेज बहाव में कुछ किलोमीटर बाद खुद ही साफ हो जाता है. इसे Ability of Self Purification कहा जाता है.

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कौन सा मामला पहुंचा था NGT

दूसरा स्तर, जब किसी भी नदी में सीवेज का पानी या नाला गिर रहा हो तो यह भी प्रदूषण का जरिया होता है. CPCP की जिस रिपोर्ट को लेकर हंगामा मचा हुआ है, उसे NGT के सामने पेश किया गया था. बता दें कि एनजीटी गंगा और यमुना में सीवेज गिरने के प्रमुख मामले को लेकर ही सुनवाई कर रही थी. 

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सबसे बड़े STP पर पड़ताल

ऐसे समय जब प्रयागराज में रोजाना करोड़ों श्रद्धालु संगम समेत गंगा-जमुना के किनारे बने घाटों पर स्नान करने पहुंच रहे हैं तो ऐसे में यह जानना बहुत जरूरी है कि सीवेज (नाले) का पानी नदी को कितना प्रदूषण कर रहा है. इसे परखने के लिए आज तक की टीम प्रयागराज के सबसे बड़े सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट नैनी-2 पर पहुंची, जिसकी क्षमता 42 MLD है.

नियमों को देखा जाए तो किसी भी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से निकलने वाले गंदे पानी को केमिकल और दूसरे तरीकों से साफ करने के बाद नदी में छोड़े जाने का नियम है. इसलिए आज तक की टीम ने अपनी आंखों के सामने कर्मचारियों की मदद से एक जार में वहां के पानी का सैंपल लिया.

प्रयागराज की सभी STP का किया दौरा

जिस Fecal Coliform की मात्रा अधिक होने का सीपीसीबी ने अपनी रिपोर्ट में जिक्र किया आज तक की टीम ने ने STP से Treatment के बाद निकाले जा रहे पानी का Fecal Coliform Test अपने सामने करवाया गया. इसके अलावा टीम ने प्रयागराज में बनाई गई सभी STP का कंट्रोल रूम भी देखा, जहां बिना किसी Human Interference के हर STP से निकल रहे पानी की Testing Reading दर्ज की जा रही थी.

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STP के आखिरी छोर पर किया टेस्ट

एसटीपी में पानी के ट्रीटमेंट के बाद उसको आगे गंगा यमुना में छोड़ा जाता है. आज तक की टीम STP के साफ हुए पानी तक ही नहीं रुकी. बल्कि, उस आखिरी छोर तक गए, जहां पर एसटीपी का पानी यमुना में छोड़ा जा रहा था. हमने उस Point पर भी जाकर पानी का परीक्षण अपने कैमरे के सामने किया, जो पानी गंगा और यमुना में मिल रहा है उसकी गुणवत्ता क्या है Fecal Coliform की रीडिंग क्या है. हमारी रिपोर्ट में किए गए टेस्ट में पानी का बदला रंग साफ बता रहा था कि Fecal Coliform की मात्रा कम है. यानी पानी स्नान करने के साथ-साथ पीने योग्य भी है.

कैसे होती है एसटीपी में सफाई

एसटीपी में जैसे ही गंदे नाले का पानी पहुंचता है, उसमें से प्लास्टिक लकड़ी जैसे सॉलिड वेस्ट अलग कर दिए जाते हैं और फिर पानी को आगे ट्रीटमेंट के लिए पहुंचाया जाता है. यहां से जब पानी को साफ करने के लिए आगे बढ़ाया जाता है तो उसमें से रेत के छोटे-छोटे कणों को Tubing के जरिए छान लिया जाता है और फिर इस पानी में केमिकल डालकर सफाई की जाती है. पानी जब अंतिम निकासी के लिए एसटीपी से बाहर जाता है तो वहां पर मशीनों के जरिए 24 घंटे पानी की गुणवत्ता पर निगरानी रखी जाती है.

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इस तरह भी होती है पानी की सफाई

नैनी एसटीपी में विशेषज्ञों ने एक और नई विधि से पानी को साफ करना शुरू किया है, जिसमें उन तमाम पौधों की जड़ों से गंदे पानी को गुजारा जा रहा है, जो पानी में गुजरने वाली गंदगी को ना सिर जकड़ते हैं, बल्कि पानी में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाते हैं. इसी के तलहटी में पत्थर के छोटे-छोटे टुकड़े (Pebbles) डालकर भी पानी का शोधन किया जाता है. ऊपर से प्लांट की सतह किसी बगीचे की तरह लगती है.

कुछ जरूरी तथ्य...

> प्रयागराज में कुल 81 नाले ऐसे हैं, जो गंगा-यमुना में गिरते हैं.
> 56 नालों का पानी STP यानी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से ट्रीटमेंट के बाद गिरता है.
> 22 नालों का दूषित पानी Gio Tube के जरिए साफ किया जाता है.
> 3 नालों में सिर्फ बरसाती पानी आता है, जो इस समय निष्क्रिय हैं.
> प्रयागराज में कुल 10 STP प्लांट हैं, जिनमें कुल 340 MLD (million liter per day) पानी का ट्रीटमेंट हो सकता है.
> कई बार यह क्षमता 400 MLD भी रहती है. कुंभ मेला को देखते हुए मेला क्षेत्र में ही 3 अस्थायी STP स्थापित किए गए हैं.
> प्रयागराज में जितने इलाकों में सभी STP कवर करती है, उसमें 38 किलोमीटर गंगा और 12 KM यमुना का क्षेत्र है.

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