
उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में दहेज की मांग पर दो बहनों ने अपनी शादी तोड़ दी और बारात लौटा दी. मामला सादाबाद थाना क्षेत्र के समदपुर गांव का है, जहां एक ही मंडप में दो सगी बहनों की शादी होनी थी. बारात मुरसान थाना क्षेत्र के ताजपुर गांव से आई थी. बारातियों का स्वागत हो चुका था, चढ़त की रस्म और भोजन आदि की सारी तैयारियां पूरी हो गई थीं.
पिता ने दहेज में कार की मांग कर दी
लेकिन जैसे ही मंडप की रस्म शुरू होने वाली थी, दूल्हे के पिता ने दहेज में कार की मांग कर दी. इस पर दोनों पक्षों में बहस शुरू हो गई. विवाद इतना बढ़ गया कि दूल्हे के भाई ने दुल्हन के भाई को धक्का मार दिया, जिससे उसका सिर फट गया. इसके बाद दोनों परिवारों के बीच जमकर मारपीट हुई.

दहेज की मांग और हिंसा से आक्रोशित होकर दोनों बहनों ने शादी करने से साफ इनकार कर दिया और बारात को लौटा दिया. मामला थाने तक पहुंचा, लेकिन कोई समझौता नहीं हो सका. अंततः दोनों दूल्हों को बिना शादी के ही वापस लौटना पड़ा.
गौरतलब है कि भारत में दहेज को रोकने के लिए 'दहेज निषेध अधिनियम, 1961 (Dowry Prohibition Act, 1961)' लागू है. इसके तहत दहेज लेना, देना, मांगना या उस पर किसी भी प्रकार की सहमति देना अपराध है.

विवाह से पहले, विवाह के समय या विवाह के बाद दिए गए किसी भी प्रकार की संपत्ति, नकदी, गहने, गाड़ी, उपहार आदि यदि एक पक्ष द्वारा दूसरे पक्ष से मांगे जाते हैं तो वह दहेज माना जाता है.
दहेज मांगना अपराध है:
यदि कोई व्यक्ति प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दहेज की मांग करता है, तो यह दंडनीय अपराध है.
क्या है सजा?
5 साल तक की जेल और कम से कम ₹15,000 का जुर्माना या जितनी भी दहेज की रकम हो, उतना जुर्माना — जो भी ज्यादा हो.
498A IPC (भारतीय दंड संहिता की धारा 498A):
यदि पति या उसके परिवार वाले पत्नी को दहेज के लिए प्रताड़ित करते हैं, तो उन्हें कठोर कारावास (3 साल तक) और जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है.
धारा 304B IPC – दहेज मृत्यु:
यदि विवाह के 7 साल के अंदर महिला की अस्वाभाविक मृत्यु होती है और उसके पीछे दहेज का कारण है, तो यह दहेज हत्या मानी जाती है. इसकी सजा 7 साल से लेकर आजीवन कारावास तक हो सकती है.