कागज की नाव, जहाज और पतंग हम सबने देखी है और बनाई भी है. लेकिन अब कागज की मां दुर्गा की भव्य प्रतिमा सामने आई है जो कि खुद में अद्भुत है. पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में रहने वाले 10 वर्ष के छात्र दीप्तरूप घोष ने यह कारनामा किया, इनकी उम्र अब 18 साल है. 8 वर्ष पहले उनके घर में मां दुर्गा के पूजा को गृह पूजा के रूप में आयोजित करने वाली बुआ का आकस्मिक निधन हो गया. पिता भी लगातार अस्वस्थ रहने लगे. तब घोष परिवार को जैसे लगा कि वर्षों से चली आ रही उनके वंश की परंपरा के अनुसार मां दुर्गा की गृहपूजा अब नहीं हो पाएगी. तब 10 वर्ष का मासूम आगे आया और उसने मां दुर्गा को गृहदेवी के रूप में पूजित करने का बीड़ा अपने अपने कंधों पर ले लिया.