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Masik Durgashtami 2021: मासिक दुर्गाष्टमी आज, जानें- पूजन विधि, कथा और शुभ मुहूर्त

हर महीने आने वाली दुर्गाष्टमी का बहुत महत्व है. इस दिन पूरे विधि विधान से पूजा करने और व्रत रखने से मां प्रसन्न होती हैं.  मान्यता है कि इस दिन सच्चे दिल और श्रद्धा से जो भी कामना की जाए देवी दुर्गा मां उसे जरूर पूरा करती हैं.

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Masik Durgashtami 2021: मासिक दुर्गाष्टमी आज, जानें, पूजन विधि-कथा और शुभ मुहूर्त
Masik Durgashtami 2021: मासिक दुर्गाष्टमी आज, जानें, पूजन विधि-कथा और शुभ मुहूर्त
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दुर्गाष्टमी पर व्रत से मनोवांछित फल की प्राप्ति
  • इस दिन व्रत और पूजा का खास महत्व

दुर्गाष्टमी हर महीने आती है इसलिए इसे मासिक दुर्गाष्टमी कहते हैं. इस दिन व्रत और पूजा का खास महत्व है. हर महीने आने वाली दुर्गाष्टमी का बहुत महत्व है. इस दिन पूरे विधि विधान से पूजा करने और व्रत रखने से मां प्रसन्न होती हैं. मान्यता है कि इस दिन सच्चे दिल और श्रद्धा से जो भी कामना की जाए देवी दुर्गा मां उसे जरूर पूरा करती हैं. आषाढ़ के इस महीने में दुर्गाष्टमी शनिवार, 17 जुलाई को है.

दुर्गाष्टमी की पूजा विधि- पूरे विधि विधान से दुर्गाष्टमी पर व्रत और पूजन करने से मनोवांछित फल मिलता है. दुर्गाष्टमी के दिन सुबह उठकर जल्गी स्नान कर लें, फिर पूजा के स्थान पर गंगाजल डालकर उसकी शुद्धि कर लें. लकड़ी के पाट पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर मां दुर्गा की प्रतिमा रखें. माता को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें, प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं. धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां की आरती करें. हाथ जोड़कर देवी से प्रार्थना करें, दुर्गा मां आपकी सारी इच्छा पूरी करेंगी.

पूजा का मुहूर्त- मासिक दुर्गाष्टमी शनिवार, 17 जुलाई को सुबह 04 बजकर 34 मिनट से प्रारंभ होकर रविवार, 18 जुलाई को  रात 2 बजकर 41 मिनट तक रहेगी.

दुर्गा अष्टमी कथा- शास्त्रों के अनुसार, सदियों पहले पृथ्वी पर असुर बहुत शक्तिशाली हो गए थे और वे स्वर्ग पर चढ़ाई करने लगे. उन्होंने कई देवताओं को मार डाला और स्वर्ग में तबाही मचा दी. इन सबमें सबसे शक्तिशाली असुर महिषासुर था. भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा ने शक्ति स्वरूप देवी दुर्गा को बनाया.

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हर देवता ने देवी दुर्गा को विशेष हथियार प्रदान किया. इसके बाद आदिशक्ति दुर्गा ने पृथ्वी पर आकर असुरों का वध किया. मां दुर्गा ने महिषासुर की सेना के साथ युद्ध किया और अंत में उसे मार दिया. उस दिन से दुर्गाष्टमी का पर्व प्रारम्भ हुआ.

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