कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी को एहसास हो गया होगा कि गरीब इतने उदार होते हैं कि वे मेहमान को खाना खिला देते हैं पर अपनी सियासी किस्मत का फैसला तय करने का अधिकार नहीं देते.
राहुल ने चुनावी मंच से उत्तर प्रदेश की आबोहवा बदलने का पूरा भरोसा दिलाया. लेकिन मंच से दिए गए भरोसे की ही नहीं, राहुल ने अपनी खास जिंदगी को आम बनाकर जिन दलित-पिछड़ों के घर रात बिताई, वहां भी कांग्रेस की हवा निकल गई.
चुनावी समर के बीच 11 दिसंबर, 2011 को लखनऊ के सरोजनीनगर विधानसभा के बंथरा क्षेत्र में नीवा दरौली गांव के प्रेम चौरसिया (ओबीसी) के घर रात्रि विश्राम किया. चौरसिया की पान की खेती का मुआयना भी किया और रात को बरामदे में अलाव जलाकर चौपाल पर जमा आसपास के लोगों का भी दर्द सुना. गांव के लोगों ने आवभगत में कसर नहीं छोड़ी, लेकिन उन्होंने अपने स्वाभिमान का सौदा नहीं किया.
चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार गौरव चौधरी पांचवें स्थान पर रहे. इस सीट पर सिर्फ सपा, बसपा, भाजपा ही नहीं, राष्ट्रीय स्वाभिमान पार्टी भी आगे निकल गई.
झांसी के मऊरानीपुर में दलित कुंजीलाल कोरी के घर ठहरे राहुल ने अगले दिन खाद के एक गोदाम में छापा मारकर कालाबाजारी की पोल खोली. लेकिन यहां भी कांग्रेस उम्मीदवार बिहारीलाल आर्य चौथे स्थान पर रहे. हमीरपुर के जाखेरी और धनौरी गांव में 11 अक्तूबर को राहुल ने चौपाल जमाई. रात्रि ठहराव मच्छा गांव के प्रधान शब्बीर अली के किया. यहां से कांग्रेस उम्मीदवार केशवबाबू शिवहरे चौथे स्थान पर सिमट गए.
श्रावस्ती के भिंगा विधानसभा क्षेत्र में तिलहर के निकट गांव रामपुर देवमन में राहुल ने रात बिताई और अगले दिन हैंडपंप पर स्नान किया. इसके बावजूद वहां के कांग्रेस उम्मीदवार मुहम्मद असलम रैनी की किस्मत पर पानी फिर गया.