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अब आवाज दान भी होगा संभव

प्रौद्योगिकी के युग में चिकित्सा विज्ञान अब अंगदान तक ही सीमित नहीं रह गया है. जल्द ही आवाज दान करना भी संभव होगा और हम किसी बेआवाज इंसान को अपनी आवाज दान करने का पुण्य कमा सकेंगे.

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प्रौद्योगिकी के युग में चिकित्सा विज्ञान अब अंगदान तक ही सीमित नहीं रह गया है. जल्द ही आवाज दान करना भी संभव होगा और हम किसी बेआवाज इंसान को अपनी आवाज दान करने का पुण्य कमा सकेंगे.

नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर रूपल पटेल और नेमोरस अल्फ्रेड फर्स्ट डुपोंट हॉस्पिटल फॉर चिल्ड्रेन के टिम बेल ने एक नई तकनीक विकसित की है, जिसका नाम वोकलआईडी है. यह तकनीक मरीज की आवाज का प्रयोग कर एक सिंथेटिक ध्वनि विकसित करती है.

मीडिया रपटों के अनुसार, सिंथेटिक ध्वनि और दाता की आवाज का आपस में मिलान किया जाता है. ध्यान देने योग्य बात यह है कि दाता मरीज का हम उम्र, आकार और लिंग में समान होना चाहिए. इस खोज का उद्देश्य बच्चों और युवाओं में आवाज या ध्वनि संबंधित विकारों को दूर कर उनकी अपनी ध्वनि की मदद से आवाज दिलाना है.

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