scorecardresearch
 

सालभर पहले हो सकती है बाढ़ की भविष्यवाणी

नदी बेसिन के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र की उपग्रहीय निगरानी के आधार पर शोधकर्ता अब 11 महीने पहले ही यह बताने में सक्षम होंगे कि किस नदी में बाढ़ आने का खतरा है. उन्होंने इसके लिए बाढ़ के मौसम से महीनों पहले नदी बेसिन में मौजूद पानी को मापा।

Advertisement
X
Symbolic photo
Symbolic photo

नदी बेसिन के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र की उपग्रहीय निगरानी के आधार पर शोधकर्ता अब 11 महीने पहले ही यह बताने में सक्षम होंगे कि किस नदी में बाढ़ आने का खतरा है. उन्होंने इसके लिए बाढ़ के मौसम से महीनों पहले नदी बेसिन में मौजूद पानी को मापा।

इरविन स्थित कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के भूवैज्ञानिक और इस अध्ययन के नेतृत्वकर्ता जे.टी. रीगर के मुताबिक, जैसे एक बाल्टी की पानी रखने की सीमा होती है, ठीक यही अवधारणा नदी बेसिन पर भी लागू होती है.

शोधकर्ताओं ने एक क्षेत्र की बाढ़ की भविष्यवाणी करने के लिए नासा के जुड़वां 'ग्रेस' उपग्रहों की सहायता ली.उन्होंने पाया कि जब नदी की जमीन संतृप्त है या किनारे तक भरी हुई है, तब स्थितियां बाढ़ के अनुकूल है.

रीगर आशा जताते हैं कि इस विधि से मौसम के भविष्यवक्ताओं को कई महीने पहले ही बाढ़ की चेतावनी जारी करने में सहायता मिलेगी.वे कहते हैं, हालांकि यह विधि तब नाकाम हो जाती है, जब अचानक बारिश से बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है, जैसे भारत में मानसून के कारण आने वाली बाढ़.

शोधकर्ताओं ने अपने सांख्यिकीय मॉडल की मदद से पाया कि वे बाढ़ की अग्रिम सटीक भविष्यवाणी ठीक 5 महीने पहले कर पाने में सक्षम होते हैं. लेकिन विश्वसनीयता थोड़ी कम की जाए, तो यह अग्रिम 11 महीने पहले तक बाढ़ की भविष्यवाणी कर सकता है.

Advertisement

लाइव साइंस की रपट के मुताबिक, ग्रेस उपग्रह से सूचनाएं प्राप्त करने में शोधकर्ताओं को तीन महीने का समय लगता है, इसका मतलब यह है कि इस विधि द्वारा बाढ़ की भविष्यवाणी अग्रिम केवल दो या तीन महीने तक ही सीमित है.

रोजर कहते हैं, नासा हालांकि सूचनाओं को मात्र 15 दिन में उपलब्ध कराने को लेकर काम कर रहा है.

Advertisement
Advertisement