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मेडिकल साइंस का कमाल, रेयर केस में बचाई गई 5 साल की मासूम की जिंदगी

5 साल की परिधि के माता-पिता उसके बचने की उम्मीद खो चुके थे लेकिन इसे मेडिकल साइंस का कमाल कहें या चमत्कार, 32 डॉक्टरों की टीम ने कड़ी मेहनत के बाद उसे नई जिंदगी दी है.

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मेडिकल साइंस के कमाल से बच गई परिधि की जिंदगी
मेडिकल साइंस के कमाल से बच गई परिधि की जिंदगी

5 साल की परिधि के माता-पिता उसके बचने की उम्मीद खो चुके थे लेकिन इसे मेडिकल साइंस का कमाल कहें या चमत्कार, 32 डॉक्टरों की टीम ने कड़ी मेहनत के बाद उसे नई जिंदगी दी है.

रेयर केस में बचाई बच्ची की जान
परिधि के माता-पिता उम्मीद रखते भी कैसे. लीवर फेल होने के बाद दोनों फेफडों ने भी लगभग काम करना बंद कर दिया लेकिन मेडिकल साइंस के चमत्कार की बदौलत न केवल उसे एक नई जिंदगी मिली बल्कि एक परिवार को उजड़ने से बचा लिया. डॉकटरों का ये भी दावा है कि देश में ये अपनी तरह का पहला मामला है.

मां ने दिया लीवर का हिस्सा
नन्ही परिधि को नया जीवन देने वालों में न केवल डॉकटरों की टीम ने कमाल किया है बल्कि खुद उसकी मां ने अपने लीवर का 20 फीसदी हिस्सा देकर इसे एक तरह से दोबारा जन्म दिया है. बच्ची को ठीक देखकर माता-पिता की खुशी थामे नहीं थम रही है. खुद बच्ची भी उत्साहित है कि वो ठीक होकर घर जा रही है. आपको बता दें कि 5 साल की परिधि को जन्म से ही एक बीमारी थी. उसके शरीर में पित की थैली नहीं थी. इसके कारण पित लीवर में जमा होता गया और लीवर मे इंफेक्शन होने के कारण वो फेल हो गया.

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एक नहीं कई बीमारियों से जूझ रही थी परिधि
परिधि की जिंदगी बचाना डॉक्टरों के लिए एक बड़ी चुनौती इसलिए थी कि उसे एक नहीं बहुत सारी समस्याएं थी. लीवर खराब होने के कारण सारा इंफेक्शन लंग्स तक पहुंच गया. उसकी नलियां चौड़ी हो गई जिससे कारण बिना ऑक्सीजन मिले गंदा खून शरीर में जाने लगा. शरीर में ऑक्सीजन की भयंकर कमी हो गई. इसके अलावा कई और चुनौतियां थी जिसका डॉक्टरों को सामना करना पड़ा.

परिधि के दिमाग मे एक सिस्ट भी था. पहले ही हार्ट की नलियां चौड़ी हो गई थी, लंग्स खून साफ नहीं कर पा रहा था और शरीर में लगभग 50 फीसदी गंदा खून बिना ऑक्सीजन मिले पहुंच चुका था.

कम था वजन, हड्डियां भी हो गई थी कमजोर
आपको बता दें कि इतनी सारी कॉम्पलिकेशन्स के चलते ये नन्ही परी न तो चल पाती थी, न अपने दोस्तों से बात कर पाती थी क्योंकि उसे लगातार चक्कर आते रहते थे. हाल ये था कि पांच साल की उम्र में जहां बच्चे का वजन 24-25 किलो होना चाहिए था परिधि का वजन केवल 15 किलो के करीब था और पूरी तरह से कमजोर थी. नाखून नीले और हाथ पांव चौड़े हो गए थे और हड्डियां भी कमजोर हो गई थी.

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डॉक्टरों ने पूरी सावधानी के साथ किया ऑपरेशन
इन सब के बीच लगभग 32 डॉक्टरों की एक टीम ने ऑपरेशन करते समय हर तरह से सावधानी बरती और इस बच्ची को एक नई जिंदगी दी. सबले पहले उसका बीपी डाउन न हो इसका धयान रखा, ज़ीरो ब्लड सर्जरी की, स्पेशल तरीके की मशीन इस्तेमाल की. 100 फीसदी ऑक्सीजन सपोर्ट रखा. कही भी ज़रा सी चूक नहीं होने दी और ऑपरेशन सफल रहा. परिधि के ऑपरेशन के बाद भी डॉकटरों की चुनौती खत्म नहीं हुईं. नया लीवर लगा था और उसे ऑक्सीजन की पूरी जरूरत थी, इसलिए परिधि को पूरे एक महीने तक वेनटिलेटर पर रखा गया.

लेकिन कुल मिलाकर अब परिधि बिलकुल ठीक है. अपने मां-बाप की लाडली परिधि अब एक सामान्य जिंदगी जी सकेगी.

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