scorecardresearch
 

क्यों पॉटी के कैप्सूल बनाकर खाने की सलाह दे रहे डॉक्टर्स? इस बीमारी में बता रहे असरदार

इंसानों की पॉटी से बनी दवाई गंभीर बीमारियों के इलाज में कारगर साबित हो सकती है? ऐसा शायद ही किसी ने सोचा होगा, लेकिन ये सच है और ऐसे पू-पिल्स असरदार साबित हो रहे हैं.

Advertisement
X
इंसानों की पॉटी से बनी दवा (फोटो - AI जेनरेटेड सांकेतिक तस्वीर)
इंसानों की पॉटी से बनी दवा (फोटो - AI जेनरेटेड सांकेतिक तस्वीर)

ब्रिटिश डॉक्टर लोगों को पर्चियों पर 'पू पिल्स' लिखकर इसे खाने की सलाह दे रहे हैं. दरअसल, ये 'पू पिल्स' पॉटी से बनी कैप्सूल है. अब सवाल ये उठता है कि आखिर डॉक्टर ऐसे कैप्सूल या टेबलेट मरीजों को क्यों खाने की सलाह दे रहे हैं. जानते हैं इसके पीछे क्या है वजह? 

Advertisement

नए उपचार पद्धति के तहत फ्रीज किए गए सूखे मल से बने 'पू पिल्स' को दवाई के रूप में विभिन्न बीमारियों के समाधान के तौर पर डॉक्टर इसे खाने की सलाह दे रहे हैं. हम कभी भी ऐसी किसी गोली के बारे में सोच भी नहीं सकते, खासकर तक जब किसी ऐसी जादुई दवा की बात हो जो किसी भी बीमारी को ठीक कर सकता हो. लेकिन 'पू-पिल्स' ऐसी ही जादुई दवा है, जिन्हें " क्रैप्सुल्स " भी कहा जाता है.

इंसानी पॉटी को फ्रीज ड्राई कर बनाए जाते हैं कैप्सूल
न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, फ्रीज-ड्राई किए गए मल से भरे इन छोटे कैप्सूलों ने हाल ही में उन्नत कैंसर से लेकर घातक यकृत रोग तक के उपचार में आशाजनक परिणाम दिखाए हैं. कुछ लोग तो यहां तक ​​कहते हैं कि मल प्रत्यारोपण - जिसमें एक स्वस्थ व्यक्ति का मल किसी अन्य व्यक्ति में स्थानांतरित किया जाता है, बुढ़ापे के असर को कम करने की कुंजी साबित हो सकती है. 

Advertisement

स्वस्थ डोनर्स की पॉटी से बनाए जाते हैं पू-पिल्स
अब, ब्रिटेन के शोधकर्ता यह परीक्षण कर रहे हैं कि क्या स्वस्थ डोनर्स के फ्रीज-ड्राई मल से युक्त कैप्सूल, रोगियों की आंत में छिपे एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी बैक्टीरिया को नष्ट कर सकते हैं? मतलब किसी और की पॉटी आपको सुपरबग से बचा सकती है.

टेस्ट में सुपर बग्स को खत्म करने की अविश्वसनीय दिखी
इस टेस्ट में, हाल ही में दवा प्रतिरोधी संक्रमण (ड्रग रेसिस्टेंट इंफेक्शन) से जूझ रहे 41 रोगियों को दो समूहों में बांटा गया. एक को तीन दिनों तक तीन सेट में पू-पिल्स  दी गईं, जबकि दूसरे को प्लेसीबो दिया गया.एक महीने बाद, पाया गया कि वास्तविक उपचार लेने वालों के पेट में स्वस्थ दाता बैक्टीरिया सफलतापूर्वक बस गए थे - यह इस बात का संकेत था कि गोलियों ने बुरे कीटाणुओं को बाहर निकाल दिया था.

लंदन के गाइज और सेंट थॉमस अस्पताल के प्रमुख शोधकर्ता डॉ. ब्लेयर मेरिक ने बीबीसी को बताया कि यह बहुत रोमांचक था. 20 साल पहले जब यह माना जाता था कि सभी बैक्टीरिया और वायरस आपको नुकसान पहुंचाते हैं, तब से लेकर अब तक हम यह समझ चुके हैं कि वे हमारे समग्र स्वास्थ्य के लिए पूरी तरह से आवश्यक हैं.

सुपरबग्स में होता है एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस 
सुपरबग्स - ऐसे रोगाणु होते हैं जो एंटीबायोटिक उपचार के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेते हैं. इस वजह से एंटिबायोटिक का हमारे ऊपर कोई असर नहीं होता है.इस कारण 2050 तक विश्वभर में 39 मिलियन लोगों की मृत्यु होने की आशंका है. ऐसे में ये पू-पिल्स इन सुपर बग्स को खत्म करने में कारगर साबित हो रहे हैं.

Advertisement

भविष्य की कारगर दवाई बन सकती है पू-पिल्स
माइक्रोबायोम शोधकर्ता क्रिसी सेर्गाकी ने बीबीसी को बताया कि यदि आगे के अध्ययनों में पू-गोलियां सफल साबित होती हैं, तो फेकल माइक्रोबायोटा ट्रांसप्लांट (एफएमटी) नई दवा हो सकती है.उन्होंने कहा कि भविष्य में हम संभावित रूप से एंटीबायोटिक्स की जगह पू-पिल्स वाले इस माइक्रोबायोम थेरेपी का उपयोग कर सकते हैं.इसमें बहुत संभावनाएं हैं.

Live TV

Advertisement
Advertisement