नया साल अब बस खत्म ही होने वाला है. साल 2024 को आने में कुछ ही घंटे बचे हैं. इस नए साल के लिए नास्त्रेदमस ने कई चौंकाने वाली भविष्यवाणियां की थीं. उनकी पिछली कई भविष्यवाणियां सच हुई हैं. नास्त्रेदमस की बात करें, तो वह 16वीं सदी के फ्रांसीसी भविष्यवक्ता, दार्शनिक, चिकित्सक और औषधशास्त्री थे. उनका असल नाम मिशेल डी नास्त्रेदमस था.
उन्होंने अपनी किताब 'लेस प्रोफेटीज' में कई ऐसी बातें लिखीं, जिन्हें भविष्यवाणियां कहा जाता है. इसमें 942 काव्यात्मक छंद हैं. नास्त्रेदमस की कई भविष्यवाणियां सच हुई हैं, जिनमें जर्मनी में हिटलर का उदय, अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी की हत्या और पोप फ्रांसिस का आगमन भी शामिल है. चलिए अब 2024 के लिए की गई उनकी भविष्यवाणी के बारे में जान लेते हैं.
प्रिंस हैरी का किंग बनना- नास्त्रेदमस की किताब में कहा गया है कि ब्रिटेन के किंग चार्ल्स III 'खुद पर और अपनी दूसरी पत्नी दोनों पर लगातार होते हमलों' के कारण पद छोड़ देंगे और प्रिंस विलियम के बजाय प्रिंस हैरी उनकी जगह लेंगे. किताब में लिखा है, 'आइजल्स के किंग' को 'बलपूर्वक बाहर निकाला जाएगा.' लोगों का ऐसा मानना है कि यहां नास्त्रेदमस किंग चार्ल्स III की बात कर रहे हैं. चार्ल्स के बारे में एक अन्य अनुच्छेद में कहा गया है, 'जल्द ही (एक विनाशकारी युद्ध के बाद) एक नए किंग का राज्याभिषेक किया जाएगा, जो लंबे समय तक पृथ्वी को खुश करेगा.'
युद्ध छेड़ेगा चीन- नास्त्रेदमस ने 'लड़ाई और नौसैनिक युद्ध' की भविष्यवाणी की थी. उन्होंने अपनी किताब में लिखा कि 'लाल शत्रु भय से पीला पड़ जाएगा, और विशाल महासागर को भयभीत कर देगा.' कुछ लोगों का मानना है कि लाल रंग का मतलब चीन से और उसके झंडे से है. वहीं 'नौसैनिक युद्ध' का मतलब ताइवान द्वीप के साथ चीन का तनाव हो सकता है.
जलवायु आपदा- नास्त्रेदमस ने खराब मौसम की घटनाओं और विश्व स्तर पर भुखमरी की भी भविष्यवाणी की. उन्होंने कहा था, 'महामारी की लहर के कारण बहुत बड़ा अकाल पड़ा है.'
पोप फ्रांसिस की जगह कोई और- नास्त्रेदमस ने भविष्यवाणी की थी कि पोप फ्रांसिस की जगह कोई और ले सकता है. उन्होंने अपनी किताब में लिखा था, 'एक बहुत बूढ़े पोंटिफ की मृत्यु के बाद कम उम्र का एक रोमन चुना जाएगा, वह लंबे समय तक गद्दी पर बैठेगा.' अपने 87वें जन्मदिन से कुछ दिन पहले पोप फ्रांसिस की तबीयत खराब हो गई थी. उन्हें फ्लू के कारण फेफड़ों में सूजन और सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. जिसकी वजह से उन्हें संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन को छोड़ना पड़ा था.