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सोंधी-सी खुशबू क्यों लाती हैं बारिश की बूंदें? मिल गया जवाब

बारिश की बूंदों के जमीन पर गिरने के बाद मिट्टी की सोंधी खुशबू किसे अच्छी नहीं लगती, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह खुशबू आखिर आती कहां से है? इस सवाल का जवाब वैज्ञानिकों ने ढूंढ लिया है. दरअसल, जमीन को स्पर्श करने से पहले बारिश की बूंदों में कोई खुशबू नहीं होती, लेकिन जैसे ही यह धूलकणों से मिलती है, हम एक सोंधी-सी खुशबू महसूस करते हैं.

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Symbolic Image
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बारिश की बूंदों के जमीन पर गिरने के बाद मिट्टी की सोंधी खुशबू किसे अच्छी नहीं लगती, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह खुशबू आखिर आती कहां से है? इस सवाल का जवाब वैज्ञानिकों ने ढूंढ लिया है. दरअसल, जमीन को स्पर्श करने से पहले बारिश की बूंदों में कोई खुशबू नहीं होती, लेकिन जैसे ही यह धूलकणों से मिलती है, हम एक सोंधी-सी खुशबू महसूस करते हैं.

इस खुशबू को 'पेट्रिकोर' कहते हैं, जो ग्रीक भाषा के शब्द पेट्रा से बना है, इसका अर्थ स्टोन या आईकर होता है. माना जाता है कि यह वही तरल है, जो ईश्वर की नसों में रक्त के रूप में बहता है. कैंब्रिज में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में मैकेनिकल इंजीनियरिंग के सहायक प्रोफेसर कुलेन बुई ने कहा, ‘दरअसल, पौधों द्वारा उत्सर्जित किए गए कुछ तैलीय पदार्थ व बैक्टीरिया द्वारा उत्सर्जित कुछ विशेष रसायन बारिश की बूंदों के साथ प्रतिक्रिया करती हैं, जिसके परिणामस्वरूप हम ऐसी सोंधी खुशबू महसूस करते हैं.’

बारिश की बूंदें जैसे ही जमीन पर छिद्रयुक्त सतह पर गिरती हैं, वह हवा के छोटे-छोटे बुलबुलों में तब्दील हो जाती है. ये बुलबुले फूटने के पहले ऊपर की ओर बढ़ते हैं और हवा में बेहद छोटे-छोटे कणों को बाहर निकालते हैं, जिसे 'एरोसॉल' कहते हैं.

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शोधकर्ताओं के मुताबिक यही एरोसॉल सौंधी-सौंधी खुशबू बिखेरते हैं, जो हमारा मन प्रसन्न कर देती है. यह निष्कर्ष पत्रिका ‘नेचर कम्युनिकेशन’ में प्रकाशित हुआ है.

- इनपुट IANS से

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