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लक्ष्‍यद्वीप के लिए महज 23 हजार रुपये मालिकाना, अधिक की मांग

लक्ष्‍यद्वीप के असली मालिकों ने सरकार से द्वीप के लिए अधिक मुआवजे की मांग की है. कभी लक्ष्‍यद्वीप के मालिक रहे इस शाही परिवार को आज पैसों की तंगी है. दरअसल, इनके पूर्वज, जो कि केरला का शाही मुसलमान परिवार था, पूरे द्वीप को ब्रिटिश सरकार को दे दिया था. इसके लिए ब्रिटिश सरकार ने मालिकाना हक के तौर पर इन्‍हें सालाना 23 हजार रुपये देने की बात तय की थी और उस दौर से लेकर आज तक भी इन्‍हें उतने ही रुपये मिल रहे हैं.

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लक्ष्‍यद्वीप
लक्ष्‍यद्वीप

लक्ष्‍यद्वीप के असली मालिकों ने सरकार से द्वीप के लिए अधिक मुआवजे की मांग की है.  कभी लक्ष्‍यद्वीप के मालिक रहे इस शाही परिवार को आज पैसों की तंगी है.

दरअसल, इनके पूर्वज, जो कि केरल का शाही मुसलमान परिवार था, पूरे द्वीप को ब्रिटिश सरकार को दे दिया था. इसके लिए ब्रिटिश सरकार ने मालिकाना हक के तौर पर इन्‍हें सालाना 23 हजार रुपये देने की बात तय की थी और उस दौर से लेकर आज तक भी इन्‍हें उतने ही रुपये मिल रहे हैं. अब मौजूदा परिवार के लोग चाहते हैं कि सरकार इस मुआवजे की रकम को बढ़ाए, जिसका मूल्‍यांकन आज की तारीख में करीब 13 करोड़ रुपयों का है.

साल 1545 से 1819 तक अनद्रोथ, कवारत्ती, अगाथी, मिनीकोय और कलपेनी द्वीप अराकल परिवार का हुआ करता था. य‍ह परिवार उत्तरी केरला तट पर शासन करता था. वर्तमान पीढ़ी के मुताबिक, साल 1908 में जब परिवार ने ब्रिटिश सरकार के साथ अंतिम डील की थी, तब की कीमत और अब के सोने की कीमत की तुलना करें तो हमें 13 करोड़ रुपये का मुआवजा मिलना चाहिए.

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अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक शाही परिवार के मौजूदा मुखिया सायनाबा आएशा बीवी के बेटे अदि रजा मोहम्मद रफी ने बताया है कि अभी मिल रहा मुआवजा शाही परिवार का अपमान है. 

रफी कहते है, 'हमें जो अभी मुआवजा मिल रहा है, वो एक तरह से शाही परिवार की बेइज्‍जती है. हम अपमानित महसूस करते हैं.' रफी का कहना है कि 150 सदस्‍यों के परिवार को शाही परंपरा, बुनियादी ढांचे के रखरखाव के लिए वित्तीय संकट से गुजरना पड़ रहा है. उच्‍च मालिकाना हक के लिए शाही ट्रस्‍ट का गठन किया गया है. रफी ने कहा, 'केंद्र ने हमारी याचिका पर कोई जवाब नहीं दिया है. इसके बाद हम जनता की राय लेंगे.'

पिछले महीने, केरला सरकार ने कोजिकोड़ के जमोरिन शाही परिवार के 826 सदस्‍य को 2500 रुपये मासिक पेंशन देने का निर्णय लिया. जमोरिन शाही परिवार ने सदियों तक मालाबार तट पर शासन किया है.

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